ओडीओपी: उद्योग लगाने वालों का अब क्या हाल है... किसी को नहीं पता

ओडीओपी: उद्योग लगाने वालों का अब क्या हाल है... किसी को नहीं पता

अनुपम सिंह, बरेली, अमृत विचार। एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) के तहत सिस्टम के सुनहरे वादों के झांसे में आकर जिन लोगों ने तीन साल पहले बैंक से लोन लेकर औद्योगिक इकाइयां लगाई थीं, उनका अब क्या हाल है, यह उद्योग विभाग में किसी को पता ही नहीं है। इन इकाइयों को बतौर अनुदान जो सब्सिडी मिलनी थी, वह भी अब तक फंसी हुई है क्योंकि अफसरों ने औद्योगिक इकाइयों का सर्वे करने की ही सुध नहीं ली।

ओडीओपी की शुरुआत जिले में 2018-19 में हुई थी। पहले साल 20 लोगों ने बैंक से लोन लेकर सूक्ष्म एवं लघु उद्योग की श्रेणी में आने वाली औद्योगिक इकाइयां इस योजना के तहत लगाई थीं। इनमें से कितनी औद्योगिक इकाइयां चल रही हैं और कितनी बंद हो चुकी हैं, जिला उद्योग केंद्र में नीचे से ऊपर तक इसकी जानकारी किसी को नहीं है। वजह यह है कि अधिकारियों ने पिछले तीन सालों में इन औद्योगिक इकाइयों का एक बार भी सर्वे तक नहीं कराया। अफसरों की इस बेपरवाही की वजह से औद्योगिक इकाइयां चलाने वालों को सब्सिडी भी नहीं मिल पाई है।

दरअसल, ओडीओपी के तहत किसी भी उद्योग की फाइल मंजूर होने के दो वित्तीय वर्ष के बाद उसका सर्वे करने का प्रावधान है, इसी के बाद उद्यमी को बतौर अनुदान सब्सिडी मिलने का रास्ता साफ होता है। 2018-19 में स्थापित हुई औद्योगिक इकाइयों का इस हिसाब से 2022-23 में सर्वे किया जाना था लेकिन अफसरों ने इसकी सुध नहीं ली।

इस बार 99 लोगों को देना है लोन... अब तक सिर्फ 25 आवेदन
ओडीओपी योजना की शुरुआत के बाद पहले वित्तीय वर्ष 2018-19 में 20 लाभार्थियों को लाभ मिला था। इसके बाद 2019-20 में 44 लाेगों की फाइल बैंकों से मंजूर हुईं। 2020-21 में शासन ने बरेली को 120 औद्योगिक इकाइयों के लिए 300 लाख के ऋण का लक्ष्य दिया, इसके सापेक्ष 105 इकाइयों को बैंकों से 157.27 लाख का लोन मिला। 2021-22 में 110 इकाइयों के लिए 275 लाख लक्ष्य की तुलना में 128 लाभार्थियों को 304.45 लाख का लोन दिया गया। 2022-23 में 120 औद्योगिक इकाइयों के लिए 300 लाख का लक्ष्य था। इसमें 113 इकाइयों को 321.80 लाख का लोन मिला। चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 में 99 औद्योगिक इकाइयों के लिए 297 लाख का लक्ष्य मिला है। मगर अब तक 25 लोगों के ही आवेदन आए हैं। इनमें लोगों ने जरी-जरदोजी, केन फर्नीचर, स्वर्णकारी जैसे उद्योगों के लिए लोन मांगा है।

अफसरों ने स्टाफ की कमी को बताया कारण
सहायक प्रबंधक जिला उद्योग केंद्र कौशल कुमार के अनुसार दो वित्तीय वर्ष के बाद उद्योग केंद्र और लोन देने वाली बैंक संयुक्त रूप से सर्वे करती है। औद्योगिक इकाइयों की स्थिति का आकलन कर उसी के मुताबिक लाभार्थी को सब्सिडी जारी की जाती है। अभी दो-चार इकाइयों का ही सर्वे हो पाया है। स्टाफ की कमी की वजह से देरी हो रही है। इसी कारण 2018-19 के लाभार्थियों का अनुदान लटका है।

ओडीओपी योजना के तहत औद्योगिक इकाइयों के स्थापित होने के दो वित्तीय वर्ष के बाद उनका सर्वे करने का निर्देश है ताकि पता चल सके की उनकी स्थिति क्या है। 2018-19 में लगे उद्योगों का सर्वे पिछले साल होना था, लेकिन इसमें एक साल पिछड़ गए हैं। अब जल्द ही सर्वे शुरू होने वाला है।-ऋषि रंजन गोयल, उप आयुक्त उद्योग

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