Human Trafficking : Kanpur के सुरेश मांझी की आठ माह बाद मौत, मानव तस्करों द्वारा दी गई यातनाएं नहीं कर पा रहा था बयां

Amrit Vichar Network
Published By Nitesh Mishra
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कानपुर में मानव तस्करों की यातनाओं से सुरेश मांझी की मौत।

कानपुर में मानव तस्करों की यातनाओं से सुरेश मांझी की मौत हो गई। देर रात हालत बिगड़ने पर हैलट अस्पताल पहुंचाया था।

कानपुर, अमृत विचार। काम की तलाश में बिहार से कानपुर आए सुरेश मांझी का जीवन सजा बन गया था। मानव तस्करों के चक्कर में फंसे युवक को इतनी यातनाएं दी गईं, कि वह खौफ के मारे अपना दर्द तक बयां नहीं कर सका। पुलिस प्रशासन ने दिल्ली तक उसका इलाज कराया। लेकिन करीब आठ महीने बाद असहनीय पीड़ा से युवक की मौत हो गई। परिजनों के अनुसार घटना के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर आक्रोश व्याप्त है। पुलिस ने सुरेश के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।   

मूलरूप से बिहार में सीवान जिले के गोरियाकोठी के पिपरा गांव का रहने वाला 30 वर्षीय सुरेश मांझी नौबस्ता थानाक्षेत्र अंतर्गत यशोदा नगर कॉलोनी की एक कच्ची बस्ती में दिहाड़ी मजदूरी कर परिवार का पेट पालता था। करीब आठ वर्ष पहले उसकी शादी सीमा से हुई थी। एक वर्ष बाद एक बेटी मीनाक्षी को जन्म दिया। लेकिन बच्ची होने के कुछ साल के बाद ही अचानक उसकी पत्नी कहीं चली गई। तब से बेटी को वो और उसके बड़े भाई रमेश पाल रहे थे।

सुरेश मांझी रोजाना सड़क के किनारे खड़ा होकर मजदूरी का इंतजार करता था। पिछले वर्ष रोज की तरह काम की तलाश में वो घर से निकला था लेकिन फिर नहीं लौटा। 30 अक्टूबर की शाम को जब छठ पूजा के लिए लोग पूजा घाट पर जा रहे थे तभी किदवई नगर में एक युवक ने शोर मचाना शुरू कर दिया। युवक मदद की गुहार लगाते हुए चीखता चिल्लाता रहा। सभी के सामने कार सवार कुछ लोग युवक को फेंककर वहां से भाग निकले थे। युवक देख और चल नहीं पा रहा था। जरा सा उठते ही उसके हाथ पैर लड़खड़ाने लग रहे थे। उसने लोगों से कानपुर में ही होने की बात पूछी।

जिस पर लोगों ने हां का जवाब दिया था। यह शख्स और कोई नहीं बल्कि मानव तस्करों द्वारा अगवा किया गया सुरेश मांझी था। मानव तस्करों का शिकार हुआ सुरेश किसी तरह लोगों की मदद से अपने घर पहुंचा जहां देखकर लोग उसे पहचान नहीं पाए थे। जब किसी तरह से उसे पहचाना गया तब उसने भिखारी गैंग के बारे में पूरी कहानी बताई। जिस पर लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। आनन-फानन घायलावस्था में सुरेश को परिजन नौबस्ता थाने लेकर पहुंचे। जहां पुलिस ने तुरंत उसे हैलट अस्पताल में भर्ती करा दिया था।

उसने अपने साथ हुई आपबीती जब पुलिस और मीडियाकर्मियों को बयां कि तो सबसे होश उड़ गए। सुरेश का एक और छोटा भाई प्रवेश है। परिजनों का कहना था कि नवबंर से लगातार दिल्ली से लेकर हैलट, काशीराम में उसका इलाज चल रहा था। दो दिन पहले हैलट अस्पताल 10 जून को उसकी छुट्टी हुई थी। डॉक्टरों ने उसकी हालत बेहद नाजुक बताई थी। परिजन सुरेश मांझी को घर ले गए थे, जहां रविवार देर रात हालत बिगड़ने पर उसे हैलट लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में  

