कानपुरवासियों के लिए अच्छी खबर, चेस्ट अस्पताल में होगी फेफड़ों की जांच, अब निजी पैथलॉजी जाने की नहीं पड़ेगी जरूरत
कानपुर के मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल में होगी फेफड़ों की जांच।
कानपुर के मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल में फेफड़ों की जांच होगी। 20 लाख रुपये से मशीन लगाई गई है। अब मरीजों को निजी पैथलॉजी में जांच कराने जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
कानपुर, अमृत विचार। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल में अब फेफेड़ों के सिकुड़ने, दमा, एलर्जी व ऑक्सीजन लेवल मात्रा जांचने की जांच आसानी से हो सकेगी। इसके लिए अस्पताल में करीब 20 लाख रुपये के कीमत की पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट मशीन स्थापित की गई है। इसका फायदा फेफड़ों के गंभीर रोगियों को अधिक होगा। जांच फीस सिर्फ 150 रुपये रखी गई है जबकि निजी पैथलॉजी में यह जांच डेढ़ से दो हजार में होती है।
रावतपुर स्थित मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल में ऐसे कई मरीज आते हैं जिनके फेफड़े सिकुड़ने की वजह स्पष्ट नहीं हो पाती है। साथ ही दमा व एलर्जी की भी जानकारी में दिक्कत होती थी। इसके अलावा यह जान पाना मुश्किल होता था कि फेफड़ों में ऑक्सीजन किस हिस्से में पहुंच रही है या किस हिस्से में नहीं। लेकिन पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (पीएफटी) से अब यह जांच असानी से हो सकेगी। मशीन से मरीजों की जांच करने की शुरूआत मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल में शुक्रवार से शुरू हो गई है।
चेस्ट फिजिशियन डॉ. आनंद कुमार ने बताया कि पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (पीएफटी) में फेफड़ों के कामकाज की जांच की जाती है। पीएफटी परीक्षण फेफड़ों के विकारों और श्वसन रोगों का निदान करने में मदद करता है। यह सही उपचार योजना तय करने और शुरू करने में भी मदद करता है। इससे यह जान सकते हैं कि फेफड़े में कितनी ऑक्सीजन है और किस हिस्से तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच रही है। इसके अलावा फेफड़ों के सिकुड़ने की वजह भी जान सकते हैं।
निजी लैब में महंगी है जांच
मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल के विभागाध्यक्ष डॉ. संजय वर्मा ने बताया कि निजी डायग्नोस्टिक सेंटर में यह पीएफटी जांच करीब 1500 से दो हजार रुपये में होती हैं। जबकि मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल में यह जांच मात्र 150 रुपये में होगी। सप्ताह में आने वाले करीब आठ से 10 मरीजों को इस जांच की जरूरत होती है। यह जांच सप्ताह में मंगलवार व शनिवार को यह जांच की जाएगी। वहीं, मशीन के संचालन के लिए एक टेक्नीशियन की मांग की गई है। अभी इस मशीन का संचालन डॉक्टरों द्वारा किया जा रहा है।
