शाहजहांपुर: बेटों ने घर से निकाला, आग ने उजाड़ा आशियाना

Amrit Vichar Network
Published By Ashpreet
On

बंडा, अमृत विचार।  जिन बच्चों से बुढ़ापे के सहारे की उम्मीद थी, उन्हीं बच्चों ने बूढ़े माता-पिता को घर से निकाल दिया। फूस की झोपड़ी बनाकर आशियाना तैयार किया तो उसमें भी आग लग गई।

गृहस्थी का सामान और वक्त जरूरत के लिए जुटा कर रखी गई रकम और सरकारी दुकान से लाया गया राशन भी आग की भेंट चढ़ गया।  

मामले की सूचना पर लेखपाल ने मौका मुआयना कर आर्थिक सहायता दिलाए जाने का आश्वासन दिया है। बंडा के गांव रामदेवरी निवासी बसंत पासी और उनकी पत्नी केतुका ने आर्थिक कमजोरी में दो बेटों का पालन कर उन्हें कमान खाने के लायक बनाया। उन्हें उम्मीद थी कि जब बेटे बड़े होंगे, तो उनके लिए बुढ़ापे में सहारा बनेंगे।

परिवार की जिम्मेदारियों का बोझ हलका होगा, पर उनकी इस उम्मीद पर बेटों ने पानी फेर दिया। कुछ माह पहले बेटों ने माता-पिता को घर से निकाल दिया। गांव के लोगों ने बेटों की उनकी इस हरकत पर फटकार भी लगाई लेकिन उन लोगों को इसका कोई फर्क नहीं पड़ा।

वृद्ध दंपति ने कुछ लोगों की मदद से गन्ने की पाती और फूस इकट्ठा करके गांव में खाली पड़ी जगह पर रहने के लिए झोपड़ी डालकर आशियाना बना लिया। मेहनत मजदूरी करके अपने जीवन की गाड़ी पटरी पर ले आए थे। पर उन्हें क्या पता था कि एक चिंगारी उनके इस आशियाने को पल भर में खाक कर देगा।

उन्हें फिर से खुले आसमान के नीचे रात गुजारनी पड़ेगी। बसंत पासी के लिए मंगलवार का दिन मनहूस साबित हो गया। वह दिन के दो बजे मजदूरी करने गए थे और पत्नी केतुका खेत में धान का शीला बीनने गई थी।

उसी समय अचानक उनकी झोपड़ी में आग लग गई। बसंत लाल ने बताया आगजनी से घर में रखे चार हजार रुपये, आटा,चावल, कपड़ा व रजाई गद्दा समेत सब कुछ जलकर राख हो गया और वह दोनों खुले आसमान के नीचे आ गए।

इतना ही नहीं सरकारी दुकान से जो राशन लेकर आए वह भी जल गया। पत्नी केतुका देवी ने बताया कि उनके बेटों ने उन्हें घर से निकाल दिया था और वह दोनों मियां बीवी एक छप्परदार घर में रहकर गुजर बसर करते थे। आज अचानक आग लगने से गृहस्थी का सामान समेत राशन कार्ड, आधार कार्ड भी जल गया। सूचना पर पहुंचे लेखपाल सचिन श्रीवास्तव ने मौका मुआयना कर आर्थिक सहायता दिलाने का आश्वसन दिया है।

यह भी पढ़ें- शाहजहांपुर: क्रिकेट खेल रहे युवक को लगा करंट, मौत

संबंधित समाचार