UP: सैफुल्लाह की संगत में बिगड़ गया आतिफ, घर पहुंची सुरक्षा एजेंसियां, गलियों में सन्नाटा, मौजूदा समय की ये है स्थिति

Amrit Vichar Network
Published By Nitesh Mishra
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कानपुर में सैफुल्लाह की संगत में आतिफ बिगड़ गया था।

कानपुर में सैफुल्लाह की संगत में आतिफ बिगड़ गया था। सुरक्षा एजेंसियां घर पहुंची। सादे कागजों पर हस्ताक्षर भी कराए। परिवार वालों ने घरों में खुद को कैद किया।

कानपुर, अमृत विचार। गुरुवार को सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य रमेश शुक्ला की हत्या में आतंकी आतिफ मुजफ्फर और मोहम्मद फैसल को मृत्युदंड की सजा सुनाए जाने के बाद रात में सुरक्षा एजेंसियां सक्रिय हो गईं। पुलिस सूत्रों ने बताया कि टीमों ने दोनों के घर पहुंचकर परिजनों से सादे कागजों पर हस्ताक्षर कराए। जिसके बाद दोनों परिवारों ने अपने को घर में कैद कर लिया है। वे अंदर से ही बातचीत कर रहे हैं। 

शुक्रवार को जब अमृत विचार की टीम ताड़बगिया इलाके में बाबा कुएं के सामने स्थित आतंकी आतिफ मुजफ्फर के निर्माणाधीन घर पहुंची तो उसका गेट खुला था, घर के अंदर धुलाई चल रही थी। इसके बाद अंदर से पतंग लेकर एक बच्चा निकला। जिसने आवाज देकर परिजनों को बुलाया। इसी दौरान लंबी दाढ़ी वाला एक व्यक्ति बाहर आया। जो आतंकी आतिफ मुजफ्फर का बड़ा भाई इमरान था। घर पर उनकी पत्नी के साथ आतंकी के माता-पिता थे। 

दीनी तालीम लेने के दौरान सैफुल्लाह से हुई थी मुलाकात

जब इमरान से बात करने के लिए कहा गया तो वह पहले शांत रहा इसके बाद गुस्सा होकर चले जाने की बात कही। समझाने के बाद इमरान बोला कि सैफुल्लाह की संगत से आतिफ गलत राह पर चल पड़ा था। पहले वह पढ़ाई के साथ उसकी जनरल मर्चेंट की दुकान में बैठता था। दीनी तालीम लेने के दौरान उसकी मुलाकात जाजमऊ टीला निवासी सैफुल्लाह से हो गई थी। 

अचानक व्यवहार में आया था बदलाव

उसके घर के सामने से केडीए जाने वाली सड़क मिलती है, जहां यात्री वाहनों की लाइन लगी दिखाई दी। लेकिन आसपास की गलियों में सन्नाटा पसरा दिखाई दिया। बहुत कोशिश करने पर आतिफ मुजफ्फर के पड़ोसी सब्जी विक्रेता विजेंद्र ने बताया कि वह कई वर्षों से यही रह रहा है। आतिफ यहीं दुकान पर बैठता था। कई बार सामान लेने के दौरान उससे मुलाकात हुई। पहले तो वह बहुत मिलनसार था, कभी किसी से लड़ाई झगड़ा नहीं करता था। चाचा कहकर संबोधित करता था। लेकिन वर्ष 2015 के अंत में उसका व्यवहार अचानक बदल गया था। इसके बाद कुछ साल पहले फोर्स यहां से उसे उठा ले गई थी।  

भारी फोर्स पकड़ कर यहां लाई थी 

जिस घर में एक बाइक नहीं थी, वहां कई बाइकें और कुछ चार पहिया वाहन आने लगे। उसके बाद जब एक साथ कई गाड़ियां आकर रुकीं और उन गाड़ियों में बैठे युवकों में एक युवक को नीचे उतारा गया तो मोहल्ले वालों की आंखें फटी रह गईं। ये युवक और कोई नहीं बल्कि वही आतिफ था जो कई सालों से इस घर में रह रहा था। भारी फोर्स उसे पकड़ कर यहां लाई थी। मोहल्ले वालों ने दबी जुबां बताया कि इसके आगे की कहानी अखबारों ने कह दी, अब फांसी की सजा के बाद कहानी खत्म हो गई। 

मोबाइल दिखाकर बरगलाने लगा था आतिफ

कुछ लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि घर पर तमाम लोगों का आना जाना शुरू हो गया था। आए दिन नए-नए चेहरे देखे जाते थे। रमजान के दौरान तरावीह पढ़ने के दौरान कुछ लोग आते थे और पूरी-पूरी रात बात करते थे। पड़ोस की गली में रहने वाले बेल्ट कारीगर ने बताया कि आतिफ के पिता नसीम बहुत सीधे हैं। वहीं कुछ लोगों ने बताया कि वह मोबाइल पर कट्टरपंथ और आईएसआईएस के वीडियो दिखाकर लोगों को बरगलाता था। 

अज्ञात स्थान पर ले जाया गया था 

आतिफ के बेहद करीबी कुछ लोग उसके साथ ऐसे अज्ञात स्थान पर गए जहां प्रोजेक्टर से आतंक की पाठशाला चल रही थी। इसके बाद जब वे वापस आए तो उनके होश उड़े हुए थे, इतनी दहशत थी कि वे कुछ बता नहीं सके। सूत्र बताते हैं कि कुछ लोग इसके बाद मोहल्ला छोड़कर ही चले गए। 

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