Kanpur Violence: नई सड़क हिंसा का मास्टरमाइंड हाजी वसी जेल से रिहा, एक करोड़ में की थी चंद्रेश्वर हाता खाली कराने की डील
कानपुर में नई सड़क हिंसा का मास्टरमाइंड हाजी वसी जेल से रिहा।
कानपुर में नई सड़क हिंसा का मास्टरमाइंड हाजी वसी जेल से रिहा किया गया। हाजी वसी ने एक करोड़ में चंद्रेश्वर हाता खाली कराने की डील की थी। पुलिस के साथ खुफिया सक्रिय हुई।
कानपुर, अमृत विचार। तीन जून वर्ष 2022 को नई सड़क में हुई हिंसा के मास्टरमाइंड हाजी वसी को मंगलवार को जेल से रिहा कर दिया गया। रासुका की अवधि पूरी होने के बाद जेल प्रशासन ने यह कार्रवाई की। आरोपी ने एक करोड़ में चंद्रेश्वर हाता खाली कराने की डील की थी। जिसके बाद सुनियोजित ढंग से नई सड़क पर भारी उपद्रव हुआ था। उसके बाहर आने के बाद पुलिस और खुफिया अलर्ट हो गई है।
तीन जून को नई सड़क व दादा मियां हाता के पास जुमे की नमाज के बाद उपद्रव हुआ था। बाबा बिरयानी के मालिक मुख्तार बाबा और बिल्डर हाजी वसी ने क्षेत्र में एक समुदाय के एकमात्र चंद्रेश्वर हाता खाली कराने के लिए एक करोड़ में सौदा किया था।
इसे लेकर भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा की टिप्पणी को आधार बनाकर बाजार बंदी की घोषणा की गई थी। बाजार बंदी के विरोध को लेकर शुरू हुआ विवाद देखते ही देखते उपद्रव में बदल गया। बवालियों ने पुलिस पर पथराव, फायरिंग और बमबाजी की थी।
मामले में पुलिस ने मुकदमे दर्ज करके बाजार बंदी की अपील करने वाले और मुख्य साजिशकर्ता हयात जफर हाश्मी, जावेद अहमद, बाबा बिरयानी रेस्टोरेंट के मालिक मुख्तार बाबा, बिल्डर हाजी वसी समेत कई लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। उपद्रव के आरोपी बिल्डर हाजी वसी पर रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) तामील कर दी गई थी। मुख्य साजिशकर्ता हयात जफर हाशमी, जावेद के बाद इस प्रकरण में हाजी वसी तीसरा आरोपी है, जिसके खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई हुई थी।
दंगे से एक दिन पहले संपत्तियां बेची थीं
मामले की छानबीन में एसआइटी के सामने आया था कि हयात के साथ बिल्डर हाजी वसी ने 1.30 करोड़ रुपये संपत्तियों को बेचकर धनराशि जुटाई थी। तीन जून को हुई घटना से ठीक एक दिन पहले वसी ने करीब 34 लाख रुपये की दो संपत्तियां बेची थीं। यह भी साबित हुआ है कि वसी ने डी-टू गैंग के अतीक खिचड़ी और सबलू को चार-चार लाख रुपये दिये थे।
रासुका के कारण जल्दी नहीं छूट सका
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई होने के बाद बिल्डर हाजी वसी के जेल से जल्द रिहा होने की उम्मीदें समाप्त होने की बात कही जा रहीं थीं। रासुका के प्रावधानों के अनुसार पुलिस तीन-तीन माह पर इसे चार बार बढ़ा सकती है। ऐसे में आरोपी को अधिकतम एक साल तक के लिए जेल में रखा जा सकता है। इस दौरान आरोपी को अदालत से भी जमानत नहीं मिलती है। इस प्रकरण में रासुका का एक वर्ष पूरा होने के बाद हाजी वसी को जेल प्रशासन ने रिहा कर दिया। इस संबंध में जेल अधीक्षक बी डी पांडेय ने बताया कि एक वर्ष पूरा होने के बाद उसे रिहा कर दिया गया है। आरोपी पर जो अन्य मामले चल रहे थे उसमें जमानत मिल चुकी है।
वसी ने खड़ा किया अरबों का साम्राज्य
बिल्डर हाजी वसी ने प्रापर्टी डीलिंग की मदद से दो दशक के अंदर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में अरबों का साम्राज्य खड़ा कर दिया। विवादित संपत्तियों के अलावा शत्रु संपत्तियों की खरीद-फरोख्त भी हाजी वसी ने किया।
5 जुलाई को लखनऊ से हुई थी गिरफ्तारी
हाजी वसी को एसआईटी ने 5 जुलाई को लखनऊ एयरपोर्ट के पास से गिरफ्तार किया था। तब से वसी जेल में बंद था। हाजी पर पुलिस ने कार्रवाई की तो केडीए ने भी ताबड़तोड़ अवैध इमारतों को सील कर दिया। साथ ही इन संपत्तियों के ध्वस्तीकरण के आदेश भी जारी कर दिए थे। इसमें प्रेमनगर, बासमंडी, अनवरगंज और चमनगंज स्थित संपत्तियां शामिल थीं।
