बरेली: रबड़ फैक्ट्री की भूमि पर मालिकाना हक का 28 को आएगा फैसला

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Published By Moazzam Beg
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बरेली, अमृत विचार। आखिरकार रबड़ फैक्ट्री की 18 अरब से अधिक कीमत की भूमि पर मालिकाना हक पर फैसला सुनाए जाने की तारीख घोषित हो गई। गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने अहम सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और अलकेमिस्ट रि-कंस्ट्रक्शन एसेट कंपनी के अधिवक्ताओं की ओर से दाखिल लिखित पक्ष को देखा। कोर्ट रूम में दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं ने बहस भी की। बहस पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने केस में फैसला सुनाने की 28 जून की तारीख निर्धारित की।

राज्य सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सी सिंह और मुंबई के वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश दुबे पाटिल ने पक्ष रखा। यूपीसीडा के क्षेत्रीय प्रबंधक संतोष कुमार भी कोर्ट रूप में पैरवी के दौरान उपस्थित रहे। इधर महज पांच दिन के बाद फैसला किस पक्ष में आए, इसको लेकर जिला प्रशासन और अलकेमिस्ट के अधिकारियों की बेचैनी और बढ़ गई है।

रबड़ फैक्ट्री केस में बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2 फरवरी को अहम सुनवाई की थी। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने साक्ष्यों के साथ राज्य सरकार का पक्ष रखा था। इसके बाद हाईकोर्ट ने अलकेमिस्ट एसेट रि-कंस्ट्रक्शन कंपनी का पक्ष सुना। तब अलकेमिस्ट के वकील से कई बिंदुओं पर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सी सिंह ने बहस की थी। उस दिन के बाद 15 फरवरी की तारीख लगी। उस दिन न्यायाधीश की तबीयत ठीक नहीं थी, इसलिए 16 की तारीख लगी। उस दिन सुनवाई न होकर 17 फरवरी को हुई। इसके बाद 22 फरवरी की तारीख लगी। इस तारीख में फैसला सुरक्षित रख लिया गया था लेकिन फैसला सुनाए जाने की तारीख घोषित नहीं हुई।
अचानक बदल दी गई थी तारीख

इसके बाद से अचानक केस की बेंच बदल गई थी। पुरानी बेंच में ही केस की सुनवाई कराने के लिए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट में अर्जी लगाई। कई माह के बाद पुरानी बेंच में ही सुनवाई शुरू हुई थी। जून में पहले 6 और फिर 12 तारीख लगी। 22 के बाद 28 जून को फैसले की तारीख दे दी गई। बॉम्बे हाईकोर्ट में पिटीशन संख्या 999/2020 अलकेमिस्ट एसेट्स रिकंस्ट्रक्शन लिमिटेड बनाम मैसर्स सिंथेटिक एंड केमिकल्स लिमिटेड व अन्य में शासन की ओर से हस्तक्षेप आवेदन दाखिल है। हस्तक्षेप आवेदन कर राज्य सरकार ने रबड़ फैक्ट्री की जमीन को अपना बताते हुए सेठ किला चंद को लीज पर देने और फैक्ट्री बंद होने पर जमीन स्वत: राज्य सरकार के खाते में आने से संबंधित लीज डीड की कॉपी भी साक्ष्य के रूप में कोर्ट को पहले ही दे दी थी।

1960 में बनी फैक्ट्री 15 जुलाई 1999 में कर दी गई थी बंद
फतेहगंज पश्चिमी में रबड़ फैक्ट्री के लिए 1960 के दशक में मुंबई के सेठ किलाचंद को 1382.23 एकड़ जमीन उपलब्ध करायी गई थी। तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने 3.40 लाख रुपये लेकर जमीन लीज पर दी थी। जो लीज डीड बनी थी उसमें यह शर्त शामिल की थी कि जब फैक्ट्री बंद होगी, तब सरकार जमीन वापस ले लेगी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया था। यह फैक्ट्री 15 जुलाई 1999 को बंद हो गई थी।

डिप्टी ऑफिशियल लिक्विडेटर बोले-शपथपत्र जरूरी, न मिलने पर भुगतान नहीं
कारपोरेट कार्य मंत्रालय के ऑफिशियल लिक्विडेटर (आधिकारिक परिसमापक) बॉम्बे हाईकोर्ट के डिप्टी ऑफिशियल लिक्विडेटर वीजी निपेन और एसएंडसी कर्मचारी यूनियन की ओर से केस की पैरवी कर रहे अधिवक्ता अकबर निहाल रिजवी के बीच गुरुवार को अहम बातचीत हुई। जिसमें डिप्टी ऑफिशियल लिक्विडेटर ने अधिवक्ता को बताया कि जिस डाटा को सही माना गया है उन सभी कर्मचारियों की ओर से शपथपत्र मिलना जरूरी है। 

साक्ष्यों के दस्तावेज के साथ अग्रवाल एंड पुरी चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा तैयार कर्मचारियों के क्लेमों की सूची को ही फाइनल किया है। उसी सूची के अनुसार कर्मचारियों को पत्र भेजकर सूचित किया जा रहा है, लेकिन बिना शपथ पत्रों को दिये भुगतान नहीं किया जाएगा। इधर एसएंडसी कर्मचारी यूनियन के महासचिव अशोक मिश्रा ने बताया कि कर्मचारियों में अब मालिकाना हक पर फैसले का बेसब्री से इंतजार है। फैसला सुनाए जाने के बाद ही कर्मचारियों को देनदारियों का भुगतान जल्द मिलेगा।

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