बरेली: स्वास्थ्य विभाग के अपने ही गर्भ में रेडियोलॉजिस्ट नहीं... महिलाओं की जांच कैसे करे

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Published By Om Parkash chaubey
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जिले भर में बंद हुए अल्ट्रासाउंड, जिला महिला अस्पताल में आने गर्भवती महिलाओं को झेलनी पड़ रही है सबसे ज्यादा दिक्कत,सीएमएस के पत्र के पत्र के बावजूद अफसरों से नहीं मिल रहा है कोई ठोस जवाब

बरेली, अमृत विचार : जिला महिला अस्पताल में हर रोज 40 से 50 गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड करने की जरूरत होती है लेकिन यहां तैनात एकमात्र रेडियोलॉजिस्ट के ट्रांसफर के बाद अल्ट्रासाउंड पूरी तरह बंद हो गए हैं।

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स्वास्थ्य विभाग की बदहाली की कहानी सिर्फ इतनी नहीं है, इससे भी बड़ी बात यह है कि सिर्फ महिला अस्पताल नहीं बल्कि जिले के किसी सरकारी अस्पताल में अब अल्ट्रासाउंड नहीं हो पा रहे हैं। विभाग के अफसर काफी समय से शासन में लिखापढ़ी के अलावा कुछ कर नहीं पा रहे हैं और शासन न उनकी पहले सुन रहा था, न अब सुन रहा है। अल्ट्रासाउंड की सबसे ज्यादा जरूरत गर्भवती महिलाओं को पड़ती है, इस कारण रेडियोलॉजिस्ट न होने से सबसे ज्यादा परेशानी भी जिला महिला अस्पताल में हो रही है।

अस्पताल के बाहर अल्ट्रासाउंड इतना महंगा है कि कई गर्भवती महिलाएं अल्ट्रासाउंड कराकर रिपोर्ट लाने की सलाह देने के बाद लौटती ही नहीं है। महिला अस्पताल के एकमात्र रेडियोलॉजिस्ट के ट्रांसफर के बाद यहां की सीएमएस लगातार सीएमओ और एडी हेल्थ को पत्र लिखकर रेडियोलॉजिस्ट तैनात करने की मांग कर रही हैं, शासन को भी पत्र लिखे जा रहे हैं लेकिन हो कुछ भी नहीं पा रहा है।

18 पद मगर रेडियोलॉजिस्ट सिर्फ एक, वह भी मीरगंज में तैनात जहां मशीन ही नहीं: बरेली के स्वास्थ्य विभाग में रेडियोलॉजिस्ट के कुल 18 पद हैं लेकिन सीएमओ के अधीन भी अब एक ही रेडियोलॉजिस्ट बचा है जो मीरगंज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा अधिकारी के पद पर तैनात हैं। दिलचस्प यह है कि मीरगंज के अस्पताल में अल्ट्रासाउंड करने के लिए मशीन ही नहीं है, इस कारण रेडियोलॉजिस्ट होने के बावजूद वहां प्रशासनिक कार्यों के अलावा उनका कोई और उपयोग नहीं हो पा रहा है।

मुख्यालय पर जिला अस्पताल और महिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट न होने से मरीजों को भारी दिक्कत झेलनी पड़ रही है लेकिन फिर अधिकारी मीरगंज में तैनात रेडियोलॉजिस्ट को यहां लाने को तैयार नहीं हैं।

जो सुविधा मीरगंज में, वह बरेली में नहीं: हर महीने के तीन दिन एचआरपी यानी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी दिवस पर मरीजों की अल्ट्रासाउंड जांच की अनिवार्यता के कारण यहां स्वास्थ्य विभाग ने एक निजी मेडिकल कॉलेज को भुगतान कर अल्ट्रासाउंड कराता है। बरेली के महिला अस्पताल में ऐसा भी नहीं किया जा रहा है।

एक ही जवाब- जल्द कराएंगे तैनाती: सीएमएस डॉ. पुष्पलता शमी कहती हैं कि ओपीडी और आईपीडी में रोज करीब 50 मरीजों को अल्ट्रासाउंड की जरूरत होती है। उन्हें मना करना पड़ता है। एडी हेल्थ डॉ. पुष्पा पंत का कहना है कि जिले के सीएचसी-पीएचसी पर कोई रेडियोलॉजिस्ट तैनात है या नहीं, यह उन्हें पता नहीं है। सीएमओ को आदेश जारी कर जल्द महिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट तैनात कराया जाएगा।

कभी ई-सुश्रुत, कभी आभा आईडी बस इतना ही कर पा रहा है शासन: स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक नगर निगम चुनाव के दौरान बरेली को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने का सपना दिखा गए थे लेकिन उनके अपने विभाग की हालत लगातार खराब होती जा रही है। लोगों की चिकित्सा की मूलभूत जरूरत पूरी होने के लाले हैं लेकिन अनोखे नामों से नई-नई योजनाएं लागू हो रही हैं, उन पर भी क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है।

ऑनलाइन पर्चा बनवाने की सुविधा के लिए ई-सुश्रुत योजना इस घोषणा के साथ महिला अस्पताल के साथ फरीदपुर, मीरगंज, बिथरी, नवाबगंज, रामनगर, बहेड़ी सीएचसी में लागू की गई थी कि मरीजों को पर्चा बनवाने में घंटों इंतजार नहीं करना पड़ेगा लेकिन कई केंद्रों पर इसे शुरू नहीं किया जा सका है। आभा आईडी भी नहीं बन पा रही है।

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