SGPGI Convocation Ceremony : केंद्रीय मंत्री डॉ मनसुख मांडविया बोले - चिकित्सा व्यापार नहीं सेवा है, देखें Video

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Published By Jagat Mishra
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लखनऊ, अमृत विचार। हमारे समाज में यानी कि हिंदुस्तान में चिकित्सा पेशे को सेवा भाव के रूप में देखा जाता है, जबकि विदेशों में ऐसा नहीं है। आपका हॉस्पिटल मंदिर और मरीज नारायण है। यह सोचकर आप सभी को काम करना है। आपके कार्य से स्वस्थ समाज का निर्माण होगा और स्वस्थ समाज से समृद्ध भारत बनेगा। यह बातें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने कही। वह शानिवार को एसजीपीजीआई के 28वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

एसजीपीजीआई के श्रुति अडोटोरियम में आयोजित दीक्षांत समारोह कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि आज के अवसर पर जिसको डिग्री प्राप्त हुई है।उसके लिए महत्वपूर्ण दिन है, आज उसकी पढ़ाई संपूर्ण हो रही है। एक जीवन शैली पूर्ण हो रही है, जबकि दूसरे जीवन शैली की शुरुआत होनी है। उन्होंने डिग्री प्राप्त करने वाले 265 डॉक्टर को संबोधित करते हुए कहा कि दोस्तों आपके सामने दो प्रमुख जिम्मेदारी है। पहली जिम्मेदारी आपकी माता-पिता की अपेक्षा को पूरा करना है। जबकि दूसरी जिम्मेदारी समाज में चिकित्सा पेशे को सेवा भाव के तौर पर स्थापित करना है। उन्होंने कहा हमारे यहां मरीज को नारायण माना जाता है यही वजह है कि चिकित्सा पेशे को सेवा भाव के रूप में देखा जाता है।

डा मनसुख मांडविया ने इस अवसर पर यह भी कहा कि आपकी सफलता में एसजीपीजीआई के चिकित्सकों का भी बड़ा हाथ है। ऐसे में आप सभी डॉक्टरों को अपने टीचर्स को भूलना नहीं चाहिए और आप दुनिया में कहीं भी रहे और कामयाबी हासिल करें, लेकिन अपने इस चिकित्सा संस्थान के प्रति आप की भी जिम्मेदारी बनती है।

अमीर और गरीब में न समझें अंतर
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा मनसुख मांडविया ने कहा कि अमीर और गरीब में कभी अंतर नहीं समझना चाहिए। हमें अमीर और गरीब के बीच की खाई को खत्म करना है। क्योंकि गरीब और मजदूर भी देश के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। हम जहां भी रहें देश के प्रति समर्पित रहें, इस देश में ब्रेन और पावर दोनों मौजूद है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा आज पूरी दुनिया में चरक, सुश्रुत और धन्वंतरि की मूर्तियां लगाई जा रही हैं। विश्व की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी में भी धन्वंतरि की फोटो लगाई गई है। ऐसे में हमें अपने इतिहास और पूर्वजों पर गर्व होना चाहिए।

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