बदायूं: बिसौली तहसील परिसर बना चिड़ियों का बसेरा, दीवारों पर लगाए गए लकड़ी के रंग-बिरंगे घोसले
बदायूं, अमृत विचार। बदलते वातावरण और पेड़-पौधों का कटान होने व कच्चे घरों की जगह पक्के मकान बनने से पक्षियों को रहने के लिए दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं। इससे पक्षियों की संख्या लगातार घटती जा रही है। पक्षियों की कुछ प्रजातियां तो लोप हो गई हैं, जिसका असर मानव जीवन पर पड़ रहा है। डीएम मनोज कुमार की प्रेरणा से तहसीलदार अशोक सैनी ने बिसौली तहसील परिसर में दीवारों पर लकड़ी के घोसले बनवाकर टंगवाए हैं। इन घोसलों में चिड़ियों ने अपना बसेरा भी बना लिया है, जिन्हें देखकर तहसील आने वाले लोग खुश होते हैं।
बिसौली तहसीदार अशोक सैनी ने बताया कि उन्होंने पूरे तहसील परिसर में लोहे के 32 घोसले टंगवाये हैं। एक घोसला बनवाने में लगभग साढ़े चार सौ रुपये का खर्च आया होगा। इन घोसलों को अलग-अगल रंग रंगा गया, जिससे आकर्षित लगें। इन घोसलों को लगवाए एक महीना के करीब हो गया। इनमें ब्लैक हैडेड (क्राउन ), नाईट हेरोन, केटल एग्रेट, लिटिल कामरोरेट, गौरैया और कबूतर आदि चिड़ियों ने अपना आशियाना बना लिया है।
तहसीलदार अशोक सैनी ने बताया कि इन घोसलों को इस तरह से बनाया गया है कि पक्षी आसानी से अंदर और बाहर आ जा सकें। उनके अंडे और बच्चे भी सुरक्षित रहे। वहीं कोई दूसरा जानवर इन पक्षियों पर हमला न कर सके। उनका कहना है कि तहसील आने वाले लोग चिड़ियों को आते जाते और घोसले में बैठे देख काफी खुश होते हैं। तहसीलदार अशोक सैनी ने बताया कि चिड़ियां दिन में इधर-उधर घूमकर दाना चुगती हैं। रात को अपने आशियाने में आ जाती हैं। तेज धूप होने पर कुछ चिड़ियां दोपहर में भी घोसले में आकर बैठ जाती हैं। चिड़ियों के पीने के पानी की व्यवस्था भी तहसील परिसर में की गई है।
तहसीलदार अशोक सैनी ने बताया कि तहसील परिसर में खड़े पेड़ों पर बंदर रहते हैं, जो चिड़ियों पर हमला कर देते थे। बंदरों के घोसला उजाड़ने से चिड़ियों के अंडे या बच्चे नीचे गिर जाते थे। यह देखकर उन्होंने तहसील परिसर में छत के नीचे घोसले लगाने के बारे में सोचा। इसको लेकर डीएम से भी प्रेरण मिली। इसके बाद उन्होंने निजी खर्चे व जन सहयोग से तहसील परिसर में 32 घोसले लगवाए। अधिकांश घोसलों में चिड़ियों ने अपना बसेरा बना लिया है।
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