मजबूत संबंधों की चाह

Amrit Vichar Network
Published By Om Parkash chaubey
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दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संघ (आसियान) भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। आसियान के पास चीन और भारत के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी श्रम शक्ति है। क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी साझा चुनौतियों से निपटने के लिए आसियान ने जरूरी मानदंडों का निर्माण करके और तटस्थ वातावरण को बढ़ावा देकर क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान दिया है।

आसियान के साथ भारत का संबंध उसकी विदेश नीति और एक्ट ईस्ट पॉलिसी की नींव का एक प्रमुख स्तंभ है। आसियान के महासचिव डॉ काओ किम होर्न ने भारत के साथ मजबूत संबंधों की वकालत की है। उन्होंने कहा है कि यह भारत के साथ मजबूत रिश्ते चाहता है।

इंडोनेशिया के दौरे पर गए भारतीय मीडिया के प्रतिनिधिमंडल से मंगलवार को किम होर्न ने कहा कि समावेशी, खुले और नियम-आधारित व्यापार समझौते से सभी भागीदारों को लाभ होगा। साथ ही क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) में शामिल होने से भारत और अन्य देशों को लाभ होगा, क्योंकि इससे अधिक बाजार उपलब्ध होगा।  यह व्यापार सौदे पारस्परिक हैं।

दोनों पक्षों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की समीक्षा की जा रही है। यह दुनिया के सबसे बड़े मुक्त व्यापार समझौतों में से एक है जिसमें वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद की लगभग 30 प्रतिशत हिस्सेदारी और इसमें दुनिया की लगभग एक तिहाई आबादी शामिल है। 
दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का यह संगठन एशिया-प्रशांत के उपनिवेशी राष्ट्रों के बढ़ते तनाव के बीच राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था।

आसियान के 10 सदस्यों में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड, ब्रूनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया शामिल हैं। एफटीए जिसकी समीक्षा की जा रही है, को आर्थिक सुधार में मदद के लिए आवश्यक उपायों को अपनाने, साथ ही उन क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करने की आवश्यकता है, जिनमें उभरते हुए आर्थिक वातावरण में अपार संभावनाएं नजर आ रही हैं।

भारत में 1.4 अरब लोग हैं, वहीं आसियान क्षेत्र में 68 करोड़ लोग हैं। वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत और आसियान के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब 131.5 अरब डॉलर था। वित्त वर्ष 2013 में आसियान के साथ व्यापार भारत के वैश्विक व्यापार का 11.3 फीसदी था।

भारत और आसियान विभिन्न क्षेत्रों में मिलकर काम कर रहे हैं। दोनों को अन्य क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाना चाहिए। वैसे भी पूर्वोत्तर में उग्रवाद और आतंकवाद का मुकाबला करने, कर की चोरी आदि से बचने के लिए आसियान देशों के साथ सहयोग आवश्यक है।