बरेली: डॉक्टर माता-पिता के नक्शे कदम पर चलेंगे होनहार
बरेली, अमृत विचार। राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) में शहर के चिकित्सकों के बेटे और बेटियों ने भी सफलता का परचम लहराया है। बच्चों की सफलता से उनके माता- पिता गदगद हैं। डॉक्टर माता- पिता भी चाहते हैं कि चिकित्सा के क्षेत्र में उनके बच्चे उनसे भी आगे बढ़ें और अंर्तराष्ट्रीय फलक पर नाम रोशन करें। इस बार शहर के सात डॉक्टरों के बच्चों ने नीट में सफलता प्राप्त की है।
पिता की तरह आर्यमन बनना चाहते हैं बाल रोग विशेषज्ञ
शहर के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश कुमार अग्रवाल के बेटे आर्यमन कुमार ने नीट में 720 में से 637 अंक प्राप्त कर परिवार और जनपद का नाम रोशन किया है। डॉ. राजेश ने बताया कि उनका बेटा शुरू से ही पढ़ाई को लेकर गंभीर रहा है। आर्यमन भी पिता की तरह बाल रोग विशेषज्ञ बनना चाहते हैं। वह बताते हैं कि उनके पिता के पास कैंसर से ग्रस्त बच्चे आते हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर उपचार के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं होने की स्थिति में ऐसे बच्चों को लखनऊ और दिल्ली के अस्पतालों में रेफर करना पड़ता है। बताया कि कैंसर ग्रस्त बच्चों का विशेषज्ञ बन कर उनकी सेवा करना चाहता हूं।
माता की पिता की प्रेरणा से मिली सफलता
नीट में 640 अंक अर्जित कर कुशाग्र बास ने माता-पिता डॉ. अंकुर बास और डॉ. छवि बास का सपना साकार किया है। उनकी इस सफलता से उत्साहित पिता डॉ. अंकुर का कहना है कि बेटे पर पढ़ाई को लेकर कभी दबाव नहीं बनाया। कुशाग्र का कहना है कि परीक्षा की तैयारी के दौरान वह नियमित रूप से शिक्षकों के मार्गदर्शन के अनुसार अध्ययन करते रहे। कहा कि वह इस क्षेत्र में निर्धन परिवार की निस्वार्थ सेवा करना चाहते हैं, जो गंभीर रोगों का इलाज नहीं करा पाते हैं। उन्होंने कहा कि माता पिता की प्रेरणा से उन्हें यह सफलता प्राप्त हुई है।
चिकित्सा के क्षेत्र में नया प्रयोग कर करना चाहती हैं अग्रिमा
नीट में 644 अंक हासिल कर अग्रिमा ने पिता डॉ. वीवी सिंह और मां प्रो. नूपुर सोनी नाम रोशन किया है। बिटिया की सफलता से खुश डा. वीवी सिंह का कहना है कि चिकित्सा शिक्षा के प्रति अग्रिमा का शुरू से ही रूचि रही है। अग्रिमा ने बताया कि परीक्षा की तैयारियों के दौरान शिक्षकों का मार्गदर्शन बहुत कारगर रहा। वह पढ़ाई के साथ मेडिटेशन भी करती रहीं। उन्होंने सफलता का श्रेय माता- पिता को दिया।
सुमित का न्यूरो में सुपर स्पेशलाइजेशन करने का सपना
वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉ. सुधीर गुप्ता और गायनोकोलॉजिस्ट मां डॉ. पूजा गुप्ता के पुत्र सुमित गुप्ता ने नीट में 659 अंक प्राप्त किए हैं। उन्होंने इसी वर्ष 95.8 फीसदी अंकों के साथ 12 वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की है। सुमित का कहना है कि वह पिता की तरह न्यूरो में सुपर स्पेशलाइजेशन करना चाहते हैं। बताया कि परीक्षा की तैयारी में शिक्षकों के साथ माता -पिता का मार्गदर्शन मिला।
बहन जोया के बाद आरिश का भी चयन
नीट में 670 अंक प्राप्त करने वाले आरिश बेग ने बताया कि तैयारी को लेकर वह हमेशा नियमित रहे। माता - पिता के साथ शिक्षकों के मार्गदर्शन के अनुसार तैयारी में जुटे रहे। बेटे की सफलता से पिता डाॅ अनिश बेग और मां डाॅ. फेहमी खान खुश हैं। उन्होंने बताया कि बेटा शुरू से ही मेहनती रहा है। बताया कि उनकी एक बेटी जोया बेग भी इन दिनों लखनऊ से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है। आरिश ने बताया कि तैयारी के दौरान क्रिकेट और शतरंज खेलकर खुद को तरोताजा रखा।
मोबाइल और सोशल मीडिया से दूरी सफलता का मंत्र
प्रांजल गोयल ने 623 अंकों के साथ परीक्षा में सफलता अर्जित की है। उन्होंने बताया कि परीक्षा की तैयारी के दौरान मोबाइल और सोशल मीडिया को उपयोग करना पूर्ण रूप से बंद कर दिया था। शिक्षक व माता -पिता का मार्गदर्शन कारगर रहा । बताया कि वह कार्डियोलॉजिस्ट बनना चाहते हैं। एसआरएमएस में पिता डॉ. राहुल कुमार गोयल और डॉ. नीता गोयल ने बताया कि बेटे ने पहले प्रयास में ही सफलता प्राप्त की है। वह शुरुआत से ही चिकित्सा क्षेत्र में भविष्य संवारना चाहता था।
बिना कोचिंग सफलता हासिल कर माता- पिता का मान बढ़ाया
नीट में 620 अंक प्राप्त करने वाले सजल कुमार ने पदमावती स्कूल से 12 वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की है। बेसिक शिक्षा विभाग में भोजीपुरा ब्लाक के चौपारा में तैनात शिक्षिका मां अर्चना शंकर की मेहनत और पूर्वोत्तर रेलवे इज्जतनगर मंडल चिकित्सालय में तैनात पिता डा. मनोहर कुमार के मार्ग दर्शन से सजल ने यह सफलता अर्जित की है। सजल बताते हैं कि 12वीं की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने नीट की तैयारी शुरु कर दी। किसी कोचिंग का सहारा नहीं लिया। सजल ने बताया कि उनकी मंशा है कि सरकारी मेडिकल कॉलेज में उन्हें दाखिला मिल जाए। लखनऊ का किंगजार्ज मेडिकल कॉलेज में पढ़ने का मन है। वह न्यूरो फिजिशियन बनना चाहते हैं।
माता- पिता की तरह रिषभ भी बनना चाहते हैं न्यूरोसर्जन
नीट में 668 अंक प्राप्त करने वाले रिषभ पिता डाॅ. मुकुल अग्रवाल की तरह ही न्यूरोसर्जन बन कर भविष्य संवारना चाहते हैं। उनका कहना है कि समर्पण और लगन के साथ जुटा जाए तो कोई काम असंभव नहीं। मां डाॅ. रीमा गोयल बताती हैं कि बेटा शुरू से ही पढ़ाई के प्रति गंभीर रहा है। पिता डाॅ. मुकुल का कहना है कि बेटे पर शिक्षा को लेकर कभी भी किसी क्षेत्र में जाने को लेकर दबाव नहीं बनाया।
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