बरेली: प्रत्येक जिले में बनेंगे ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन और रैनगेज, पूर्व में मिल सकेंगी मौसम संबंधी सभी जानकारी
पूर्व चेतावनी तंत्र विकसित करने को राज्य सरकार ने मंजूरी दी है, बरेली में दो तहसीलों में भूमि देखी गयी है, फाइनल नहीं
बरेली, अमृत विचार : हर जिले में मौसम की सटीक जानकारी समय से पहले मिलने के लिए राज्य सरकार ने पूर्व चेतावनी तंत्र विकसित करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने प्रत्येक जिले में ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन (एडब्ल्यूएस) और ऑटोमेटिक रैनगेज (एआरजी) की स्थापना करने को मंजूरी दी है।
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राहत आयुक्त के कार्यालय से निर्देश मिलने पर स्टेशनों की स्थापना कराने के लिए सभी जिले में भूमि चयनित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कुछ जिलों ने भूमि चयन भी की है। बरेली में फरीदपुर और बहेड़ी तहसील क्षेत्र में एडब्ल्यूएस व एआरजी की स्थापना के लिए भूमि देखी गयी है। अभी भूमि फाइनल नहीं की है। स्टेशन तहसीलों के परिसर में ही स्थापित किए जाएंगे।
कुछ सालों में प्रदेशभर में हुईं आपदा की घटनाओं को ध्यान में रखकर राज्य सरकार का कहना है कि आपदा प्रबंधन व आपदाओं के प्रभाव को न्यूनीकृत करने के लिए पूर्व चेतावनी तंत्र का सुदृढ़ होना अत्यंत आवश्यक है। इसके दृष्टिगत प्रत्येक जिले में एडब्ल्यूएस व एआरजी की स्थापना करने का निर्णय लिया है।
राहत आयुक्त कार्यालय के इमरजेंसी ऑपरेशन के परियोजना निदेशक अदिति उमराव की ओर से 6 सितंबर को जारी की गयी चिट्ठी में कहा है कि एडब्ल्यूएस व एआरजी की स्थापना में यह अधिक जरूरी कि पूरे जिले की मौसम संबंधी पूर्व चेतावनी विकसित कर संबंधित अधिकारियों को पूर्व चेतावनी की जानकारी दी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि जिलों से प्राप्त सूचनाओं के संकलन में यह साफ नजर आ रहा है कि एडब्ल्यूएस व एआरजी के स्थल निर्धारण में जनपद का पूर्ण क्षेत्र शामिल नहीं हो रहा है।
स्टेशनों के स्थल का सही चयन को अफसरों को दी गई ऑनलाइन ट्रेनिंग: ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन और ऑटोमेटिक रैनगेज के स्थल का सही चयन हो, ताकि उस जगह से पूरे जिले का क्षेत्र कवर हो जाए।
इसके लिए राहत आयुक्त कार्यालय और मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की ओर से जिलों के संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों को ऑनलाइन ट्रेनिंग दी गई। शुक्रवार को हुई ऑनलाइन ट्रेनिंग में बरेली, बदायूं, अलीगढ़, आगरा, अंबेडकरनगर, अमेठी, अमरोहा,
औरैया, अयोध्या, आजमगढ़, बागापत, बहराइच, बलिया, बलरामपुर, बांदा, बाराबंकी, बस्ती, बिजनौर, बुलंदशहर, चंदौली, चित्रकूट, देवरिया, एटा, इटावा और फर्रुखाबाद जिलों के अधिकारी शामिल हुए थे। कुछ जनपदों ने भूमि चयन की है लेकिन उससे पूरा जनपद का क्षेत्र कवर नहीं हो रहा है, इसलिए ट्रेनिंग दी गयी।
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