बरेली: कोरोना से पहले आवेदन...पांच बार सर्वे पर अभी तक नहीं मिला प्रधानमंत्री आवास

बरेली: कोरोना से पहले आवेदन...पांच बार सर्वे पर अभी तक नहीं मिला प्रधानमंत्री आवास

बरेली, अमृत विचार। सरकारी योजनाओं का लाभ हर जरूरतमंद को नहीं मिल पा रहा है। फरियादी अफसरों के दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं पर मदद के नाम पर सिर्फ आश्वासन मिलता है। शनिवार को सदर तहसील में संपूर्ण समाधान दिवस में एसडीएम सदर प्रत्यूष पांडेय के सामने पेश होकर कई पीड़ितों ने समस्याएं बताईं। किसी ने पारिवारिक, विधवा पेंशन का लाभ न मिलने तो किसी ने बरसों पहले किए आवेदन के बाद भी किस्त न मिलने और कभी भी घर गिरने की समस्या बताकर व्यवस्था को कटघरे में खड़ा किया। 

सुभाषनगर निवासी राजेंद्र कुमार ने एसडीएम को समस्या बताई कि कोरोना शुरू होने से पहले मकान बनवाने के लिए पीएम आवास के लिए आवेदन किया था। मकान की हालत इतनी खराब है कि कभी भी गिर सकता है। डूडा कार्यालय से लेकर तहसील से पांच बार सर्वे हो चुका है, लेकिन लाभ नहीं मिला। कहा कि ऐसे में परिवार काफी डरा है। कभी भी कोई हादसा हो सकता है।

केस-1
मदद नहीं, सिर्फ आश्वासन
पिपरिया घघोरा गांव की रहने वाली कौशल्या देवी ने बताया कि उनके पति की मौत दो साल पहले हो चुकी है। राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ के लिए वह दौड़ लगा रही हैं। सारे दस्तावेज तैयार कराकर जमा करा दिए हैं। आवेदन अभी तक स्वीकृत नहीं हुआ। विकास भवन से लेकर स्थानीय स्तर पर अधिकारियों से कई बार मिलीं। सभी आश्वासन देते हैं, लेकिन कहीं से भी मदद नहीं हुई।

केस-2
डेढ़ साल से दौड़ रही हूं
पिपरिया निवासी रानी देवी ने बताया कि विधवा पेंशन नहीं मिल पा रही है। पहले नैनीताल रोड पर स्थित एसबीआई बैंक में आती थी, लेकिन काफी समय से नहीं आ रही है। संबंधित अधिकारी के पास कई बार जाकर गुहार लगा चुकी हूं। वह कहते हैं कि, जल्द ही समस्या दूर कर दी जाएगी। डेढ़ साल से दौड़ रही हूं। व्यवस्था से अब उम्मीद ही खत्म होती जा रही है।

केस-3
अधिकारी सही से बात नहीं करते
घघोरा पिपरिया की नन्ही देवी को राष्ट्रीय पारिवारिक योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। तीसरी बार संपूर्ण समाधान दिवस में पहुंची। बताया अधिकारियों के पास कितनी बार गई, पता नहीं, लेकिन कोई सुनता नहीं है। अधिकारी सही से बात तक नहीं करते हैं। समस्या बताओ तो कहते हैं काम हो जाएगा , लेकिन समस्या जस की तस है। आवेदन ऑनलाइन हो चुका है पर लाभ नहीं मिल पा रहा है।

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