मुरादाबाद : रामगंगा की मिट्टी बनाएगी बिजली, स्मार्ट पानी का होगा प्रबंध
स्मार्ट वाटर मैनेंजमेंट एण्ड रिसाईकिल सिस्टम विषय का शोध वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय में पंजीकृत , 500 रुपए में सीवर के पानी का शोधन , 4,000 रुपए खर्च में पांच वाट की एलईडी रोशन हो सकेगी,
डा. क्षितिज सिंघल और अमित सक्सेना का फाइल फोटो
आशुतोष मिश्र, अमृत विचार। अब घर, दुकान और जीवनचर्या में बिजली की कमी दूर हो सकेगी। रोजाना के उपयोग के बाद का बेकार पानी बागवानी में सब्जी का उपहार दे सकेगा, जबकि सीवर का पानी गाड़ी की धुलाई और किचन गार्डन के पौधों को पानी देने के उपयोग में लाया जा सकेगा। इसके लिए जेब की छोटी सी धनराशि सहायक होगी। 5,00 रुपए से इस खोज का साथ मिल जाएगा, जबकि 3,000 से 4,000 रुपए के खर्च में हर कोई घर एलईडी की रोशनी से जगमग कर सकेगा। सीवर टैंक का जलशोधन भी हो जाएगा।
यह शोध यहां एमआईटी के डीएन एकडमिक्स डा.क्षितिज सिंघल ने डॉ.अमित सक्सेना, सहायक प्रोफेसर और डॉ.राजुल मिश्रा प्रमुख इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के साथ किया है, जिस प्रोजेक्ट का पेटेंट प्रकाशित भी हो चुका है। टीम ने स्मार्ट वाटर मैनेंजमेंट एण्ड रिसाईकिल सिस्टम विषय के खोज को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में पंजीकृत करा लिया है। दिल्ली स्थित एजेंसी में इस शोध का पटेंट भी हो चुका है। इस प्रोजेक्ट को एआईसीटीई इन्वेंटर्स चैलेंज के सेमीफाइनल के लिए भी शॉर्टलिस्ट किया गया है। इस एआईसीटीई आविष्कारक चुनौती के लिए पूरे भारत से 80 परियोजनाओं को चुना गया है, जिसमें ये प्रोजेक्ट भी है। टीम ने रामगंगा की मिट्टी (दलदल) में इस तरह की वैक्टीरिया की खोज की है जो सीवर टैंक के पानी में 10 से 15 दिन के भीतर बिजली का उत्पादन शुरू कर देगा।
टीम ने शोध पत्र में जानकारी दी है कि जल निस्पंदन और बिजली उत्पादन को संयोजित करने वाली प्रणाली अभूतपूर्व समाधान का प्रतिनिधित्व करती है। इस नवीन दृष्टिकोण में, जैसे ही पानी को फिल्टर और शुद्ध किया जाता है, यह एक विशेष रूप से डिजाइन की गई प्रणाली से गुजरता है जो बिजली उत्पन्न करने के लिए बायोडाइजेस्टर / माइक्रोबियल ईंधन सेल का उपयोग करता है। यह सरल तालमेल न केवल स्वच्छ और सुरक्षित पानी तक पहुंच प्रदान करता है, बल्कि नवीकरणीय ऊर्जा भी उत्पन्न करता है। यह टिकाऊ प्रौद्योगिकी का उल्लेखनीय उदाहरण है, जहां पानी की हर बूंद दोहरे उद्देश्य को पूरा करती है।
माइक्रोबियल ईंधन सेल किया प्रयोग
माइक्रोबियल ईंधन सेल जिसका उपयोग बिजली उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। यह माइक्रोबियल ईंधन सेल तार की जाली और रामगंगा नदी से लिए गए अपशिष्ट जल की कार्बनिक-पदार्थ सामग्री से बना है। फिल्टर किए गए पानी का उपयोग घरेलू उद्देश्यों जैसे पौधों को पानी देना, शौचालय में फ्लशिंग, वाहनों की धुलाई आदि के लिए किया जा सकता है। डा.क्षितिज का कहना है कि स्मार्ट वाटर मैनेंजमेंट एण्ड रिसाईकिल सिस्टम विषय का शोध वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय में पंजीकृत है। इस तरह से हम 500 रुपए खर्च में सीवर के पानी का शोधन , 4,000 रुपए खर्च में पांच वाट की एलईडी रोशन कर लेंगे।
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