स्ट्रांग रूम में EVM कैद... मत पेटियां से सट्टे का बाजार गर्म, तोमर पर कम तो गौतम पर मिल रहा ज्यादा भाव
बरेली, अमृत विचार। मतदान संपन्न होने के बाद कड़ी सुरक्षा में 1300 ईवीएम मशीनों को परसाखेड़ा के स्ट्रांग रूम में पहुंचाया गया। जबकि धौराटांडा, ठिरिया, रिठौरा नगर पंचायत की मतपेटियों को बरेली कॉलेज के स्ट्रांग रूम में रखा गया है। इसके अलावा नगर पालिका और नगर पंचायत की मतपेटियां को उनकी संबंधित तहसील में बने स्ट्रांग रूम में रखवा कर उनकी सुरक्षा के लिए भारी फोर्स तैनात किया गया है। ईवीएम और मतपेटियों के लिए त्रिस्तरीय सुरक्षा की गई है। पुलिस और पीएसी शनिवार की सुबह तक सुरक्षा में तैनात रहेगी।
महापौर और पार्षद की सभी 1300 ईवीएम परसाखेड़ा में बनाए गए स्ट्रांग रूम में देर रात रखवा दिया गया था। इस दौरान परसाखेड़ा रोड पर शहर के आसपास के इलाके को पुलिस ने बैरियर लगाकर सील कर दिया। सुरक्षा के मद्देनजर आम लोगों की आवाजाही भी बंद कर दी गई। महापौर और पार्षद पद के उम्मीदवार भी ईवीएम मशीन जमा होने के दौरान परसाखेड़ा में मौजूद रहे। नगर निकायों से नगर पालिका, पंचायत के अध्यक्ष की 545, सभासद की 545 मतपेटियों को अलग-अलग स्ट्रांग रूप में रखवाया गया।
नगर पंचायत ठिरिया निजावत खां, रिठौरा, धौराटांडा पंचायत की मतपेटियों को बरेली कॉलेज, नगर पालिका फरीदपुर, पंचायत फतेहगंज पूर्वी की मतपेटियों को सीएएस इंटर कॉलेज, नगर पालिका बहेड़ी, नगर पंचायत देवरनियां, नगर पंचायत शेरगढ़, नगर पंचायत फरीदपुर, नगर पंचायत रिछा की मतपेटियों को कृषि उत्पादन मंडी समिति बहेड़ी, नगर पंचायत मीरगंज, नगर पंचायत शाही एवं शीशगढ़, नगर पंचायत फतेहगंज पश्चिमी की मतपेटियों को राजेंद्र प्रसाद कॉलेज मीरगंज,
नगर पालिका नवाबगंज, नगर पंचायत सेंथल की मतपेटियों को कृषि उत्पादन मंडी नवाबगंज । नगर पालिका आंवला, नगर पंचायत सिरौली, नगर पंचायत विशारतगंज की मतपेटियों को डॉ. राममनोहर लोहिया महाविद्यालय आंवला में बने स्ट्रांग रूम में रखवाई गई हैं। ईवीएम को त्रिस्तरीय सुरक्षा में डबल लॉक में रखा गया है। बाहर पुलिस व पीएसी तैनात कर दी गई है।
मतदान प्रतिशत गिरने का मुख्य कारण घरों तक नहीं पहुचीं पर्चियां
स्थानीय निकाय चुनाव में जिले खासतौर पर नगर निगम का मतदान प्रतिशत कम होने के पीछे जितना प्रशासनिक लापरवाही जिम्मेदार है, उससे कहीं ज्यादा राजनैतिक दल खास तौर पर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी जिम्मेदार हैं। पहली बार ऐसा हुआ कि बीएलओ तो दूर राजनैतिक दलों ने भी घर मतदाता पर्ची नहीं पहुंचाई। वर्ष 2012 में नगर निगम में 42.15 प्रतिशत मतदान हुआ था तो वर्ष 2017 में यह प्रतिशत 45 रहा। इस बार यह मतदान प्रतिशत गिरकर 40.99 पर पहुंच गया। इसके लिए सबसे पहली लापरवाही तो बीएलओ की है।
वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण अभियान के दौरान बीएलओ घर घर जाने से बचे। जिसके फलस्वरुप वोटर लिस्ट में तमाम मृतकों के नाम दर्ज रहे वहीं मोहल्ला कई साल पहले छोड़कर जाने वालों के नाम भी लिस्ट में रह गए। इतना ही नहीं चार पांच साल से घर से बाहर रहने वालों के नाम भी वोटर लिस्ट से नहीं हटाए गए। मनमर्जी से नाम हटाने की वजह से पिछले नगर निगम चुनाव में वोट देने वाले तमाम मतदाता इस बार अपना नाम वोटर लिस्ट में देखने को भटकते रहे।
हर चुनाव से पहले पिछले वर्षों में राजनैतिक दलों के कार्यकर्ता अपने अपने मोहल्ले में घर घर जाकर वोटर पर्ची पहुंचाने का काम करते थे। इस बार राजनैतिक दलों में केवल भाजपा ने ही वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण अभियान में दिलचस्पी ली और नए नाम जुड़वाए और कुछ नाम कटवाए भी। लेकिन मतदाता पर्ची घर घर पहुंचाने में भाजपा भी चूकी। भाजपा के अधिकांश पन्ना प्रमुख नजर ही नहीं आए। पन्ना प्रमुख पर भाजपा ने मात्र 97 घरों से सम्पर्क करने की जिम्मेदारी दी थी।
पार्षदी का चुनाव लड़ रहे कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों ने पर्ची अपने खास समर्थकों के घर तक पहुंचाई। आम वोटर से वो भी दूर ही रहे। बीएलओ मतदान केंद्र पर तो बैठे थे लेकिन उनमें से अधिकांश का व्यवहार मतदाता के प्रति रुखा ही रहा । अधिकारियों ने तो वोटर को घर से निकालने के लिए चुनाव प्रक्रिया के दौरान कोई अभियान चलाने की जरूरत तक महसूस नहीं की ।
तोमर और गौतम की जीत पर 'सट्टे का गणित' उमेश पर ज्यादा डा. आईएस पर कम मिल रहा भाव
सट्टा बाजार में प्रत्याशियों की हार-जीत पर सट्टेबाज अपना गणित पर भी लग रहे हैं। यहां पर भारतीय जनता पार्टी के डा. उमेश गौतम और निर्दलीय प्रत्याशी आईएस तोमर रहा के बीच में कड़ा मुकाबला चल रहा है। सट्टेबाज भाजपा प्रत्याशी डा. उमेश गौतम पर गली कूचों में सट्टा लगा रहे है।
निकाय चुनाव में वोटिंग के बाद आज सुबह से ही नेता और समर्थक अपनी हार-जीत को लेकर चर्चा कर ररहे है। सटोरिये लाखों का सट्टा लगा रहे हैं। दूसरे चरण की बरेली महापौर सीट हॉट सीट बनी हुई है सटोरिए ज्यादा भाव दे रहे हैं। जबकि निर्दलीय और सपा समर्थित प्रत्याशी डा. आईएस तोमर पर काफी कम भाव मिल रहा है। सट्टेबाजों के इस गणित के हिसाब से भाजपा प्रत्याशी की जीत मुश्किल मान रहे हैं। जबकि सट्टे की भाषा में तोमर फेवरेट लग रहे हैं।
यानी तोमर को सट्टेबाज जीता हुआ मान रहे हैं। सूत्रों की माने तों महापौर को लेकर लग रहा सट्टा करोड़ों में पहुंच चुका है। सट्टा बाजार में भाजपा और निर्दलीय प्रत्याशी के बीच ही मुकाबला है। इस मुकाबले में निर्दलीय प्रत्याशी कुछ आगे है। सट्टा बाजार में तोमर की हजारों वोट से जीत की बात कह रहा है। ये अनुमान सट्टा बाजार में राजनीतिक दलों और उनके नेताओं की जनता के बीच राय पर बना है। ऐसे में सट्टा बाजार में प्रत्याशियों की हार-जीत पर 10 पैसे से डेढ़ रुपए तक का भाव चल रहा है।