जला देने वाली गर्मी में काम की तलाश में था खड़ा

मई-जून की जला देने वाली गर्मी में एक दिन सुरेश मांझी मंडी में खड़ा था। जहां विजय नाम का शख़्स पहुंचा और बढ़िया पैसा देने की बात कही। इस पर सुरेश तुरंत तैयार हो गया था। दोनों ई-रिक्शा से झकरकटी की तरफ चल पड़े थे। यहां बस स्टैंड के पास बनी झुग्गी झोपड़ियां हैं। विजय चालाकी से सुरेश को एक झुग्गी में ले गया था। सुरेश ने आपबीती पुलिस को बताते हुए कहा था कि यहां कुछ देर रुकने के बाद अचानक सुरेश को दो-तीन लोगों ने पकड़कर घसीटा। सुरेश जब तक कुछ समझ पाता इसके पहले ही आंखों में कोई ची़ज़ डाल दी गई थी। सुरेश दर्द और जलन से चीखने चिल्लाने लगा। आसपास लोग तमाशा देखते रहे, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था। बताया था कि उसे शॉल डालकर अंदर ले जाया गया था। ट्रेन और बस के शोर में उसका दर्द भी दब गया था। उसे तीन दिन तक यहां रखा गया था। बताया था कि कुछ पूछने पर बदले में पिटाई मिलती थी। पुलिस को बताया था कि एक रात विजय उसके हाथ-पैर बांधकर मछरिया इलाके में एक घर में ले गए थे। कहा था कि उसे केवल भीख मांगनी की बात कही जाती थी। मना करने पर तरह-तरह से यातनाएं दी जाती थीं। आरोप था कि दो-तीन लोग उठाकर पटक देते थे। चोटों और दर्द से बेहाल हो जाता था। दो रोटी के साथ बेतहाशा मारपीट। आरोप लगाया था कि वह दब दर्द से छटपटाता था तो उसे इंजेक्शन लगा दिया जाता था। 

सिर मुंडवाकर 70 हजार में बेचा गया

मानव तस्करों ने सुरेश की एक आंख से अंधा कर हाथ-पैर पंजे तोड़ दिए गए थे। करीब 12 दिनों तक मछरिया इलाके के घर में ही रखा। शरीर को भी कई जगह से जलाया गया। चापड़ से दाढ़ी के पास गहरा घाव किया गया। उसने पुलिस को परिजनों के सामने बताया था कि उसके चेहरे का हुलिया ही बदल दिया गया। इसके बाद उसे दूसरे इलाके में रखा गया और एक महिला से 70 हजार रुपये में उसे बेचा गया। इससे पहले गैंग के सदस्यों ने उसे गंजा कर दिया था। गोरखधाम एक्सप्रेस के दिव्यांग कोच से उसे दिल्ली ले जाया गया था। वहां नांगलोई ठिकाना था। यह जगह ऊंची थी। वहां पहुंचने के लिए दूर तक चलना पड़ता था। रेलवे लाइन के किनारे गली नंबर-10 में बनी झुग्गियों में काफी लोगों के बीच सुरेश को रखा गया। सभी का एक काम था, भीख मांगना।

दिन में कई घंटे मांगते थे भीख

सुरेश ने हैलट अस्पताल में कहा था कि भीख मांगने का काम सुबह चार बजे से शुरू होता था। ज़्यादातर मौकों पर रेलवे लाइन के किनारे भीख मांगनी होती थी। लकड़ी की एक गाड़ी में उसे बैठना होता था। एक बार में सात-आठ लोग भीख मांगने के लिए जाते थे। ऐसे कई ग्रुप बनाए जाते थे। कभी किसी बेसहारा व्यक्ति ने भीख मांगने से इनकार किया, तो उसे पकड़कर घसीटा जाता था। कभी किसी ने ऊंची आवाज़ में बात करने की हिम्मत की, तो दो मंज़िला घर की छत से नीचे भी फेंक दिया जाता था। जबरन भिखारी बनाए गए लोगों को दिन में बस एक बार खाना दिया जाता था। खाना गाड़ी में आता था। उस जगह से दूर, जहां सभी लोग बैठ होते थे। भूख से तड़पते लोग दो रोटी लेने जाते थे।

खौफ इतना कि कभी मुंह नहीं खोला

सुरेश लकड़ी की जिस गाड़ी पर बैठकर या लेटकर भीख मांगता, उसे कोई दूसरा व्यक्ति चलाता था। दर्द और खौफ के इस माहौल में सुरेश की कभी हिम्मत नहीं हुई कि वह चिल्लाकर लोगों को कुछ बता सके। हर दिन भीख में एक हज़ार या पंद्रह सौ रुपये मिलते थे, लेकिन दरिंदों का पेट इससे नहीं भरता था। लगातार नशे के इंजेक्शन, मारपीट और दरिंदगी का असर यह हुआ कि सुरेश का शरीर जल गया। जब दरिंदों को लगा कि वह मर जाएगा, तो वे उसे डॉक्टर के पास ले गए। डॉक्टर ने इलाज में 35 हज़ार रुपये खर्च होने की बात कही थी। सुरेश ने बताया था कि आधा पैसा इलाज में लगने के कारण उसे गैंग ने वापस भेजने के बारे में सोच लिया था। इसके बाद वह लोग उसे किदवई नगर में फेंक कर भाग निकले थे। 

सरगना और उसकी मां हुई थी गिरफ्तार, विजय फरार

सुरेश मांझी को यातनाएं देकर भीख मंगवाने वाले मानव तस्कर सरगना राज नागर और उसकी मां आशा देवी को तो नौबस्ता पुलिस ने दबाव पड़ने पर गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन जिसने उसकी आंखे फोड़ी और पंजे तोड़े आरोपी विजय अभी तक फरार है। पुलिस हर बार रटा रटाया बयान दे देती है। गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में दबिश दे रही है।

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