कानपुर की पहली आतंकी घटना, आर्यनगर चौराहे पर मौरंग के ढेर पर फटा था कुकर बम, शहर से इतने आईएसआई एजेंट भी पकड़े गए
कानपुर के आर्यनगर चौराहे पर मौरंग के ढेर पर कुकर बम फटा था।
कानपुर के आर्यनगर चौराहे पर मौरंग के ढेर पर कुकर बम फटा था। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के कई एजेंट कानपुर से पकड़े जा चुके हैं।
कानपुर, [गौरव श्रीवास्तव]। कानपुर के दामन पर आतंकवादियों का बदनुमा दाग पहले से रहा है। शहर में आतंकी पहले कई घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं। आतंकियों द्वारा रमेश बाबू शुक्ला की हत्या का मामला हो या फिर आर्यनगर में कुकर बम ब्लास्ट का मामला, नई सड़क पर एडीएम सीपी पाठक की हत्या हो या किदवईनगर में टेंपों में टाइम बम विस्फोट का मामला। सभी में आतंकियों की संलिप्तता रही है।
इन घटनाओं ने शहर पर बदनुमे दाग छोड़े हैं। ट्रेन हादसों में भी आतंकी हाथ का शक जताया जा चुका है। पहले कई आतंकियों को कानपुर से गिरफ्तार किया गया है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के कई एजेंट कानपुर से पकड़े जा चुके हैं।
सन 2000 में कानपुर में थाना स्वरूप नगर क्षेत्र के आर्य नगर चौराहे पर मौरंग के ढेर पर एक कुकर में बम विस्फोट किया गया था और ये कानपुर में पहली आतंकी घटना थी जिससे कानपुर शहर हिल गया था। एडवोकेट शकील अहमद बुंदेल ने बताया कि पूरे एक साल तक पुलिस को किसी आतंकी का सुराग नहीं मिला और 16 मार्च 2001 को हुए दंगे में मारे गए एडीएम वित्त सीपी पाठक की हत्या के आरोपियों को ही पुलिस ने आर्यनगर की घटना का आरोपी बना दिया।
2001 में उनके विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल कर दिया। लेकिन पुलिस कोई भी सबूत नहीं पेश कर सकी और सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया गया पुलिस ने उन आरोपियों पर जितने भी मुकदमे लगाए जिनमें राष्ट्र दरोह जैसे गंभीर आरोप भी थे लेकिन पुलिस किसी भी मामले को अदालत में साबित नहीं कर सकी और अदालत ने सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया।
यहां तक कि एडीएम हत्या केस में सभी आरोपियों को न सिर्फ उच्च न्यायालय ने बरी किया बल्कि उच्चतम न्यायालय ने भी सभी आरोपियों को निर्दोष कहा और शासन की अपील खारिज कर दी। सभी आरोपी दोषमुक्त करार दिए गए।
आतंकी जो शहर से हुए गिरफ्तार
इंडियन मुजाहिदीन : असम के जमुनामुख, होजाई के सराक पिली गांव निवासी कमरुज्जमा उर्फ डॉ. हुरैरा को यूपी एटीएस ने 13 सितंबर वर्ष 2019 को चकेरी थानाक्षेत्र के शिवनगर स्थित उजियारी लाल यादव के मकान से गिरफ्तार किया था। कमरुज्जमा को हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकी बताया गया था। वह घंटाघर चौराहे के पास स्थित गणेश मंदिर पर हमले की साजिश कर रहा था। एटीएस अफसरों को यह भी पता चला था कि कमरुज्जमा के साथ दो-तीन और लोग कमरे में आते-जाते थे। इसमें एक स्थानीय शख्स भी था।
सिमी का गढ़ था कभी
स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से कानपुर का पुराना नाता है। 25 अप्रैल वर्ष 1997 को मोहम्मद सिद्दीकी ने अलीगढ़ में सिमी का गठन किया, जो जमात-ए-इस्लामी-ए- हिंद का छात्र संगठन था। 9/11 के आतंकी हमले के बाद आतंकी संगठन घोषित करके प्रतिबंधित कर दिया गया। वर्ष 1999 में सिमी का एक बड़ा सम्मेलन कानपुर में हुआ था, जिसके बाद यह संगठन शहर में तेजी के साथ फैला। वर्ष 2001 के दंगों में तत्कालीन एडीएम सीपी पाठक की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्या में सिमी के सदस्यों का नाम आया था। इसके अलावा वर्ष 2006 में रोशन नगर, 2008 में राजीवनगर, 2009 में नजीराबाद, 2010 में कल्याणपुर में विस्फोट की घटनाओं में आतंकियों का हाथ होने की आशंका पुलिस ने जताई थी।
शहर में दबोचे गए आईएसआई एजेंट
- 12 साल पहले : आईएसआई एजेंट मुन्ना पाकिस्तानी बाबूपुरवा से पकड़ा गया।
- 11 सितंबर 2009: सचेंडी से आईएसआई एजेंट इम्तियाज गिरफ्तार।
- 27 सितंबर-2009: बिठूर से आईएसआई एजेंट मोहम्मद वकास पकड़ा गया।
- 18 सितंबर-2011: रांची के दुर्वा में रहने वाला आईएसआई एजेंट फैसल रहमान रेलबाजार से पकड़ा गया। आरोप था कि फैसल भारत की गोपनीय सूचनाएं पाकिस्तान को भेजता था।
- जुलाई:2012: सेंट्रल स्टेशन से फिरोज नाम का आतंकी पकड़ा गया।
- अप्रैल-2014:पटना में विस्फोट के मामले में संदिग्ध आतंकी को पनकी स्टेशन से एटीएस ने पकड़ा।
