मुरादाबाद : 2012 का सपना 11 साल बाद हुआ फलीभूत, जहाज की उड़ान उल्द

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Published By Bhawna
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हवाई सेवा : 52 हेक्टेयर भूमि पर 21 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से हुई थी पहल, सुस्ती के लिए राजकीय निर्माण निगम के तीन इंजीनियर निलंबित हो गए थे 

आशुतोष मिश्र, अमृत विचार। मुरादाबाद के हवाई अड्डे से जहाज की उड़ान शुरू होने के चंद दिन ही बाकी हैं। भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण (इंडियन एयरपोर्ट अथारिटी) ने इसके लाइसेंस जारी कर दिया है। अब सरकार की ओर से तिथि की घोषणा होते ही यहां से यात्री लखनऊ और कानपुर आने-जाने लगेंगे। सच यह भी है कि इस सेवा को जमीन पर उतारने की तैयारी ने भी इतिहास रचा है। वर्ष 2012 में यहां से जहाज सेवा का सपना देखा गया। जिसे साकार होने में 11 साल बीत गये। नवंबर 2012 में देखा गया सपना 11 साल बाद यानी 17 नवंबर को सच हुआ। अब जल्द ही यहां से लोग अपनी धरती से जहाज की सेवा पा सकेंगे।

  • पीतलनगरी के निर्यातक कारोबारी सहूलियत से होंगे अधिक लाभान्वित
  • निर्यातकों, शिल्पकारों का देश के अन्य प्रमुख स्थानों से सीधा जुड़ाव होगा
  • कारोबारी सिलसिले में लखनऊ, कानपुर आने जाने में समय की बचत होगी

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ( एमओसीए) ने नवंबर 2012 में राज्य सरकार से यहां हवाई क्षेत्र और अतिरिक्त 300-350 एकड़ जमीन भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (एएआई) को मुफ्त में उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। बाद में प्रदेश कैबिनेट ने सितंबर 2013 में हवाई पट्टी को एएआई को सौंपने की मंजूरी दे दी।

निर्माण 52 हेक्टेयर भूमि पर 21 करोड़ की लागत से आंकी गयी। पहले यह ठेका राइट्स को मिला लेकिन, बाद में यह अनुबंध रद हो गया। उसके बाद उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण निगम को इस कार्य की जिम्मेदारी मिली। मूंढापांडे (भदासना) स्थित हवाई पट्टी को हवाई अड्डे के रूप में विकसित करने को एमओयू प्रदेश सरकार और एएआई के बीच साल 2014 में हुआ और वर्ष 2015 में निर्माण कार्य शुरू हुआ। बजट में देरी और निर्माण निगम के जिम्मेदारों की सुस्ती से वर्ष 2019 तक काम अधूरा रहा। 

निर्माण निगम के इंजीनियरों ने रनवे के भराव में घोटाला कर दिया। तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने तीनों इंजीनियरों को निलम्बित कर दिया था, जबकि दो वर्षों तक कोरोना काल में निर्माण बाधित रहा। लाइसेंस जारी करने के पहले वर्ष 2022 जनवरी माह में डीजीसीए की टीम ने कई बार अड्डे का निरीक्षण किया। दस्तावेजों की जांच और विभागों से एनओसी लेने के लिए निर्देश दिए गए। रक्षा, गृह और पर्यावरण-वन विभाग की एनओसी लेनी थी। वर्ष 2023 फरवरी माह में तीनों विभागों द्वारा एनओसी मिली, फिर डीजीसीए से लाइसेंस की मांग की गई। अगस्त 2023 में डीजीसीए की टीम ने अंतिम निरीक्षण किया। रनवे घर्षण मानक से अधिक पाया गया। रनवे पर परत बिछाने के बाद एएआई ने फिर डीजीसीए को पत्र भेजा गया, इसके बाद 17 नवम्बर को लाइसेंस मिला।

भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण (इंडियन एयरपोर्ट अथारिटी) ने यहां से हवाई जहाज उड़ान का लाइसेंस दे दिया है। सेवा कब से शुरू होगी, इस बात और तिथि का निर्णय होना है। यह कार्य सरकार को करना है। राज्य के अन्य कई स्थानों से जहाज की सेवा शुरू होनी है। संभव है जल्द तिथि की घोषणा हो जाए। यहां से लखनऊ और कानपुर के लिए पहले चरण में 19 सीटर विमान की सेवा शुरू होनी है।-गुलाब चंद, एडीएम (प्रशासन) नोडल अधिकारी

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