प्रयागराज : चुनाव उम्मीदवारों की केवल सहमति के आधार पर पुनर्मतगणना कानून सिद्धांत के विपरीत
अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्राम पंचायत, भरौल तहसील सिरसागंज, फिरोजाबाद में ग्राम प्रधान के पद के लिए उप विजेता उम्मीदवार सुमन देवी द्वारा दाखिल एक चुनाव याचिका में वोटों की पुनर्गणना के आदेश को रद्द कर दिया। उक्त आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ ने याची सुमन देवी की चुनाव याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया। दरअसल याची ने सक्षम प्राधिकारी के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया था कि मतदान से 2 दिन पूर्व प्रधान पद प्रत्याशी की मृत्यु हो गई थी। इसके अलावा याची द्वारा ग्राम प्रधान के चुनाव में मतगणना में धांधली का आरोप भी लगाया गया था, लेकिन इसके समर्थन में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया और यह भी उल्लेख नहीं किया गया था कि प्रत्याशी किस पार्टी से था और अगर प्रत्याशी की मृत्यु हुई तो उसके उपरांत चुनाव पर क्या प्रभाव पड़ा।
चुनाव याचिका यूपी पंचायत राज अधिनियम,1947 की धारा 12-सी के प्रावधानों के तहत दाखिल की गई थी। विपक्षी संख्या तीन के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि कम जीत के अंतर को देखते हुए चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए पुनर्मतगणना जरूरी है। सभी तर्कों एवं परिस्थितियों पर विचार करने तथा विवादित आदेश की जांच करने के बाद न्यायालय ने पाया कि निर्धारित प्राधिकरण को चुनाव कानून के सुस्थापित सिद्धांतों के ज्ञान की कमी है।
चुनाव याची याचिका में उठाए गए मुद्दों का समर्थन करने वाले कोई सबूत देने में विफल रही थी और सभी मुद्दों का फैसला उसके खिलाफ किया गया था। इसके बावजूद सहायक सामग्री की कमी के कारण पुनर्गणना के अस्वीकृत मुद्दे की अवहेलना करते हुए निर्धारित प्राधिकरण ने विपक्षियों की सहमति के आधार पर पुनर्मतगणना का आदेश पारित कर दिया था, जिसे कोर्ट ने कानूनी रूप से अस्थिर मानकर रद्द कर दिया। अदालत ने फिरोजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट को आदेश पर ध्यान देने तथा अधिनियम की धारा 12 के तहत निर्धारित प्राधिकारी के रूप में कार्यरत अधिकारियों को आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करने का निर्देश देते हुए उक्त आदेश की एक प्रति प्रमुख सचिव, उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ को प्रेषित करने का आदेश दिया।
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