अयोध्या : SIR में मतदाताओं की मैपिंग में छूट रहा पसीना, स्थान बदलने व शहर में आने वालों को पुरानी सूची में ढूंढना टेढ़ी खीर
अयोध्या, अमृत विचार। विशेष प्रगाढ पुनरीक्षण में मतदाताओं की मैपिंग में अधिकारियों-कर्मचारियों के पसीने छूट रहे हैं। आम लोगों से सहयोग की अपेक्षा खरी नहीं उतर रही है। 2003 की सूची से मतदाता का नाम मिला पाना मुश्किल का सबब बन गया है। खासतौर से स्थान बदल कर दूसरे जिले या दूसरे स्थान पर रहने वालों का नाम मिलाना टेढ़ी खीर हो गया है। हाल पूरे जिले का एक जैसा है। हालांकि निर्धारित समय में काम पूरा किए जाने का दावा है।
क्या है व्यवस्था
व्यवस्था यह है कि एसआईआर में गणना प्रपत्र भरने वालों का नाम नई सूची में शामिल करने के लिए साल 2003 की सूची से मिलाया जाए। पुरानी सूची का डिटेल देना होगा। ऐसा न होने पर आलेख्य प्रकाशन में मतदाता का नाम शामिल नहीं हो सकता। नाम शामिल न होने की की स्थिति में वह मतदाता नहीं बन सकता है।
क्या है विकल्प
सूची में नाम न मिलने पर आयोग ने 13 विकल्प दिए हैं। इनमें हाईस्कूल की अंकतालिका, साल 1987 से पहले का राशनकार्ड में नाम, साल 1987 के पहले की बैंक पासबुक, इसी दौरान का जन्म प्रणाम पत्र आदि कागज देने होंगे। खास बात यह है कि पुरानी सूची के लिए लोगों के लिए आधार कार्ड इसके लिए मान्य नहीं है।
झेलनी पड़ रही कई तरह की दुश्वारियां
गणना प्रपत्र भर दिया। 2003 का डिटेल नहीं है। मिलान के लिए बीएलओ को कई घरों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है। नाम न लिखने बीएलओ व्यथा बताते हैं, पहले उनसे पूछताछ होती है। कहां से, कौन हो। परिचय पत्र दिखाओ। 2003 में निवास भी नहीं बता पाते। स्थिति यह है। बहुत से लोग नए स्थान पर बसे हैं। साल 2025 की मतदाता सूची में मतदाता हैं लेकिन वह 2003 में रहने का स्थान भी नहीं बता पा रहे हैं। मैपिंग के लिए दूसरे जिलों की सूची से नाम तक खोजे जा रहे हैं।
दलों का सहयोग केवल कहने भर को
राजनीतिक दलों का सहयोग न के बराबर है। दिखावे के लिए बैठकें हो रही हैं। एक अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि क्या कहें, केवल शिकायत आती है। जमीन पर सूची साझा होने के बाद भी सहयोग नहीं मिल पा रहा है। सरकारी काम माना जा रहा है। सच्चाई यह भी है कि फिलहाल कोई चुनाव अभी नहीं है इसलिए भी शिथिलता है। आज सूची कोई दुरुस्त कराए, टिकट किसी ओर के हत्थे लग जाए। चर्चा यह भी है।
