प्रयागराज : लंबे आपराधिक इतिहास रखने वाले अपराधियों को अग्रिम जमानत उचित नहीं

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Published By Pradumn Upadhyay
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अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि लंबे आपराधिक इतिहास वाले व्यक्तियों की अग्रिम जमानत उचित नहीं है, क्योंकि मुक्त होने पर उनके द्वारा सामाजिक अशांति फैलने की प्रबल संभावना रहती है। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकलपीठ ने मोहित उपाध्याय व दो अन्य की याचिका की सुनवाई के दौरान दी।

कोर्ट ने आगे कहा कि याचियों का 11 मामलों का लंबा आपराधिक इतिहास है। अतः वर्तमान अग्रिम जमानत याचिका को गुणहीन पाते हुए खारिज कर दिया गया। याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याचियों और शिकायतकर्ता के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। इस दौरान शिकायतकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों द्वारा याचियों के खिलाफ कुल मिलाकर 11 मामले दर्ज कराए गए हैं। उक्त मामलों को छोड़कर याचियों का कोई अन्य आपराधिक इतिहास नहीं है।

गौरतलब है कि 10 अगस्त 2016 को रात्रि लगभग 10:00 बजे शिकायतकर्ता की पत्नी पर डंडा से हमला किया गया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गईं । इसके बाद कानपुर नगर के बर्रा थाना में शिकायतकर्ता ने आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दिनांक 10 जनवरी 2021 को मामला दर्ज कराया।

याची के अधिवक्ता ने अग्रिम जमानत के लिए तर्क प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया कि शिकायतकर्ता के बहनोई राधे कृष्ण उपाध्याय कानपुर नगर में एक अधिवक्ता हैं और एक प्रभावशाली व्यक्ति भी हैं, जो अपने कनिष्ठों के साथ याचियों पर दबाव डाल सकते हैं और उनके द्वारा याचियों पर हमले किए जाने की पूरी आशंका है।

अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि याची अपराधी हैं और वह बार-बार सामान प्रकृति के अपराध करने में शामिल रहे हैं। पीड़िता एक महिला है और उसके सिर पर गंभीर चोटें आई हैं। याचियों के पास 11 मामलों के आपराधिक इतिहास की कोई व्याख्या नहीं है, क्योंकि उन्होंने अन्य मामलों के जमानत आदेश संलग्न नहीं किए हैं।

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