अयोध्या : निगम 200 स्थानों पर लगवाएगा बायो डाइजेस्टर टॉयलेट और ड्रेस चेंगिंज रूम

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Published By Virendra Pandey
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अयोध्या, अमृत विचार। जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर निर्माण के साथ वैश्विक पर्यटन नगरी का आकार ले रही अयोध्या को आधुनिक सुख-सुविधाओं से सुसज्जित करने की कवायद तेज हो चली है। सुख सुविधाओं की स्थापना में पर्यावरण तथा स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। अयोध्या नगर निगम ने सरयू के किनारे बायो डाइजेस्टर टॉयलेट और ड्रेस चेंजिंग रूम की स्थापना का निर्णय लिया है। इसके लिए निगम प्रशासन ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। 

गौरतलब है कि रामनगरी अयोध्या में ऐतिहासिक सावन झूला मेला, कार्तिक पूर्णिमा मेला और रामनवमी मेले का आयोजन होता है। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद वृहद स्तर पर दीपोत्सव का आयोजन किया जा रहा है और इसको प्रान्तीयकृत मेले का भी दर्जा दिया गया है। इन मेलों में लाखों की तादात में श्रद्धालु आयोध्या आते हैं। अब तो आम दिनों में भी यहां श्रद्धालुओं और पर्यटकों की अच्छी-खासी भीड़ दिख रही है। जिसको लेकर अयोध्या नगर निगम ने श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुविधा के लिए सरयू नदी के किनारे स्नान घाटों और आसपास 200 बायो डाइजेस्टर टॉयलेट तथा 200 ड्रेस चेंजिंग बूथ स्थापित कराने की योजना बनाई है। इसके लिए निगम की ओर से प्रस्ताव आमंत्रित किया गया है।

इन स्थानों पर लगवाने की है योजना 

नगर निगम की ओर से अभी सरयू के किनारे स्थित सरयू घाट, रामघाट, लक्ष्मण घाट, तुलसी घाट, कच्चा घाट, हेलीपैड, श्मशान घाट, राम की पैड़ी, सरयू आरती घाट व चौधरी चरण सिंह घाट तथा इसके आसपास बायो डाइजेस्टर टॉयलेट और ड्रेस चेंजिंग बूथ लगवाने की योजना है। अयोध्या आने वाले श्रद्धालु स्नान के लिए इन्हीं सरयू के घाटों पर आते हैं और मेला के दौरान यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है। 

क्या है बायो डाइजेस्टर टॉयलेट

बायो डाइजेस्टर टॉयलेट में अवशेष को हटाने के लिए टैंक की सफाई अथवा खाली करने की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती है। शौचालय को फ्लश करने के बाद अपशिष्ट सीधे पहले कक्ष में जमा होता है जहां ठोस पदार्थ टैंक के निचले भाग में चला जाता है और इस कक्ष में मौजूद एनारोबिक बैक्टीरिया अपशिष्ट को तोड़ने का काम शुरू कर देते हैं। पहला कक्ष भरने के बाद तरल पदार्थ दूसरे कक्ष में प्रवाहित होने लगता है और यहां भी वही प्रक्रिया संपादित होती है। हालांकि दूसरे कक्ष में ठोस कचरा पहले की अपेक्षा कम होता है। अपशिष्ट ठोस कचरा तीसरे कक्ष तक पहुंचते काफी न्यून हो जाता है यहां से पानी बाहर निकलने को तैयार होता है। इस पानी में कोई हानिकारक तथा रोग पैदा करने वाले विषाणु नहीं होते। इस प्रकार के टॉयलेट की सबसे खास खूबी यह है कि इसके प्रयोग के दौरान कोई हानिकारक गैस नहीं निकलती, जिससे पर्यावरण भी संरक्षित रहता है।

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