Mahoba News: जिले की सहकारी समितियों में डीएपी खाद को लेकर मची मारामारी, बुवाई कार्य हो रहा प्रभावित
महोबा की सहकारी समितियों में डीएपी खाद को लेकर मची मारामारी।
महोबा की सहकारी समितियों में डीएपी खाद को लेकर मारामारी मची। तीन-तीन दिन से चक्कर काटने के बाद भी किसानों को खाद नहीं मिल रही। समय से खाद न मिलने से बुवाई कार्य प्रभावित हो रहा।
महोबा, अमृत विचार। जिले में आज तक डीएपी खाद को लेकर मारामारी मची हुई है। जिले की प्रत्येक सहकारी समितियों में खाद के लिए किसानों की भारी भीड़ जुट रही है, इसके बाद भी किसानों को खाद न मिलने से किसान बैरंग वापस लौट रहे हैं। समय से डीएपी खाद न मिलने से जुताई बुवाई का कार्य प्रभावित हो रहा है। बुवाई के लिए तैयाद खेत खाद न मिलने से खाली पड़े हैं। उधर समय से बुवाई न हो पाने से किसान भी खासे चिंतित हैं।
गौरतलब है कि अक्टूबर माह में रबी फसल की बुवाई का कार्य शुरु हो जाता है, लेकिन इस साल अभी तक किसानों को डीएपी खाद न मिल पाने के कारण उनकी बुवाई पिछड़ती जा रही है।
किसान खाद के लिए ग्रामीण अंचलों से भी बिना खानपान किए सुबह से ही सहकारी समितियों में खाद के लिए डेरा जमा लेते हैं, लेकिन समितियों में किसानों की भारी भीड़ जुट जाने के कारण साठ फीसदी किसानों को बिना खाद लिए बैरंग लौटना पड़ता है, जिससे उनका समय और किराये का पैसा बर्बाद होता है। शासन प्रशासन किसानों के लिए खाद का पर्याप्त इंतजाम नहीं कर पा रही है, जिससे खाद को लेकर सहकारी समितियों में मारामारी मची हुई है।
डीएपी खाद बीज में मिलाकर फसल की बुवाई की जाती है। किसानों ने एक सप्ताह पहले जुताई और बखराई करके खेतों को तैयार कर लिया है, कुछ किसानों ने तो कुओं और ट्यूबवेलों से पानी लगाकर खेतों में पलेबा करके तैयार कर लिया है। अब किसान बुवाई के लिए पूरी तैयारी से जुटा हुआ है,
लेकिन डीएपी खाद के आड़े आ जाने से किसानों की समय से बुवाई नहीं हो पानी रही। किसान फूलसिंह, रज्जब, हलकुट्टा, सरमन अहिरवार आदि का कहना है कि डीएपी खाद कम आने के कारण सभी किसानों को खाद नहीं मिल रही है। तीन तीन दिन से किसान खाद के लिए चक्कर काट रहा है, इसके बाद भी किसानों को खाद मयस्सर नहीं हो पा रही है।
दुकानों से महंगे रेट में खाद खरीदने को किसान मजबूर
ग्राम श्रीनगर और जैतपुर में दुकानदार खुलेआम अधिक रेट में डीएपी खाद बेंच रहे हैं, जिससे किसानों को मजबूरन प्राइवेट दुकानों से डीएपी महंगे दामों पर खरीदनी पड़ रही है। कारण, सहकारी समितियों में कई दिनों से चक्कर काटने के बाद भी डीएपी खाद नहीं मिल सकी है, इससे किसान बुवाई का समय निकलता देख मजबूरन अधिक पैसा देकर दुकानदारों से डीएपी खाद खरीदकर खेतों में बुवाई करने के लिए जुट गया है।
हर साल 25 फीसदी किसानों को नहीं मिलती खाद
जिले में बढ़ती डीएपी खाद की किल्लत के चलते हर साल 25 फीसदी से ज्यादा किसानों को सहकारी समितियों से खाद नहीं मिल पाती है, जिसके चलते तमाम किसानों को महंगे दामों पर या तो खाद दुकानों से खरीदनी पड़ती है या फिर खेतों की जुताई बुवाई छोड़नी पड़ती है, जिससे तमाम कृषि भूमि परती पड़ी रह जाती है। इतना ही नहीं हर साल जिले 25 फीसदी से ज्यादा किसान डीएपी खाद से वंचित रह जाते हैं, इससे किसानों में आक्रोश व्याप्त है। इस साल भी अभी तक साठ फीसदी किसानों को खाद नहीं मिली है।
समितियों में होहल्ला मचाने पर बुलानी पड़ी पुलिस
सहकारी समितियों में बढ़ती किसानों की भीड़ के मद्देनजर होहल्ला मचने लगाता है, जिससे विभाग के संचालक द्वारा पुलिस बुलानी पड़ती है, इसके बाद ही डीएपी खाद का वितरण हो पाता हैै। पूरब साधन सहकारी समिति ने कुछ दिनों से बट रही डीएपी खाद को लेकर खासी भीड़ जुट रही है। जिसके चलते किसान भी पहले खाद पाने के चक्कर में हो हल्ला मचाने लगते हैं। खाद वितरण केंद्र में बढ़ती अव्यवस्था को देखते हुए सचिव द्वारा पुलिस बुलानी पड़ी। पुलिस के आने के बाद खाद का वितरण आसान तरीके से हो सका।
