Kanpur नगर में 52 थाने और 163 गैंग, इरफान सोलंकी का गैंग टॉप पर, अपराधियों ने अपराध करने का बदला ट्रेंड
कानपुर नगर में 52 थाने और 163 गैंग।

कानपुर नगर में 52 थाने और 163 गैंग। सक्रिय गैंगों में इरफान सोलंकी का गैंग टॉप पर है। 146 फरार व जमानत पर रिहा 306 पर पुलिस निगरानी कर रही।
कानपुर, [अभिनव मिश्र]। 10 जुलाई 2021 को एसटीएफ के एनकाउंटर में ढेर हुए विकास दुबे के गैंग का खात्मा उसकी मौत के बाद हो गया था। विकास के गिरोह के कई साथी आज भी जेल में बंद है, लेकिन पुलिस और खुफिया विभाग की स्पेशल टीम ने अपराधियों की धरपकड़ के लिए खुफिया सूचनाएं एकत्रित करना शुरू कर दिया है। इसको लेकर शहर के अंडरवर्ल्ड में खलबली मच गई है।
पुलिस को जो गोपनीय रिपोर्ट मिली है उसके मुताबिक शहर में कई शातिर अपराधियों के गैंग सक्रिय है। जिनके गुर्गे वारदात को अंजाम देने की फिराक में घूमते रहते है। पुलिस के फोकस में इरफान सोलंकी का गैंग है। इरफान सोलंकी का गैंग शहर के टॉप गैंगों में से एक है।
पुलिस के रिकार्ड के मुताबिक शहर के 52 थानों में 163 रजिस्टर्ड गैंग है। शहर में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद से कई गैंगों के सरगना जेल में है, कुछ जमानत पर रिहा है जिन पर पुलिस नजर रखे हुए है। वहीं कई अपराधी शहर से फरार है, जिनकी तलाश में खुफिया व एसटीएफकी टीमें लगी हुई है।
10 से अधिक गैंग सक्रिय, इरफान गैंग टॉप पर
पुलिस अधिकारियों की माने की तो जनपद के थानों में रजिस्टर्ड कुल गैंगों की संख्या 163 है। कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद से अधिकांश गैंग के सदस्य या तो जेल में है या फिर शहर छोड़ चुके है। इसके बावजूद शहर में 10 से अधिक गैंग सक्रिय है। इनके गुर्गे शहर में लूटपाट, रंगदारी, नशीले पदार्थों की बिक्री जैसे संगीन अपराधों में लिप्त है। इन गैंगों में विधायक इरफान सोलंकी का गैंग भी है, जो कि शहर के टॉप-10 गैंगों की लिस्ट में शामिल है।
गैंग के 306 सदस्य जमानत पर, 146 फरार
पुलिस सूत्रों के मुताबिक शहर में सक्रिय गैंगो के 754 प्रमुख गुर्गे है। जिनमें से 28 की मौत हो चुकी है। वहीं 274 शातिर जेल में बंद है व 306 जमानत पर रिहा है। जमानत पर रिहा 306 शातिर अपराधियों पर पुलिस की स्पेशल टीम व खुफिया विभाग निगरानी कर रहा है। संचालित गैंगों की कमर तोड़ने के लिए पुलिस की सख्ती के बाद 144 शातिर अपराधी शहर से फरार है।
70 के दशक में हुई थी शुरुआत
शहर में 70 के दशक में गैंग बनाकर अपराध करने का ट्रेंड आया था। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक इसके बाद शहर में गैंग बढ़ते चले गए। 80 के दशक में डी-2 गैंग सामने आया था, जो अब तक के सबसे खतरनाक गैंग में से एक है। यह गैंग भाड़े पर हत्या, अपहरण कर फिरौती वसूलने जैसे संगीन अपराध करता था। इस गैंग का नेटवर्क कई प्रदेशो में फैला हुआ था।
अपराध करने का बदला ट्रेंड
पुलिस की गोपनीय रिपोर्ट के मुताबिक शहर में अब जो गैंग सक्रिय है, उसके गुर्गे हत्या, लूट, अपहरण जैसी वारदातों को अंजाम देने से बचते है। अब शहर में नए तरह के अपराध का ट्रेंड आ गया है। अब इनका मुख्य काम पुलिस को सेट कर जुआं और सट्टा खिलवाने का है। साथ ही शातिर अपराधी विवादित मकान और जमीन खरीद कर उस पर कब्जा करने का खेल करते है। शातिर खुल कर सामने तो नहीं आते, लेकिन पीछे से लोगों को धमका कर विवादित मकान और जमीन खाली करवाने का काम करते है।
शहर में सक्रिय 90 प्रतिशत गैंग पूरी तरह से निष्क्रिय हो चुके है। गैंग के शातिर अपराधी या तो जेल में है या फिर शहर से बाहर है, जिनकी तलाश में पुलिस की कई टीमें काम कर रही है। साथ ही जमानत पर रिहा शातिरों पर पुलिस की टीमे निगरानी कर रही है। अपराध में लिप्त पाए जाने पर उन पर दोबारा कार्रवाई की जाएगी।- आनंद प्रकाश तिवारी, संयुक्त पुलिस आयुक्त