Unnao गैंगरेप मामले में अखिलेश यादव ने किया ट्वीट, बेरहम सरकार में पीड़िता की सुनने वाला कोई नहीं
पुलिस की कार्रवाई और पीड़ित परिवार के आरोपों में दिख रहा बड़ा अंतर
उन्नाव, अमृत विचार। मौरावां में गैंगरेप पीड़िता के घर हुई आग लगने की घटना में पुलिस जिस चश्में से घटना देख या दिखा रही हकीकत उससे इतर नजर आ रही है। इस मामले में गैंगरेप के आरोपियो समेत सात लोगों पर आगजनी की धाराओं में मुकदमा भले ही दर्ज कर लिया हो लेकिन पुलिस इस घटना का आरोपी पीड़िता के चाचा को ही मान रही है।
शायद यही वजह है कि उसे छोड़ अन्य किसी की गिरफ्तारी पुलिस ने अभी तक नहीं की है। बुधवार सुबह एसपी सिद्धार्थ शंकर मीना की ओर से जारी की गयी बाइट में भी उन्होंने घटना वाले दिन जारी किए गए वीडियो का हवाला दिया जिसमें पीड़िता के छोटे भाई अपने चाचा पर ही घर में आग लगाने की बात कहते नजर आए।
बता दें कि बीते सोमवार की शाम गैंगरेप पीड़िता के घर पर संदिग्ध हालातों में आग लग गयी थी। इस घटना में पीड़िता के बच्चे के साथ ही उसकी मासूम बहन भी झुलस गयी थी। दोनों बच्चों को जिला अस्पताल से कानपुर के उर्सला फिर एलएलआर अस्पताल रेफर किया गया था। बुधवार दोनों बच्चे लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कालेज रेफर कर दिए गए। घटना वाली रात ही पुलिस ने पीड़िता की मां की तहरीर पर दो अलग अलग मुकदमें में भी दर्ज कर लिए थे। जिसमें घर में आग लगाए जाने के मामले में जमानत पर जेल से छूटे आरोपी सतीश पुत्र श्रीराम, अमन पुत्र सुरेश कुमार, प्रयाग नारायणखेड़ा निवासी रोशन पुत्र सरजू लोधी, पड़ोसियों सुखदीन पुत्र किशनपाल व रंजीत पुत्र अयोध्या प्रसाद, पीड़िता के चाचा राजबहादुर पुत्र चंदन, पीड़िता के बाबा चंदन पुत्र पंचम पर मुकदमा दर्ज किया गया था। जिनमें पुलिस ने चाचा राजबहादुर को गिरफ्तार किए जाने की बात कही थी।
जिंदगी और मौत से जूझ रहे दो मासूम, फिर भी नहीं लगाई धारा-307
पीड़िता के वकील संजीव त्रिवेदी का कहना है कि मौरावां पुलिस ने सोमवार की रात दो मुकदमें सिर्फ दिखावे के लिए दर्ज किए हैं। पीड़िता के पिता पर 13 अप्रैल को कुल्हाड़ी से वार कर हमला हुआ था। वहीं सोमवार हुई आगजनी की घटना में दो मासूम जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। पीड़िता की मां की जिस तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है उसमें भी उसने स्वयं व बेटी के साथ मारपीट कर घर में आग लगाने की बात कही है। बावजूद इसके पुलिस ने किसी मुकदमे में जानलेवा हमले या हत्या के प्रयास जैसी धाराएं नहीं लगाई है। मुकदमें की धाराओं में किया गया खेल पुलिस की मंशा को उजागर करने के लिए पर्याप्त है।
आखिर क्यों नहीं कराया गया पीड़िता और उसकी मां का मेडिकल
पीड़िता के अधिवक्ता संजीव त्रिवेदी ने कहा कि पुलिस घटना वाले दिन पीड़िता के भाई के वीडियो को जारी कर अपनी ढाल बनाने का प्रयास कर रही है। जबकि अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रखा है। नियमतः पीड़िता और उसकी मां का मेडिकल कराया जाना चाहिए जो अभी तक पुलिस ने नहीं कराया है। आग लगाने से पहले हमलावरों ने मां बेटी के साथ मारपीट की जिससे पीड़िता का हाथ टूट गया है जबकि उसकी मां भी घायल है। ऐसे संवेदनशील मामले में पुलिस की यह लापरवाही विचारणीय है।
बाल अधिकार संरक्षण आयोग में तलब की कार्रवाई की रिपोर्ट
