बरेली: कुतुबखाना पुल : दिसंबर की डेडलाइन बनी गले की फांस

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Published By Om Parkash chaubey
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दिन में तंग सड़क पर भीड़भाड़ की वजह से काम करना मुश्किल, रात में तेजी से काम करने में जोखिम, लोकसभा चुनाव की वजह से जल्द काम पूरा करने का बना हुआ है दबाव

बरेली, अमृत विचार : कुतुबखाना में फ्लाईओवर का विरोध कर रहे व्यापारियों को शांत करने के लिए अफसरों और नेताओं ने छह महीने में निर्माण पूरा कराने का हवाई वादा तो कर दिया लेकिन यही वादा उनके गले में फांस बनकर अटक गया है।

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तंग सड़क पर भीड़भाड़ वाले इलाके में इधर पुल का निर्माण रफ्तार पकड़ नहीं पा रहा है तो उधर लोकसभा चुनाव की वजह से दिसंबर में उसका निर्माण पूरा करने का दबाव बना हुआ है। हाल ही में निर्माण के दौरान हुए हादसे में एक मजदूर की मौत के बाद चुनौती और बढ़ गई है।

कुतुबखाना पुल का निर्माण शुरू कराते वक्त व्यापारियों को भरोसा दिलाया गया था कि पुल का निर्माण काफी तेजी से कराया जाएगा ताकि उनका कारोबार प्रभावित न हो, लेकिन अब करीब पूरा साल होने जा रहा है, फिर भी पुल का काफी निर्माण बाकी है।

निर्माण स्थल पर लोगों की आवाजाही और जगह की कमी तेजी से निर्माण में बाधक बनी हुई है। कोहाड़ापीर से कुतुबखाना पुलिस चौकी तक लोगों की भारी आवाजाही के बीच मशीनों से सामान लाना और ले जाना मुश्किल हो रहा है। इसी कारण हादसे का जोखिम उठाकर ज्यादातर काम रात के वक्त कराया जा रहा है।

अब तक व्यापारी वर्ग ही परेशान था, लेकिन लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ जनप्रतिनिधियों की भी बेचैनी बढ़ने लगी है। इसी कारण पुल का निर्माण दिसंबर तक पूरा करने का दबाव है। वन मंत्री और सांसद कई बार निर्माण की धीमी गति पर नाराजगी जता चुके हैं। इसके बावजूद मौके पर हालात ही ऐसे हैं कि काम तेजी से नहीं हो पा रहा है।

कोतवाली से कोहाड़ापीर तक निर्माण स्थल पर दिन में भारी भीड़भाड़ रहने और पिलर के बीच लोगों की बाइक खड़ी रहना प्रमुख बाधा है। निर्माण कार्य लंबा खिंचने के बाद अब व्यापारियों पर भी बहुत ज्यादा दबाव बनाने की स्थिति नहीं है।

दिन और रात में एक गति से नहीं किया जा सकता काम: कुतुबखाना पुल का निर्माण करा रही कार्यदायी संस्था के सुपरवाइजरों का कहना है कि मजदूरों के दिन और रात के वक्त काम करने में काफी अंतर होता है। फिर भी कंपनी हर दिन ज्यादा से ज्यादा काम पूरा करने की लगातार कोशिश कर रही है। इस समय आरई वाल बनाने का काम चल रहा है। पिलर की ढलाई रात में हो जाती है लेकिन आवाजाही के बीच दिन में काम तेजी से नहीं हो पाता है। मशीनों के आने की ही जगह नहीं रहती है।

मजदूरों को दिए गए सुरक्षा उपकरण: हादसे में मजदूर धनंजय की मौत के बाद मजदूरों को हेलमेट और सेफ्टी बेल्ट दी गई हैं। बृहस्पतिवार को मजदूर सुरक्षा उपकरणों के साथ काम करते दिखे। बाजार बंदी का दिन होने के कारण जिला अस्पताल के सामने जेसीबी से खुदाई की गई। कोहाड़ापीर की तरफ से पुल पर जाल बांधने का काम हुआ। दुकानें बंद रहने से लोगों की आवाजाही कम हुई तो काम कुछ तेजी से हो पाया।

कार्यदायी संस्था को सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए काम करने की हिदायत दी गई है। आरई वाल और जाल बांधने का काम किया जा रहा है। दिन में निरीक्षण किया था, मजदूर सेफ्टी बेल्ट लगाए मिले थे। - अरुण गुप्ता, डीपीएम सेतु निगम

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