मुरादाबाद: पुलिसिया दोस्ती में जाली करेंसी का किंग बना नफीस
पांच साल में चार बार पकड़ा गया नकली नोट छापने का आरोपी , बांग्लादेश व नेपाल से भी जुड़े हैं तार
मुरादाबाद, अमृत विचार। कुंदरकी का रहने वाला डॉ. नफीस जाली करेंसी का किंग बन चुका है। नकली नोट छापने के माहिर खिलाड़ी माने जाने वाले नफीस के तार बांग्लादेश, नेपाल व पाकिस्तान तक जुड़े हैं। पांच साल के भीतर वह चार बार पुलिस के हत्थे चढ़ा। दोस्ती की वजह से कानून के रखवाले उसकी नकेल नहीं कसते हैं। जेल से रिहाई मिलते ही वह नकली नोटों के खेल में शामिल हो जाता है।
- शातिर की नकेल कसने में पुलिस बरत रही घोर लापरवाही
- जमानत पर छूटने के बाद नकली नोटों के खेल में हो जाता है शामिल
कुंदरकी में पैथोलॉजी लैब चलाने के कारण नफीस को समाज में डाक्टर के रूप में पहचान मिली। कुंदरकी व आसपास के लोग नफीस को डाक्टर के रूप में ही संबोधित करते हैं। हालांकि उसके पास डाक्टर की कोई मान्य डिग्री नहीं है। कुंदरकी के कमालपुर फतीहाबाद गांव का रहने वाला नफीस 2018 में पहली बार तब प्रकाश में आया, जब नोएडा की ईको टेक-तीन की पुलिस ने नकली नोटों के एक बड़े जखीरे के साथ उसे दबोचा। तब पुलिस ने बताया कि नफीस नकली नोटों की छपाई में महारत रखता है। नफीस व उसके गुर्गों के कब्जे से जाली करेंसी व नकली नोट छापने की मशीनें मिलें। इसके महज तीन साल बाद ही नफीस अमरोहा में कांठ रोड बाईपास तिराहा से सिटी कोतवाली पुलिस के हत्थे चढ़ा।
कार की तलाशी के दौरान नफीस व उसके गिरोह के सदस्यों से पुलिस ने पांच-पांच सौ रुपये की कुल सात लाख जाली करेंसी बरामद की। जाली करेंसी छापने के आरोप में नफीस दूसरी बार जेल भेजा गया। महज एक साल बाद छह अगस्त 2022 को मझोला पुलिस ने एक बार फिर सनसनीखेज पर्दाफाश किया। बताया कि नकली नोटों के सौदागर नफीस के तीन गुर्गे नकली नोटों के साथ पकड़े गए हैं। उनके कब्जे से एक लाख रुपये की जाली करेंसी बरामद हुई। हालांकि तब मझोला पुलिस की आंख में धूल झोंक नफीस व उसके परिजन फरार हो गए।
लेकिन हत्थे चढ़े आरोपियों में रामपुर के दो प्रापर्टी डीलरों के अलावा नफीस का छोटा भाई भी शामिल था। महीनों पुलिस को छकाने के बाद नफीस ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया। महज दो माह पहले जेल से रिहा होने के बाद वह चौथी बार नकली नोटों के कारोबार से जुड़ा। यूपी एसटीएफ की टीम ने छह मई को भोजपुर के पीपलसाना में नफीस व उसके एक साथी को नकली नोटों की छपाई करते मौके से पकड़ा। जांच में चौंकाने वाले तथ्य प्रकाश में आया। पूछताछ में पता चला कि 20 रुपये के नकली नोटों की छपाई में लिप्त नफीस जाली करेंसी बाजार में खपाने में एक महिला का इस्तेमाल करता था। हालांकि नफीस के गिरोह की महिला सदस्य अभी भी फरार है।
भोजपुर पुलिस नफीस की महिला साथी की तलाश में जुटी है। पूर्व से ही सुरक्षा एजेंसियों का दावा रहा है कि नफीस के तार बांग्लादेश, नेपाल व पाकिस्तान तक से जुड़े हैं। विदेशी खुफिया एजेंसियों की बगैर मदद नफीस नकली नोटों की इस तरह छपाई नहीं कर सकता। पुलिस की लापरवाही का ही परिणाम है कि गिरफ्तार होने के चंद दिनों बाद ही कानून को चकमा देकर नफीस जेल से रिहाई पाने में सफल हो जाता है। पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों की यह बड़ी चूक आने वाले दिनों में सरकार का सिरदर्द बनने वाली है।
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