
इस्लाम की बुनियाद है बेहतर अखलाख व अक्लमंदी : मौलाना
कासिम मंजिल में शब्बेदारी में मुकामी अंजुमनों ने की नौहाख्वानी व सीनाज़नी
अयोध्या, अमृत विचार। बेहतर अखलाख और अक्लमंदी इस्लाम की बुनियाद है। इसके बिना दीन के रास्ते पर चलना नामुमकिन है। यह बात मौलाना नदीम रज़ा ज़ैदी ने नहरबाग स्थित कासिम मंजिल में मंगलवार रात कदीमी शब्बेदारी की मजलिस में कही।
मौलाना ने कहा कि आजकल अक्लमंद उन्हें समझा जाता है जो इधर-उधर की करते हैं लेकिन अक्लमंदी इसे नहीं कहा जाता बल्कि अक्लमंद वो है जो दीन को समझे और उस पर अमल करे। उन्होंने कहा कि बेहतर अखलाख की शुरुआत खुद के अंदर और घर से होनी चाहिए। मौलाना ने कर्बला से लुटे काफिले का शाम में पहुंचने का मंजर पेश करते हुए मसायब बयान किए।
उन्होंने कहा कि फर्श अजा ऐसी जगह है जहां हर तालीम मिलती है। इससे पहले अलम मुबारक स्वर्गीय हैदर अली अलवी के यहां से बरामद होकर कासिम मंजिल पहुंचा। बाद मजलिस शहर की अंजुमनों नासरिया कदीम, गुंचे मज़लूमिया, इमामे जाफरिया, बज्मे नासरिया, अंजुमनें मासूमिया, हैदरिया, हुसैनिया, रूहे ईमान, अंजुमन शमशीरे हैदरी और अंजुमनें बज्मे अब्बासिया ने अपने - अपने मखसूस अंदाज में नौहाख्वानी और सीनाजनी की। शब्बेदारी की बुनियाद रखने वाले कासिम रजा की जल्द सेहतयाबी के लिए दुआएं की गईं।
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