शाहजहांपुर: बोर्ड बैठक में पार्षदों के विरोध बीच 169.62 करोड़ के प्रस्ताव पास

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Published By Vikas Babu
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60 में से 46 पार्षदों ने लगाया नगर निगम में भ्रष्टाचार का आरोप

शाहजहांपुर, अमृत विचार। नगर निगम बोर्ड की बैठक के दौरान शनिवार को पार्षद दो फाड़ नजर आए। नगर निगम के 60 में से 46 पार्षदों ने निगम में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए विकास भवन में आयोजित बोर्ड बैठक का बहिष्कार कर दिया और शहर के एक होटल में जाकर बैठ गए।

पार्षदों का कहना है कि नगर निगम में भ्रष्टाचार व्याप्त है और यहां के अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते। पार्षदों ने यह भी कहा कि नगर निगम को भ्रष्टाचार मुक्त करने के बाद ही वह लोग बैठक में जाएंगे। उधर, महापौर अर्चना वर्मा ने कहा है कि पार्षदों के बहिष्कार की उन्हें जानकारी नहीं है। बोर्ड बैठक चर्चा के लिए होती है। यदि पार्षदों को कोई शिकायत है तो बैठक में आकर उसकी चर्चा करनी चाहिए।  

नगर निगम की दूसरी बोर्ड बैठक शनिवार को विकास भवन के सभागार में होनी थी। इसमें 10 प्रस्ताव रखे गए। बैठक में वित्तीय वर्ष 2023-24 आवंटित बजट के अनुसार 169.62 करोड़ की विकास योजना को कार्यकारिणी समिति के सदस्यों की ओर से स्वीकार किया गया।

इसी तरह एक सीमा तक के कार्यों के लिए ई-टेंडरिंग प्रक्रिया समाप्त करने का प्रस्ताव, दाखिल खारिज प्रकरणों में विलंब शुल्क अधिकतम पांच हजार रुपये लिए जाने का प्रस्ताव पास किया गया। राज्य स्मार्ट सिटी के प्रस्ताव व अन्य प्रस्ताव को अनुमोदित करते हुए सदन के अनुमोदन के लिए अग्रसारित किया गया, फीकल स्लज व सेप्टेज मैनेजमेंट के लिए उपविधि के प्रस्ताव को पास किया गया।

बैठक में उप सभापति के रूप में वेद प्रकाश मौर्या का निर्विरोध निर्वाचन हुआ। इसके साथ ही कर निर्धारण अधिकारी भूपेंद्र सिंह का कार्यकाल दो वर्ष बढ़ाए जाने, पार्षदों को सीयूजी नंबर मोबाइल सहित निगम निधि से उपलब्ध कराने, 169.62 करोड़ रुपये की विकास योजना के कार्य कराए जाने, संपत्ति कर के एकमुश्त समाधान योजना को लागू करने, 10 लाख से नीचे के कार्यों में ई-टेंडर की प्रक्रिया को समाप्त किए जाने का प्रस्ताव रखा गया।

बैठक में प्रमुख रूप से उपसभापति वेद प्रकाश मौर्या, नगर आयुक्त संतोष कुमार शर्मा, अपर नगर आयुक्त एसके सिंह, सहायक नगर आयुक्त रश्मि भारती, पार्षद दिवाकर मिश्र, शब्बन अली, जगदीश सिंह कुशवाहा आदि मौजूद रहे।

होटल में रहे पार्षद, मोबाइल रहे स्विच ऑफ
नगर निगम के 60 में से 46 पार्षद बैठक छोड़कर नगर निगम के पास ही एक होटल में रहे। इस दौरान उनके मोबाइल भी स्विच ऑफ रहे। पार्षदों का कहना था कि अधिकारी मनमानी कर रहे हैं और भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। जनहित का कोई काम नहीं हो पा रहा है।

चंद पार्षदों को साथ लेकर वह विकास के प्रस्ताव पास कराने का प्रयास कर रहे हैं। कोरम पूरा किए बिना ही प्रस्ताव पास कराने का दावा किया जा रहा है, जबकि बिना कोरम पूरा किए विकास योजनाओं के प्रस्ताव पास नहीं हो सकते। जिले में भाजपा के तीन मंत्री होने के बाद भी भाजपा के पार्षद फुटबॉल बने हुए हैं। पार्षद चाहते हैं कि पारदर्शिता से काम हो और भ्रष्टाचार पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए।

बैठक में ये पार्षद रहे मौजूद
बैठक में पार्षद सोनी मिश्रा, जगदीश, अरविंद राजपाल, नीतू सिंह, रीता, शिवओम सक्सेना, मोहम्मद सत्तार, विजय लक्ष्मी, फरहान अहमद, दिवाकर मिश्रा, तालिब खां, आसिफ, सलीम खां आदि रहे। बोर्ड बैठक के लिए 1/5 सदस्यों का होना नगर निगम अधिनियम 1959 के अनुसार आवश्यक है और सदन में यह कोरम नियमानुसार पूरा था।

बैठक में महानगर के विकास के लिए पुरानी बैठक के जो एजेंडे थे, वह पास हुए हैं। पार्षदों के बहिष्कार की जानकारी नहीं है। मुझे यह बताया गया कि पार्षद किसी कार्य होने की वजह से नहीं आए हैं। यदि कोई समस्या है तो बोर्ड बैठक चर्चा के लिए ही होती है। पार्षदों को बैठक में आकर चर्चा करनी चाहिए---अर्चना वर्मा, महापौर।

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