Kanpur News: खतरे की आशंका पर सिजेरियन प्रसव को प्राथमिकता, डफरिन में सामान्य प्रसव को बढ़ावा देने को शुरू हुई यूनिट
कानपुर में डफरिन अस्पताल में सामान्य प्रसव को बढ़ावा देने को शुरू हुई यूनिट।
कानपुर में डफरिन अस्पताल में सामान्य प्रसव को बढ़ावा देने को यूनिट शुरू हुई। खतरे की आशंका पर सिजेरियन प्रसव को प्राथमिकता।
कानपुर, अमृत विचार। व्यवस्था कोई भी हो, उसके अच्छे और बुरे दो पहलू होते हैं। सिजेरियन यानी ऑपरेशन के जरिये प्रसव भी ऐसी ही एक व्यवस्था का उदाहरण है। सिजेरियन प्रसव को चिकित्सा के क्षेत्र में सुरक्षित माना जाता है। कई जटिल परिस्थितियों में सिजेरियन प्रसव के जरिये ही गर्भवती या होने वाले बच्चे की जान बचाना संभव हो पाता है। हालांकि, इसके कई नुकसान भी हैं। जबकि नार्मल डिलीवरी (सामान्य प्रसव) प्राकृतिक प्रक्रिया है।
सामान्य प्रसव को बढ़ावा देने के लिए डफरिन अस्पताल की ओपीडी के कमरा नंबर सात में मिडवाइफरी लेड केयर यूनिट की शुरुआत शनिवार को की गई। पहले दिन 24 गर्भवतियों ने पंजीकरण कराया। लंदन से आईं अंतर्राष्ट्रीय मिडवाइफ एजुकेटर केरेन की मौजूदगी में मेरठ से आईं चार मिडवाइफ स्टाफ नर्स ने गर्भवतियों को व्यायाम व योग सिखाया। साथ ही गर्भावस्था के दौरान किन चीजों का सेवन करना है और किन चीजों से परहेज करना है इसकी भी जानकारी गर्भवतियों को दी गई।
डफरिन अस्पताल की प्रमुख अधीक्षक डॉ.सीमा श्रीवास्तव ने बताया कि सामान्य प्रसव (नार्मल डिलीवरी) एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में गर्भवती का शरीर बच्चे को जन्म देने के लिए तैयार हो जाता है। बच्चे का विकास अच्छा होता है। खास बात यह है कि सामान्य प्रसव में रक्तस्त्राव भी कम होता है। सामान्य प्रसव को बढ़ावा देने के लिए ही मिडवाइफरी लेड केयर यूनिट की शुरूआत की गई है। यहां पर हाईरिस्क गर्भवतियों को छोड़कर बाकि सभी को व्यायाम व योग सिखाएं जाएंगे। गर्भावास्था के समय घर के बड़े-बुजुर्गों की सलाह भी माननी चाहिए।
जीवनशैली व खानपान में बदलाव भी वजह
प्रमुख अधीक्षक डॉ.सीमा श्रीवास्तव ने बताया कि जीवनशैली व खानपान में बदलाव के कारण गर्भवतियों को कई तरह की तकलीफ होती हैं। व्यायाम व योग न करना और खाने में पौष्टिक आहार का सेवन न करने से तकलीफ बढ़ जाती है। गर्भावस्था के समय होने वाले दर्द को सहन नहीं कर पाने की वजह से गर्भवती खुद सिजेरियन प्रसव की मांग करती हैं। अस्पताल में एनेस्थीसिया और ऑपरेशन की नई तकनीकों के चलते महिलाएं सिजेरियन पर जोर दे रही हैं। सिजेरियन तब ही किया जाता है, जब कोई जटिल केस हो।
सिजेरियन प्रसव की वजह
डफरिन अस्पताल की प्रबंधक डॉ.दरख्शा परवीन ने बताया कि गर्भवती का ब्लड प्रेशर बढ़ना, बच्चा उल्टा या टेढ़ा हो, बच्चे ने पेट में मलत्याग कर दिया हो, गर्भवती की हड्डी छोटी हो, दिल के मरीज आदि मामलों मंं प्रसव ऑपरेशन से ही कराया जाता है। ऑपरेशन के दौरान हुए घाव को भरने में करीब 10 दिनों का समय लगता है। उन्होंने बताया कि जिन महिलाओं का गर्भपात हो जाता है या जिनका बच्चा प्रसव के बाद खत्म हो जाता है ऐसी महिलाओं के अंदर संतान को लेकर डर उत्पन्न हो जाता है। फिर वह जब दोबारा गर्भवती होतीं हैं तो सामान्य प्रसव कराने से परहेज करती हैं और खुद ऑपरेशन से प्रसव कराने को बोलतीं है।
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