Veer Kesari Chand Jayanti 2023: आजाद हिन्द फौज के वीर सेनानी को शत-शत नमन

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Published By Shweta Kalakoti
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हल्द्वानी, अमृत विचार। आज समस्त सरकारी व निजी स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया गया है। लेकिन क्या आप जानते है कि ये अवकाश क्यों घोषित किया गया है?

आज उत्तराखंड के बलिदानी, अमर शहीद केसरी चंद की जयंती है। वे वह बलिदानी हैं, जिन्होंने आजाद हिंद फौज में शामिल हो ब्रिटिश हकूमत को चुनौती दी थी। 03 मई 1945 को महज 24 साल की उम्र में अंग्रेजों द्वारा सूली पर लटका दिए गए थे। निरीक्षक प्रारम्भिक शिक्षा की ओर से पूर्व में ही अवकाश की सूचना जारी की जा चुकी है।

जंग-ए-आजादी के वीर सिपाही शहीद केसरी चंद का जन्म 01 नवंबर, 1920 को जौनसार के क्यावा गांव में हुआ था। आरंभिक शिक्षा उन्होंने विकासनगर में ग्रहण की थी। बाद में उन्होंने डीएवी कॉलेज में  आगे की पढ़ाई की।

कहा जाता है कि केसरी चंद बचपन से ही बहुत निडर और बहादुर थे और खेलों में उनकी खासी दिलचस्पी थी। जहां उनमें एक ओर नेतृत्व का गुण था, वहीं वह एक सच्चे देशभक्त भी थे। स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी हमेशा अग्रणी भूमिका रही थी। 10 अप्रैल 1941 में वे Royal Army Service Corps में भर्ती हो गए। यह वह वक्त था जब द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था। 29 अक्टूबर 1941 पर केसरी चंद को मलाया में चल रहे युद्ध के दौरान मोर्चे पर तैनात किया गया था। इस दौरान उन्हें जापानी सेना ने बंदी बना लिया था।

बता दें कि केसरी नेताजी सुभाष चंद्र बोस से बेहद प्रभावित थे। यही कारण था कि वह आजाद हिंद सेना में भी शामिल हुए थे। अंग्रेजों से भिड़ंत के दौरान पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। जिसके बाद वे दिल्ली कारागार में भेज दिए गए थे। इस दौरान ब्रिटिश राज्य के खिलाफ साजिश के आरोप में केसरी चंद को मोत की सजा दे दी गई। 03 मई 1945 को महज 24 साल की उम्र में उत्तराखंड के इस वीर सेनानी को फांसी पर लटका दिया गया था।

 

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