लखनऊ : डायबिटीज से पीड़ित मरीजों के लिए खतरनाक है पैरों में घाव
लखनऊ, अमृत विचार। डायबिटिक फुट अल्सर (डीएफयू) एक खुला घाव है, जो मधुमेह से पीड़ित लगभग 15 फीसदी मरीज में होता है और आमतौर पर पैर के निचले हिस्से में स्थित होता है। 25 फीसदी मधुमेह रोगियों को अपने जीवनकाल में इस समस्या का सामना करना पड़ता है, जिनमें से 50 प्रतिशत संक्रमित हो जाते हैं और अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है। इस परेशानी से ग्रसित करीब 20 प्रतिशत मरीज के अंग काटने की आवश्यकता होती है। डायबिटिक फुट अल्सर के इलाज में करीब 28 सप्ताह का समय लगता है। यह जानकारी एसजीपीजीआई स्थित एंडोक्राइन सर्जरी विभाग के प्रो.ज्ञानचंद ने दी है।
उन्होंने बताया कि डायबिटिक फुट के कारण प्रति वर्ष दस लाख से अधिक लोग अपना अंग खो रहे हैं, यानी हर 30 सेकंड में दुनिया में कहीं भी एक अंग खो रहा है। यह समस्या 30-60 वर्ष की आयु में लोगों को अधिक हो रही है। जिससे मरीजों को शरीरिक नुकसान के साथ ही आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।
इसके अलावा उन्होंने बताया कि मधुमेह रोगियों के उपचार में सामान्यतया पैर की उपेक्षा की जाती है और चिकित्सक भी इस समस्या के प्रबंधन में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं, इसलिए हम इस समस्या की बेहतर देखभाल के लिए युवा डॉक्टरों को प्रशिक्षित करना जरूरी है।
उन्होंने बताया कि संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान का एंडोक्राइन सर्जरी विभाग 25 नवंबर को डायबिटिक फुट मैनेजमेंट पर एक दिवसीय सीएमई का आयोजन करने जा रहा है। यह सीएमई मेडिसिन, सर्जरी, ऑर्थोपेडिक सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, एंडोक्रिनोलॉजी और एंडोक्राइन सर्जरी सहित विभिन्न विशिष्टताओं के युवा डॉक्टरों को शिक्षित करने का काम होगा।
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