बरेली: निवेश और रोजगार का हवाई महल... जमीन का इंतजाम किए बगैर करा डाले धड़ाधड़ एमओयू

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Published By Moazzam Beg
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अनुपम सिंह, बरेली, अमृत विचार। जिस इन्वेस्टर्स समिट के जरिए हजारों करोड़ के औद्योगिक निवेश के साथ हजारों युवाओं को रोजगार देने का जमकर डंका बजाया गया, वह अब लगातार सवालों में घिरती जा रही है। मुख्यमंत्री की नजर में नंबर बढ़ाने के लिए अफसरों ने उद्यमियों के आगे वादों की झड़ी लगाकर धड़ाधड़ एमओयू तो करा डाले लेकिन अब एकाएक अड़चनों का अंबार सामने खड़ा हो गया है।

जमीनों की कमी की उद्यमियों की शिकायतें भी शासन की बड़ी चिंता बनी हुई है। उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव ने डीएम को पत्र भेजकर तत्काल औद्योगिक क्षेत्रों के पास उपलब्ध 15 एकड़ से ज्यादा के भूखंडों का ब्योरा देने को कहा है।

लखनऊ में फरवरी 2022 में आयोजित इन्वेस्टर्स समिट में बरेली के भी सैकड़ों उद्यमियों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था। इनवेस्टर समिट में बरेली से 534 इकाइयों के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे। बाद में अफसरों ने इनकी संख्या 568 बताई थी। दावा किया था कि 568 इकाइयों के स्थापित होने से 40.85 हजार करोड़ का निवेश मिलने के साथ करीब 42 हजार लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

मगर अब सितंबर में होने जा रही ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी से पहले ही धीरे-धीरे इन दावों की हवा निकलनी शुरू हो गई है। सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के साथ उद्यमियों की समस्याओं पर कोई निर्णय न लिए जाने जैसे आरोप पहले से थे, अब जमीनों की कमी भी उद्योग लगाने में बड़ी बाधा के तौर पर सामने आई है।

उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव अनिल कुमार सागर ने डीएम को इस बारे में पत्र भेजा है। इसमें उन्होंने कहा है कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान किए गए एमओयू को आगे बढ़ाने के लिए निवेशक लगातार जमीन की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर शासन स्तर पर भी कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं जिसमें तय हुआ है कि निवेशकों को जिला स्तर पर जमीन की उपलब्धता के बारे में जानकारी देना बेहद जरूरी है।

इसलिए उद्यमियों की सहूलियत के अनुसार 15 एकड़ से ज्यादा क्षेत्रफल के निकटस्थ भूखंडों को चिह्नित कर प्राथमिकता के आधार पर जानकारी दी जाए ताकि निवेशकों को लैंड बैंक की रियल टाइम जानकारी दी जा सके। यह पत्र प्रदेश के दूसरे डीएम को भी जारी किया गया है। जमीन की उपलब्धता के बारे में ईमेल पर जानकारी देने को कहा गया है।

उद्यमियों के सामने अड़चनें ही अड़चनें
1- औद्योगिक क्षेत्र परसाखेड़ा में भूखंड ही उपलब्ध नहीं हैं, जबकि कई निवेशक यहीं अपनी इकाई स्थापित करना चाहते हैं।
2- सीबीगंज और भोजीपुरा औद्योगिक क्षेत्र में अफसर समस्याओं काे हल नहीं करा पा रहे हैं, पहले से चल रहे उद्योग ही दिक्कतों में घिरे हैं। निवेशक दोनों में से किसी क्षेत्र में नया उद्योग नहीं लगाना चाहते।
3- भू उपयोग परिवर्तन में उद्यमियों को भारी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। बीडीए के भारीभरकम शुल्क पर उद्यमियों को एतराज है।
4- प्राइवेट इंडस्ट्रियल एरिया के तौर पर विकसित हुए रजऊ में भी बीडीए के शुल्क की वजह से निवेशक हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
5- कई निवेशक सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार को भी उद्योग न लगा पाने की वजह बता चुके हैं। ये लोग जमीन पर करोड़ों खर्च करने के बाद भी उद्योग नहीं लगा पाए हैं।

प्रमुख सचिव का पत्र हमें मार्क किया गया है। डीएलसी से बात कर इस बारे में जानकारी मांगी है। शासन को जानकारी भेजने में अभी समय है। जल्द सूचना भेज दी जाएगी। - दिनेश, एडीएम प्रशासन

85 फीसदी निवेशकों के सामने जमीन की दिक्कत
इन्वेस्टर्स समिट में एमओयू करने वाले 85 फीसदी निवेशकों के सामने जमीन की दिक्कत बनी हुई है। इसे प्रमुख सचिव और मुख्य सचिव के सामने भी उठाया जा चुका है लेकिन कुछ राहत नहीं मिलती दिख रही है। चूंकि सरकार को सर्किल रेट से चार गुना ज्यादा रेट पर जमीन की कीमत देनी होगी, इसलिए वह खुद जमीन खरीदने के बजाय उद्यमियों से ही जमीन की व्यवस्था करने को कह रही है। - तनुज भसीन, चैप्टर चेयरमैन आईआईए

जब तक जमीन की समस्या का समाधान नहीं होगा, तब तक कोई बात बनने वाली नहीं है। उद्योग की स्थापना के लिए जमीन खरीदकर काम शुरू करने पर पूरे क्षेत्रफल का टैक्स लिया जाता है। सरकार चाहती तो है उद्योग लगाए जाएं, लेकिन भूखंड ही नहीं हैं। बड़े उद्यमी इनवेस्ट कर सकते हैं मगर छोटे उद्यमी जो अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, उनके सामने दिक्कत है। हालांकि डीएम लगातार बैठकें कर समस्या काे सुलझाने की कोशिशें कर रहे हैं। - विमल रेवाड़ी, मंडलीय चेयरमैन आईआईए

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