रामपुर: विशेष साक्षात्कार: सपा के लिए ये क्या बोल गए रामपुर शहर विधायक, जिस पार्टी का कोई कार्यालय नहीं, उसका तो रामपुर से वजूद ही खत्म

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Published By Ashpreet
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रामपुर, अमृत विचार। रामपुर को कभी सपा का गढ़ कहा जाता होगा, लेकिन अब रामपुर से सपा का वजूद ही खत्म हो गया। पूरे प्रदेश में एक रामपुर ही ऐसा जिला है, जहां समाजवादी पार्टी का कोई कार्यालय नहीं।

जिस पार्टी का खुद का जिला कार्यालय ही न हो वो क्या ही चुनाव लड़ेगी। दारुल अवाम आजम खां का कार्यालय था, सपा का नहीं। आजम खां ने जनता पर अत्याचार किया, जिसकी सजा उनका परिवार काट रहा है।

अब सपा का किला ढह चुका है। कुछ ही दिनों में कानपुर के बाद रामपुर को औद्योगिक नगरी के नाम से जाना जाएगा। यह कहना है शहर विधायक आकाश सक्सेना का। अमृत विचार से बातचीत करते हुए शहर विधायक ने कहा, नगर विधानसभा मेरी सीमा नहीं, पूरे जिले की प्रदेश में पहचान बनानी है।

उपचुनाव में तो भाजपा ने बाजी मारी, क्या 2024 में यह फिर संभव हो पाएगा?
2024 का चुनाव बहुत आसानी से जीतेंगे। उपचुनाव सही मायने में कोई चुनाव नहीं हुआ करता। यह सीट भाजपा के खाते में ही जाएगी। यह अटल सत्य है, जिसे कोई बदल नहीं सकता। रामपुर लोकसभा सीट हमेशा से भाजपा की ही रही है। बीच में दो एक बार सीट बाहर गई। इस बार ऐतिहासिक मतों से भाजपा का परचम लहराएगा।

लोकसभा चुनाव में इस बार के मुद्दे क्या-क्या होंगे?
मोदी जी और योगी जी की कल्याणकारी योजनाओं का जिस तरह से जनता ने लाभ लिया है, यही हमारे प्रमुख मुद्दे हैं। देश में कोई घर ऐसा नहीं जहां योजनाओं का लाभ नहीं लिया गया। कोविड काल में जो टीका 2800 का था, वह टीका हमारी सरकारी ने फ्री लगवाया। जिसका सभी ने फायदा उठाया। विपक्षी भी पीछे नहीं रहे।

मणिपुर हिंसा में विपक्ष ने जमकर भाजपा सरकार की निंदा की, क्या कहेंगे?
अपराधियों का कोई मजहब नहीं होता। कोई धर्म नहीं होता। मणिपुर की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। हम सभी मर्माहत हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इसकी कड़े शब्दों में निंदा की थी। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। विरोधियों का बस चले तो कल को यह भी कह सकते हैं कि प्राकृतिक आपदाएं भाजपा सरकारी की वजह से आ रही हैं। विपक्ष दिशाहीन हो चुका है।

राजनीति में आप किसे अपना आदर्श या गुरु मानते हैं?
मैंने अपने जीवन में अगर किसी को आदर्श माना है तो वे मेरे पिता जी हैं। मेरे मार्गदर्शक, मेरे गुरु सब वही हैं। 2017 तक उन्होंने सच्चाई के लिए ही चुनाव लड़ा। भाजपा ने उन्हीं के परिश्रम को देखकर मुझे पर विश्वास जताया। और वास्तव में रामपुर शहर सीट पर मजबूत उम्मीदवार की आवश्यकता थी। जिसे पूरा कर दिखाने का प्रयास किया।

कहा जाता है भाजपा सरकार किसान विरोधी है, इस वर्ग को कैसे साधेंगे?
ऐसा केवल विपक्ष कहता है। विपक्ष के पास कोई मुद्दे ही नहीं है। भारतीय जनता पार्टी में 70 फीसदी से अधिक नेता तो खुद किसान हैं। केंद्र और राज्य सरकार ने हमेशा किसान हित की बात की है। सरकार ने किसान सम्मान निधि जैसी योजनाएं किसानों के लिए ही बनाई हैं। प्रत्येक किसान का वोट निश्चित भाजपा को ही जाएगा। किसान भाइयों का पूरा समर्थन है।

विधायक बनने के बाद आपने रामपुर की जनता को क्या-क्या दिया, भविष्य में क्या मिलेगा?
 एक जमाने में औद्योगिक नगर के रूप में कानपुर के बाद रामपुर का नाम लिया जाता था। आजम खां की वजह से धीरे-धीरे फैक्ट्रियों में ताले लग गए। लेकिन मेरा प्रयास है कि रामपुर का नाम वैसे ही चमकेगा जैसे कि पहले चमकता था। रामपुर का पीएम स्वनिधि गलियारा पूरे प्रदेश के लिए नजीर है। प्रदेश में इतना बड़ा गलियारा कहीं नहीं।

अभी शहर में कई जगह ऐसे गलियारे बनेंगे। रेहड़ी पटरी वाले अब सम्मान से कमा रहे हैं। पिछले 15 वर्षों से पीलिंग मशीन के लाइसेंस पेंडिंग में थे। प्रदेश में 200 लाइसेंस हुए हैं, जिसमें से अकेले 75 लाइसेंस रामपुर के हुए। आने वाले समय में 50 हजार लोगों को कैसे कारोबार दिला सकूं इसके लिए प्रयास जारी है। नगर विधानसभा मेरी सीमा नहीं है, पूरा जनपद मेरी सीमा है।

आपने सपा का किला ढहाने की कोई कसर नहीं छोड़ी, विरोधियों के लिए आगे की क्या रणनीति रहने वाली है?
सपा का किला झूठ की नींव पर खड़ा था, इसलिए धराशायी हुआ। आजम ने दलित और गरीबों पर अत्याचार किए। उनकी जमीनों पर कब्जा किया। आजम ने हमेशा से समाजवादी पार्टी को अपनी नौकरानी बनाकर रखा, इसलिए आज तक कोई सपा का कार्यालय नहीं बन सका। आजम खां और उनका परिवार अब जेल में हैं तो सपा की राजनीति तो रामपुर से खत्म ही हो गई। विरोधियों धीरे-धीरे अपने आप निपट जाएंगे।

जनता के लिए क्या संदेश है?
रामपुर से बहुत बड़ी बुराई का खात्मा हो गया है, तो अब रामपुर की जनता को विकास के बारे में सोचना चाहिए। रामपुर को औद्योगिक नगरी बनाने के लिए राजनीति से ऊपर उठकर सोचना चाहिए।

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