हिरासत आदेश पर अधिकारियों से नाखुशी जताते हुए हाईकोर्ट ने कहा- अधिकारों के साथ है जिम्मेदारी भी बढ़ती

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Published By Om Parkash chaubey
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मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने ‘लापरवाही पूर्ण तरीके’ से हिरासत का आदेश देने पर दादरा और नगर हवेली के जिलाधिकारियों पर अप्रसन्नता जताते हुए कहा कि ज्यादा अधिकारों के साथ जिम्मेदारी भी बढ़ती है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख की खंडपीठ ने 18 अप्रैल को आदेश जारी किया था जिसकी प्रति बृहस्पतिवार को उपलब्ध हुई।

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खंडपीठ ने तीन लोगों को हिरासत में रखने के जिलाधिकारी के नवंबर 2022 के तीन आदेशों को रद्द कर दिया था। अदालत ने कहा, ‘‘ज्यादा अधिकारों के साथ जिम्मेदारी भी बढ़ती है।’’ उसने कहा कि हिरासत के आदेश बहुत ही लापरवाही पूर्ण तरीके से जारी किये गये और दर्शाते हैं कि बिना सोचे-विचारे फैसला किया गया।

पीठ ने केंद्रशासित प्रदेश दमन दीव को निर्देश दिया कि हिरासत में रखे गये तीनों लोगों को चार सप्ताह के अंदर 20-20 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाए। एक याचिका वकील विशाल श्रीमाली ने दायर की थी जिनके खिलाफ हिरासत का आदेश जारी किया गया था और दूसरी याचिका संगीता राठौड़ ने दायर कर अपने बेटे और पति के खिलाफ जारी हिरासत आदेश को चुनौती दी थी। 

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