मुरादाबाद : दो करोड़ की गोशाला में प्रबंध का दावा, फिर भी सड़कों पर गोवंश...जोखिम में नागरिकों की जान

Amrit Vichar Network
Published By Bhawna
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स्मार्ट सिटी में यातायात में बाधक बन रहे छुट्टा पशु, गाहे-बेगाहे कार्रवाई कर कर्तव्य की इतिश्री

विनोद श्रीवास्तव, अमृत विचार। मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी निराश्रित-बेसहारा गोवंश आश्रय योजना में दो करोड़ रुपये की लागत से बने कान्हा गोशाला में सुविधाओं के दावे के बाद भी स्मार्ट सिटी की सड़कों पर गोवंश विचरण रहे हैं। जबकि इस गोशाला में गोवंश रखने की क्षमता वर्तमान में पशुओं की संख्या से काफी अधिक है। फिर भी गोवंश के सड़कों पर छुट्टा विचरण करने से सुचारू यातायात में अड़चन है। निगम के अधिकारी इन पशुओं को नियंत्रित करने में सफल नहीं हो रहे हैं। वह गाहे बेगाहे कार्रवाई कर कर्तव्य की इतिश्री कर रहे हैं। 

नगर निगम प्रशासन की देखरेख में योजना के तहत मैनाठेर में 7070 वर्गमीटर क्षेत्रफल में 199.70 लाख रुपये की लागत से कान्हा गोशाला संचालित है। इस गोशाला को प्रदेश की सर्वश्रेष्ठ बताने वाले निगम के अधिकारी स्मार्ट सिटी में सड़कों पर घूम रहे छुट्टा पशुओं को यहां रखवाने में आनाकानी करते हैं। पिछले कार्यकाल में कार्यकारिणी बैठक में वार्ड 47 के पार्षद डॉ. गौरव श्रीवास्तव ने अपने क्षेत्र में सांड़ के आतंक से निजात दिलाने की मांग की थी। कई बार प्रयास के बाद किसी तरह निगम के कर्मचारियों ने उसे पकड़ा। यह स्थिति आज भी महानगर में लगभग हर प्रमुख सड़क, वार्डों की गलियों और चौक चौराहे पर दिख रही है। कई बार यह निराश्रित गोवंश वाहनों से टकराकर गंभीर रूप से चोटिल होकर सड़कों पर तड़पते हैं, लेकिन इनकी सुधि लेने तंत्र के पहरेदार नहीं पहुंचते।

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खुद मुख्यमंत्री भी कर चुके हैं निरीक्षण
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कान्हा गोशाला का निरीक्षण किया था। उन्होंने सुविधाओं को देखकर सराहना करते हुए और उत्कृष्ट करने के लिए कहा था। जिसपर प्रशासनिक और नगर निगम के अधिकारियों ने हामी भरी थी। 

कान्हा गोशाला में सुविधाएं हैं। लेकिन स्मार्ट सिटी की सड़कों पर विचरण करने वाले 90 प्रतिशत गोवंश पशुपालकों के हैं। जब इन्हें नगर निगम की टीम वाहनों में पकड़ कर ले आती है तो पशुपालक छुड़ाने आ जाते हैं। यह सही है कि इनसे सड़कों पर यातायात की समस्या बढ़ती है। पकड़े गए गोवंश को छोड़ने से पहले चालान काटा जाता है। डेयरी संचालक व ग्रामीण भी सड़कों पर इन्हें छोड़ देते हैं। गोवंश का गोबर नाले में डालने से जलनिकासी में भी अड़चन है। इसके स्थायी समाधान का प्रयास है। -संजय चौहान, नगर आयुक्त 

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