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग लखनऊ के सदस्य श्याम त्रिपाठी ने इस घटना का संज्ञान लेते हुए इसे जघन्य अपराध बताया है। घटना की जानकारी पर उन्होंने बाल कल्याण समिति के सदस्य प्रीती सिंह को रेप पीड़िता से मिलने भेजा था लेकिन वह सभी जिला अस्पताल से कानपुर उर्सला रेफर हो चुके थे। उन्होंने मंगलवार को एसपी, जिला प्रोबेशन अधिकारी और बाल कल्याण समिति अध्यक्ष को पत्र भेज कर अब तक आरोपियों पर की गयी कार्रवाई की रिपोर्ट तलब की है। इसके साथ उन्होंने एसपी को मामले में लापरवाही बरतने वाले पुलिस कर्मियों पर अनुशासनात्मक कार्यवाई के भी निर्देश दिए है।
घटना को लेकर पीड़िता के वकील ने कही बड़ी बात
पीड़िता के वकील संजीव त्रिवेदी का कहना है कि मासूम को जलाकर मारने का प्रयास किया गया है जिसके पीछे बड़ी और अहम वजह भी है। उनका कहना है कि पीड़िता ने गैंगरेप की घटना में पांच आरोपियों के नाम लिए थे। हलांकि पुलिस ने तीन को भी आरोपी बनाया। कोर्ट ने एक को क्लीनचिट देकर बरी कर दिया। भविष्य में बच्चे के वास्तविक पिता का पता लगाने के लिए डीएनए टेस्ट न हो पाए इसी इरादे से उसे जला कर मारने का प्रयास किया गया है।
लखनऊ मेडिकल कालेज रेफर किए गए दोनों झुलसे मासूम
गैंगरेप पीड़िता के घर पर लगी आग की घटना में झुलसे दोनों मासूमों की हालत में सुधार नहीं हुआ है। जिला अस्पताल से दोनों को पहले कानपुर के उर्सला अस्पताल रेफर किया गया था। वहां से उन्हें हैलट भेजा गया। बुधवार को डाक्टरों ने दोनों को किंगजार्ज मेडिकल कालेज लखनऊ रेफर कर दिया। डाक्टरों के मुताबिक दोनों बच्चे 45 फीसदी झुलसे हैं।
अखिलेश व शिवपाल के बयान के बाद गर्माया मुद्दा
सपा नेता शिवपाल यादव ने घटना को लेकर ट्वीट किया कि उन्नाव में गैंगरेप पीड़िता जमानत पर छूटे अभियुक्तों द्वारा आग लगा दी गई है। इस बर्बर घटना में दो नवजातों को आग में झोंक दिया गया। इस नृशंसता व अमानवीयता पर प्रदेश सरकार की मशीनरी इतनी भाव शून्य क्यों है? इस जघन्य अपराध पर कठोरतम कार्रवाई करें। वहीं इससे पूर्व प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में कहा कि उप्र में जमानत पर बाहर आए आरोपियों द्वारा उन्नाव में गैंगरेप पीड़िता के 7 महीने के बच्चे को जिंदा जलाने की जघन्य घटना पर भाजपा सरकार कुछ करेगी या परिवारवालों के दुख-दर्द को समझनेवाला इस बेरहम सरकार में कोई नहीं है। इसके बाद मामला काफी गर्माया हुआ है।
उप्र में जमानत पर बाहर आए आरोपियों द्वारा उन्नाव में गैंगरेप पीड़िता के 7 महीने के बच्चे को जिंदा जलाने की जघन्य घटना पर भाजपा सरकार कुछ करेगी या परिवारवालों के दुख-दर्द को समझनेवाला इस बेरहम सरकार में कोई नहीं है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) April 19, 2023
उन्नाव में एक नाबालिग़ गैंगरेप पीड़िता के घर पर
— Shivpal Singh Yadav (@shivpalsinghyad) April 19, 2023
जमानत पर छूटे अभियुक्तों द्वारा आग लगा दी गई है, इस बर्बर घटना में दो नवजात शिशुओं को आग में झोंक दिया गया।
इस नृशंसता व अमानवीयता पर प्रदेश सरकार की मशीनरी इतनी भाव शून्य क्यों है?
इस जघन्य अपराध पर कठोरतम कार्रवाई करे @UPGovt ।
बोले जिम्मेदार
सीओ पुरवा संतोष सिंह ने कहा कि मामले की छानबीन चल रही है। पीड़िता के चाचा, दादा समेत चार लोगों को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है। दर्ज मुकदमे में धारा-307 न लगाए जाने पर कहा कि विवेचना में जो तथ्य सामने आएंगे उसी आधार पर धाराएं बढ़ेंगी। मारपीट के बाद भी पीड़िता व उसकी मां का मेडिकल न कराए जाने के सवाल पर सीओ सटीक जवाब नहीं दे सके। उन्होंने कहा कि इसे दिखवाया जाएगा।
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