मुरादाबाद : जिला अस्पताल के रैन बसेरे में ताला, तीमारदार परेशान

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Published By Bhawna
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महिला अस्पताल के रैन बसेरे में भी अव्यवस्था, खुद के कंबल-चादर में ठिठुर रहे तीमारदार, इमरजेंसी के बाहर ठंडा पड़ा अलाव

जिला पुरुष अस्पताल के रैन बसेरे के गेट पर जड़ा ताला, महिला अस्पताल के रैन बसेरे में बेड पर घर से लाई चादर व कंबल ओढ़कर लेटे तीमारदार।

विनोद श्रीवास्तव, अमृत विचार। रात में 7 डिग्री का तापमान, गलन से ठिठुरन, फिर भी जिला पुरुष व महिला अस्पताल का प्रबंधन बेफिक्र है। इस कड़ाके की ठंड में मरीज के साथ आए तीमारदार कहीं फर्श पर तो कहीं अपनी पतली कंबल व चादर में ठिठुर कर रात बिताने को विवश हैं। जिला पुरुष अस्पताल के रैन बसेरे में ताला जड़ा है और महिला अस्पताल के रैन बसेरे में बेड पर गंदी चादरें बिछी हैं। लेकिन, जिम्मेदार पूरी तरह से निश्चिंत हैं।

कड़ाके की ठंड व गलन में निराश्रितों, असहायों गरीबों को खुले आसमान के नीचे रात न बितानी पड़े, ठंड में किसी के साथ अनहोनी न हो जाए इसका प्रबंध कराने में जिला प्रशासन लगा है। रविवार की देर रात खुद जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह ने रोडवेज बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन के बाहर फुटपाथ पर रात बिताने वालों को कंबल बांटकर उनका हाल जाना था। लेकिन, स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार जो अपने कमरे में ब्लोअर व हीटर जलाकर रह रहे हैं शायद उन्हें ठंड का अभी अहसास नहीं हुआ है। अगर होता तो मरीजों के साथ आए तीमारदारों को यूं ही ठंड में ठिठुरने को नहीं छोड़ दिया जाता।

 

सोमवार की शाम 7:20 बजे जिला पुरुष अस्पताल के आपातकालीन भवन के सामने अलाव ठंड में ठंडा था। सुरक्षा ड्यूटी कर रहे कर्मी व मरीजों के तीमारदार अलाव जलने की प्रतीक्षा में थे ही एक बेजुबान भी वहां अलाव की आग से खुद को गर्म रखने की आस में दुबका था। इसके बाद जिला अस्पताल में ओपीडी के सामने बने रैन बसेरे के गेट पर पहुंचे तो अंदर जाने का कोई रास्ता नहीं मिला। जो भी गेट थे सब पर ताला जड़ा था। इक्का दुक्का लोग कैमरे की क्लिक देखकर ठहर गए। पूछने पर बताया कि यहां तो हर रात की यही बात है।

अस्पताल की दूसरी मंजिल पर बने वार्ड में पहुंचे तो बरामदे में बेंच पर कुछ तीमारदार बैठे थे। अंदर कक्ष में एक बेड पर लेटे मरीज के तीमारदार जो अपने लड़के को इलाज के लिए यहां भर्ती कराए थे। कांठ तहसील के पचोखरा खानपुर के जसवीर ने बताया कि यहां पर तीमारदार के लिए कोई प्रबंध नहीं है। रैन बसेरा होने की जानकारी देने पर कहा कि पता नहीं। ठंड अधिक है, बच्चे की स्थिति पर नजर रखने के लिए किसी तरह दुबक कर इसी बेड पर रात गुजार लेंगे। अलग से कंबल न मिलने की बात उन्होंने बताई। उनके बगल के बेड पर भर्ती मरीज के साथ आईं आजाद नगर की शब्बो भी मरीज के साथ ही बेड पर बैठीं थीं। इतनी ठंड में रात कैसे बिताएंगी के सवाल पर कहा कि यहां तो बैठने का भी इंतजाम नहीं। जमीन पर लेट बैठकर या फिर मरीज के बेड पर ही किसी तरह रात गुजारेंगे।

हाल- ए- महिला अस्पताल
महिला अस्पताल में रैन बसेरे के बाहर अलाव जल रहा था। जिसके इर्द गिर्द सुरक्षाकर्मी, एंबुलेंस के चालक व अन्य लोग अलाव सेंक रहे थे। नगर निगम की ओर से अलाव के लिए लकड़ियां दी गईं थीं। यहां रैन बसेरे में सात बेड लगे मिले। सब पर बिछे चादर गंदे व मैले कुचैले थे। आलमारी में कई के लॉक टूटे थे तो बेड भी बेतरतीब लगे थे। दो तीन बेड पर कुछ तीमारदार या अन्य कोई भी रहा होगा घर से लाई चादर में दुबक कर सो रहे थे। अंदर ही दस सराय चौकी के कपिल मिले। जो खुद एक बेड पर सोने की लिए सामान रख रहे थे। पूछने पर बताया कि उनकी मरीज वार्ड में भर्ती है। रात में यहां सोने के लिए घर से कंबल लाए हैं। अस्पताल की ओर से कंबल मिलने के सवाल पर कहा कि बताया जा रहा है कि मांगने पर मिलेगा। लेकिन, गंदगी को देखते हुए घर से ही कंबल-चादर लेकर आए हैं।

अस्पताल में 250 बेड हैं। जिसमें से 150 पर ही मरीज भर्ती हैं। बाकी खाली है। रैन बसेरे में तीमारदार रहने नहीं जाते क्योंकि अधिकांश आसपास के ही होते हैं। जो रुकते भी हैं वह मरीज के समीप ही रहना चाहते हैं। यदि कोई बेड खाली रहता है तो उस पर ही लेटने के लिए स्टॉफ कह देता है। वैसे रैन बसेरे में बेड, कंबल आदि सभी प्रबंध दुरूस्त है। लेकिन, शाम को इसलिए ताला बंद कराना पड़ता है कि इसमें असामाजिक तत्व न आकर ठहर जाएं। यदि रैन बसेरा आपातकालीन भवन के पास रहता तो शायद तीमारदार इसमें रुकते भी। यदि किसी मरीज के तीमारदार को जरूरत पड़ेगी तो ताला खुल सकता है।-डॉ. संगीता गुप्ता, प्रमुख अधीक्षक, जिला पुरुष अस्पताल

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