केजीएमयू : कुलपति के फेयरवेल प्रोग्राम में भावुक हुये टीचर, 21 साल में पहली बार किसी वीसी को इस तरह दी गई विदाई

केजीएमयू : कुलपति के फेयरवेल प्रोग्राम में भावुक हुये टीचर, 21 साल में पहली बार किसी वीसी को इस तरह दी गई विदाई

लखनऊ, अमृत विचार। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में शनिवार को कुलपति ले.ज.डॉ.बिपिन पुरी के लिए फेयरवेल प्रोग्राम आयोजित किया गया। मेडिकल कॉलेज से मेडिकल विश्वविद्यालय बनने के बाद पहली बार कुलपति के लिए विदाई समारोह का आयोजन किया गया था। इससे पहले किसी भी वीसी को इस तरह कार्यक्रम आयोजित कर विदाई नहीं दी गई। केजीएमयू के सेल्वी हाल में इस फेयरवेल प्रोग्राम का आयोजन केजीएमयू शिक्षक संघ की तरफ से किया गया था।

दरअसल, केजीएमयू के कुलपति ले.ज.डॉ.बिपिन पुरी का कार्यक्राल 9 अगस्त को समाप्त हो रहा है। इसी के चलते आज केजीएमयू टीचर एसोसिएशन ने कुलपति डॉ. बिपिन पुरी के लिए फेयरवेल प्रोग्राम का आयोजन किया। कार्यक्रम की शुरूआत में केजीएमयू शिक्षक संघ के महासचिव प्रो.संतोष कुमार ने कुलपति डॉ.बिपिन पुरी से मुखातिब होते हुये उनके कार्यकाल को बेहतर बताया। साथ ही टीचर एसोसिएशन की समस्याओं के निराकरण के लिए कुलपति की तरफ से किये गये कार्यों की सराहना की। प्रो.संतोष कुमार ने बताया कि कुलपति डॉ.बिपिन पुरी के कार्यकाल की वजह से ही पहली बार फेयरवेल प्रोग्राम का आयोजन किया गया है। इससे पहले किसी भी वीसी के लिए फेयरवेल प्रोग्राम आयोजित नहीं किया गया।

कार्यक्रम में प्रो.आरएस. कुशवाहा अपने संबोधन के दौरान भावुक हो गये । उन्होंने कहा कि यह पल काफी भावुक करने वाला है, कुलपति ले.ज.डॉ.बिपिन पुरी 24 घंटे में से 18 घंटे केजीएमयू और मरीजों की भलाई के लिए काम करते रहे। वहीं डॉ.आरके. दीक्षित ने कहा कि जब डॉ.बिपिन पुरी कुलपति बनकर केजीएमयू आये उस समय कोरोना वायरस का काल चल रहा था और मै मथुरा में था, मेरी मुलकात नहीं हुई थी, लेकिन मैने सुन रखा था कि वीसी साहब सेना से है तो मुझे काफी डर लग रहा था, लेकिन जब मैं उनसे मिला तो मेरा डर जाता रहा है। उसके बाद लगा कि आदमी मजेदार है। डॉ.आरके दीक्षित की यह बात सुन सेल्वी हाल में बैठे लोग अपनी हंसी रोक नहीं पाये।

कुलपति डॉ.बिपिन पुरी भी टीचर के संबोधन सुन भावुक हो गये और उन्होंने कहा कि भारतीय सेना में हमें सिखाया गया है कि हमें जो काम करना है वह करना ही है। उन्होंने बताया कि केजीएमयू में तीन साल का सफर काफी अच्छा रहा है। इस सफर में कई चुनौतियां थी, जिसमें सबसे बड़ी चुनौती कोरोना काल में मरीजों के इलाज की बेहतर व्यवस्था करना था, लेकिन चुनौतियां तब आसान हो गई जब लोगों ने एक साथ मिलकर काम करना शुरू किया। इस दौरान उन्होंने हिन्दी भाषा पर अपनी कमजोर पकड़ की भी चर्चा की। साथ ही सर्जरी विभाग के डॉ.अक्षय आनन्द और अमित की भरी सभा में तारीफ करते हुये कहा कि इनकी वजह से उनका काम आसान रहा। उन्होंने बताया कि इसके अलावा अन्य समस्याओं पर शिक्षकों से ही बात कर उनके जवाब के अनुसार कार्य किया गया। जिससे समाधान मिलता गया।

इस अवसर पर केजीएमयू की नवनियुक्त कुलपति प्रो.सोनिया नित्यानन्द समेत भारी संख्या में प्रोफेसर उपस्थित रहे।

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