'सेवा शुल्क' की जगह 'कर्मचारी योगदान' शब्द का इस्तेमाल करें रेस्तरां: दिल्ली हाइकोर्ट

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Published By Moazzam Beg
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नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक रेस्तरां निकाय के सदस्यों से कहा कि वे अपने ग्राहकों से ‘सेवा शुल्क’ के रूप में राशि लेने की जगह ‘कर्मचारी योगदान’ शब्द का उपयोग करें। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने फेडरेशन ऑफ होटल्स एंड रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई) को निर्देश दिया कि वे अपने मेन्यू कार्ड में इसे स्पष्ट रूप से लिखें और कुल बिल का 10 प्रतिशत से ज्यादा शुल्क न लें। वह रेस्तरां और होटल को खाने के बिल पर सेवा शुल्क लेने से रोकने वाले दिशानिर्देशों के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थीं। 

उन्होंने कहा, ‘‘वे यह स्पष्ट करेंगे कि यह शुल्क सरकार ने नहीं लगाया है।’’ एफएचआरएआई ने अदालत को बताया कि उसके सदस्यों के 3,300 से अधिक प्रतिष्ठान हैं और उनके बीच सेवा शुल्क लगाने के संबंध में कोई एकरूपता नहीं है। उन्हें यह राशि लेने के लिए किसी वैकल्पिक शब्द के इस्तेमाल पर कोई आपत्ति नहीं थी। अदालत ने आदेश दिया, ‘‘जीएसटी को छोड़कर यह 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। मेन्यू कार्ड में बड़े अक्षरों में यह बताना होगा कि प्रतिष्ठान को कोई अतिरिक्त टिप नहीं दी जाएगी।’’ अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह केवल एक अंतरिम आदेश है, और कहा कि मामले को अगली सुनवाई के लिए तीन अक्टूबर को सूचीबद्ध किया जाए। 

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