बरेली : सिक्स लेन होगा पीलीभीत बाईपास... यहां भी 36 सौ पेड़ों की बलि लेगा विकास

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Published By Vishal Singh
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पीडब्ल्यूडी के साथ वन विभाग के अधिकारियों ने किया सर्वे, अब काटे जाने वाले पेड़ों को किया जा रहा है चिह्नित

बरेली, अमृत विचार। जल्द ही पीलीभीत बाईपास भी हरियाली विहीन हो जाएगा। करीब 12 किलोमीटर लंबी इस सड़क को सिक्स लेन बनाने के लिए 36 सौ से ज्यादा हरेभरे और पुराने पेड़ों की बलि दिया जाना तय हो गया है। वन विभाग और पीडब्ल्यूडी के अधिकारी इस रोड का सर्वे कर चुके हैं, अब पेड़ों को चिह्नित करने का काम किया जा रहा है। यह काम पूरा होने के बाद पेड़ों का कटान शुरू कर दिया जाएगा। कुछ ही दिन पहले लाल फाटक रोड को भी फोरलेन करने के लिए करीब 12 सौ पेड़ों का सफाया किया जा चुका है।

शहर का कथित विकास लगातार हरियाली की बलि ले रहा है। एक-एक कर सड़कों के किनारे खड़े पेड़ काटे जाने से शहर में पहले ही नाममात्र की हरियाली बची है, अब पीलीभीत बाईपास पर भी बड़े पैमाने पर पेड़ काटने की तैयारी है। दरअसल पीलीभीत बाईपास को सेटेलाइट तिराहे से बड़ा बाईपास तक सिक्स लेन किए जाने की योजना है। इसके लिए करीब 12 किमी लंबी इस सड़क की चौड़ाई 26 मीटर की जाएगी। सड़क के दोनों ओर शुरू से आखिर तक फिलहाल सैकड़ों पेड़ हैं जिन्हें काटे बगैर सड़क को चौड़ा करना मुमकिन नहीं है, इसी कारण पीडब्ल्यूडी ने इन पेड़ों को काटने की अनुमति वन विभाग से मांगी है।

अधिकारियों के मुताबिक सेटेलाइट तिराहे से बड़ा बाईपास तक एक साइड के पेड़ों को चिह्नित कर लिया गया है। अब बड़ा बाईपास से सेटेलाइट तिराहे तक दूसरी साइड के पेड़ों को चिह्नित किया जा रहा है। पेड़ों का चिन्हांकन पूरा होने के बाद वन निगम उनका कटान शुरू कर देगा।

छाया देने वाले पाकड़ के पेड़ सबसे ज्यादा काटे जाएंगे
पीलीभीत बाईपास कौ चौड़ा करने के लिए सबसे ज्यादा पाकड़ के पेड़ों को काटा जाना है जो पिछले पचासों सालों से इस रोड पर लोगों को छाया देते आ रहे हैं। इसके अलावा पीपल, नीम, जामुन, आम, सागौन, शीशम प्रजाति के पेड़ भी बहुतायत में हैं। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गणना पूरी हो जाने के बाद ही बताया जा सकेगा कि सड़क चौड़ी करने के लिए किस प्रजाति के कितने पेड़ काटे जाएंगे।

ऐसे बनता है स्मार्ट सिटी...

10 हजार से ज्यादा पेड़ों का दो सालों में हो चुका है सफाया
पेड़ों का सबसे ज्यादा सफाया शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के नाम पर किया गया है। स्मार्ट सिटी के दायरे में आने वाली एक दर्जन से ज्यादा सड़कों को कंक्रीट से सजाने के लिए उनके किनारे खड़े पेड़ों को काटा गया है। दो साल के अंदर शहर के डोहरा रोड, सेटेलाइट तिराहे से नरियावल, सेटेलाइट से शहामतगंज, शहामतगंज से गांधी उद्यान, स्टेडियम रोड, गांधी उद्यान से चौकी चौराहा, चौकी चौराहा से अय्यूब खां चौराहा, बदायूं रोड, बीसलपुर रोड, डेलापीर रोड समेत कई सड़कों को चौड़ा करने के लिए भारी संख्या में पेड़ों को हटाया गया है। अब तक काटे गए पेड़ों की संख्या 10 हजार से ज्यादा है। करीब ढाई हजार पेड़ों को ट्रांसलोकेट भी किया गया लेकिन नई जगह ले जाकर रोपे गए इनमें से भी ज्यादातर पेड़ वहां की जलवायु माफिक न आने की वजह से नष्ट हो गए।

पेड़ काटने से पहले जनता की भी तो सुनें
पर्यावरण बचाने के लिए काम कर रहे बरेली कॉलेज के विधि विभाग के प्रोफेसर डॉ. प्रदीप कुमार का कहना है कि शहर में पहले ही .01 फीसद ही वन क्षेत्र बचा है जो नगण्य होने के बराबर है। इसके साथ हरियाली की कमी की वजह से भूजल का स्तर हर साल 35 सेमी से ज्यादा रफ्तार से गिरना भी बेहद चिंताजनक है। इसके बावजूद अंधाधुंध ढंग से एक-एक करके शहर की सड़कों को चौड़ा करने के लिए पुराने पेड़ों को काटा जा रहा है। अब पीलीभीत बाईपास पर भारी संख्या में पेड़ों के कटान की तैयारी चिंता का विषय है। उनकी मांग है कि किसी भी इलाके में पेड़ों को काटने का फैसला करने से पहले जनसुनवाई कर स्थानीय जनता को जरूर सुना जाए। इस तरह मनमाने ढंग से पेड़ों काे काटना सरासर गलत है।

पीलीभीत बाईपास को सिक्स लेन किया जाना है। सड़क चौड़ी करने के लिए जिन पेड़ों को काटा जाना है, उन्हें चिह्नित किया जा रहा है। पीडब्लूडी और वन विभाग की टीम संयुक्त सर्वे कर चुकी है। चिन्हांकन पूरा होने के बाद पेड़ों को काटा जाएगा- समीर कुमार, प्रभागीय वनाधिकारी।

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