बरेली: दिव्यांगता पीछे छोड़ी...क्रिकेट मैदान में लगा रहे चौके-छक्के
बरेली, अमृत विचार। स्पोर्ट्स स्टेडियम में चल रही क्रिकेट प्रतियोगिता में दिव्यांग खिलाड़ी समाज को संदेश दे रहे हैं कि हौसले अगर बुलंद हों तो सब कुछ किया जा सकता है। दिव्यांग कप में कई टीमें भाग ले रही हैं।
बरेली वारियर्स में जिले के दिव्यांग खिलाड़ी प्रतिभाग कर रहे हैं। क्रिकेट मैदान में चौके-छक्के लगा रहे हैं। ये खिलाड़ी फिट रहने के लिए रोजाना घंटों मैदान में पसीना बहाते हैं। इसमें कई खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी बरेली का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
क्या बोले खिलाड़ी
- मैं 2008 से क्रिकेट खेल रहा हूं, बीच में 2012 में पैरा एथलेटिक्स में एशियन खेला और लंदन ओलंपिक खेलों के लिए भी क्वालीफाई किया, लेकिन किन्ही कारणों से हिस्सा नहीं ले पाया। मैं बरेली वारियर्स की कप्तानी कर रहा हूं। क्रिकेट मानसिक व शारीरिक संतुलन का खेल है, इसमें दिव्यांगता कही रोड़ा नहीं है।- परमानंद, खिलाड़ी
ट्रेन से हुए हादसे में पैर गवां दिया। जिसके बाद आर्टिफिशियल पैरों से महीनों की प्रैक्टिस की और क्रिकेट ड्रिल करना सीखी। वर्तमान में राइट हैंड बैट्समैन हूं, ट्रायल में चयनित होकर लखनऊ में हुए दिव्यांग टी- 20 क्रिकेट कप में भाग लिया।- योगेश, खिलाड़ी
- बचपन से हाथ और पैर से दिव्यांग हूं। खिलाड़ी बनने की शुरुआत 100-200 मीटर रनिंग से की। उसके बाद अभ्यास से क्रिकेट भी सीखा। मैं लेफ्ट आर्म स्पिन गेंदबाजी करता हूं। प्रदर्शन के आधार पर दो बार राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में चयनित हुआ।- राशिद अली ख़ान, खिलाड़ी
- मैं 2018 से क्रिकेट खेल रहा हूं। शुरुआत में अभ्यास के दौरान दाहिना पैर में दिव्यांगता होने के चलते समस्या आई, लेकिन अभ्यास कर इसे दूर किया। वर्तमान में डंडे के सहारे से बेहतरीन फील्डिंग करता हूं।-सूर्या प्रताप मिश्र, खिलाड़ी
- 2011 में हुए एक हादसे में एक हाथ कट गया। इससे मन उदास हुआ कि जीवन में क्या करेंगे। मशहूर पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा का इंटरव्यू देखा। उनसे प्रेरित होकर खिलाड़ी बनने का निश्चय किया। सिंगल हैंड से बैटिंग करता हूं। राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में कई बार बरेली मंडल का प्रतिनिधित्व किया।-प्रेमचंद, खिलाड़ी
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