नैनीताल: ब्रह्म मुहूर्त में मां नंदा-सुनंदा की प्रतिमाओं की हुई प्राण प्रतिष्ठा
नैनीताल, अमृत विचार। सरोवर नगरी नैनीताल में मां नंदा सुनंदा की प्रतिमाओं के ब्रह्म मुहूर्त में नैना देवी मंदिर में विधि विधान के साथ ब्रह्म मुहूर्त में मां नंदा सुनंदा की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई।
इस दौरान मुख्य पुजारी भगवती प्रसाद जोशी के नेतृत्व में मुख्य पूजा अर्चना की गई जिसमें पदमश्री अनूप साह और उनकी पत्नी यजमान रही। जिन्होंने मां नंदा सुनंदा की मुख्य पूजा अर्चना करी।पूजा के बाद माँ नंदा सुनंदा के प्रतिमाओ को भक्तो के दर्शानों के लिए खोल दिया। इसके बाद नैना देवी मंदिर मां के जयकारों के साथ गुंजायमान हो उठा।
मां के भक्ति सुबह 2 से मंदिर पहुंचकर लंबी-लंबी लाइनों में लग कर मां की पूजा अर्चना के लिए खडे रहे।इस दौरान जगदीश बवाड़ी, मुकेश जोशी मंटू,कमलेश ढौंडियाल,डिंपल जोशी,लता कुंजवाल,शीला जोशी,बृज मोहन जोशी, गिरीश जोशी मनोज साह ,अशोक साह ,जगदीश बावड़ी,विमल चौधरी, विमल साह ,राजेंद्र बिष्ट ,प्रो ललित तिवारी ,राजेंद्र लाल साह,भुवन बिष्ट,भीम सिंह कार्की, दीप्ति बोरा,मोहित साह,आनंद बिष्ट समेत अन्य लोग मौजूद रहे।
कुमाउं की कुलदेवी मां नंदा-सुनंदा धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज यानि अष्टमी के दिन अपने मायके आगमन हुआ है और परंपरा के तहत एकादशी 27 सितंबर को कुलदेवी मां नंदा-सुनंदा अपने ससुराल लौट जाएंगी।
जानकार बताते हैं की कुल देवी मां नंदा-सुनंदा आज अपने ससुराल से अपने मायके यानी कुमाउं की धरती पर पधार गईं हैं। मां नंदा-सुनंदा को कुमाउं में कुल देवी के रूप में पूजा जाता है चंद राजाओं के दौर में मां नंदा-सुनंदा को कुल देवी के रूप में चंद राजा पूजा करते थे और अब संपूर्ण कुमाउं क्षेत्र के लोग मां नंदा-सुनंदा को कुल देवी के रूप में पूजते हैं। ऐसा माना जाता है कि मां नंदा और सुनंदा साल में एक बार अपने मायके यानी कुमाउं में आती हैं और यही कारण है कि अष्टमी के दिन यानी आज कुमाउं के विभिन्न स्थानों पर मां नंदा और सुनंदा की प्रतिमा तैयार कर प्राण प्रतिष्ठा के बाद समझा जाता है कि मां नंदा-सुनंदा अपने मायके पहुंच गई हैं।
मां नंदा-सुनंदा की अगले तीन दिनों तक कुमाउं के लोग उपासना करेंगे इस दौरान मंदिर परिसर में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान किए जाएंगे और 27 सितंबर को माँ का भव्य डोला भ्रमण के बाद मां नंदा-सुनंदा का नैनी झील में विसर्जन किया जाएगा। डोला विसर्जन की यह परंपरा उस तहर है जिस तरह से लोग अपने बेटी को ससुराल को विदा करते है। उसी तरह से मां नंदा-सुनंदा को मायके नैनीताल से ससुराल विदा करने की परंपरा भी है।
होटल एसोसिएशन ने वितरित की फ्रूटी और शीतल पेयजल
नंदाअष्टमी के मौके पर होटल एसोसिएशन ने नैना देवी मंदिर के बाहर एकत्रित होकर भक्तों के लिए शीतल पेयजल और फ्रूटी वितरित की। जानकारी देते हुए होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष दिग्विजय बिष्ट ने बताया होटल व्यवसाईयों के द्वारा करीब दस हजार फ्रूटी इस दौरान वितरित की है।
पांच आरती में भी मौजूद रहे हजारों भक्त
नंदा देवी मंदिर में दिनभर आयोजित हुए विभिन्न कार्यक्रमों के बाद देर शाम मां नंदा सुनंदा की पंचआरती का आयोजन किया गया। पांच आरती का विशेष महत्व है। पांच आरती पांच तत्वों आग,पानी, हवा,कपडे और फूल के द्वारा की मां नंदा सुनंदा की पंच आरती होती है।
रामसेवक सभा में आयोजित हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम
नंदा देवी महोत्सव के मौके पर रामसेवक सभा में उत्तराखंडी संस्कृति को बढ़ावा देने और पर्यटकों समेत युवा पीढ़ी को उत्तराखंड की संस्कृति से रूबरू कराए जाने को लेकर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें स्कूली छात्र-छात्राओं समेत महिला सांस्कृतिक दलों ने कुमाऊनी गीत, झोडा,चाचरी समेत अन्य कार्यक्रम प्रस्तुत किया। जिसे स्थानीय लोगों के साथ-साथ नैनीताल घूमने आए पर्यटकों ने खूब पसंद किया।
