वाराणसी: नगर निगम के अधिकारियों ने रैनबसेरों का ठीक से नहीं किया प्रचार-प्रसार!, खुले में ठंड बिताने को मजबूर हुए गरीब 

वाराणसी: नगर निगम के अधिकारियों ने रैनबसेरों का ठीक से नहीं किया प्रचार-प्रसार!, खुले में ठंड बिताने को मजबूर हुए गरीब 

वाराणसी। नगर निगम की ओर से इस वर्ष 13 रैन बसेरे बनाए गए हैं। बावजूद इसके असहाय और गरीब लोग रोड और घाटों के चबूतरों पर सोने के लिए मजबूर हैं और रैन बसेरा मे व्यवस्थाएं होने के बावजूद भी रात को रुकने वाले लोगों की संख्या काफी कम है। खासकर इन रैन बसेरों में ठहरने वालों में महिलाओ की संख्या ना के बराबर है। जागरूकता और प्रचार-प्रसार के अभाव में महत्वपूर्ण जनउपयोगी सुविधा से बेसहारा और निर्धन लोग इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं।

जनपद में ठण्ड अपना प्रभाव  दिखाने लगा है। यही वजह है कि लोग भी अब सर्दी से बचने अपनी व्यवस्था करने लगे हैं। लेकिन ऐसे भी कई गरीब और असहाय लोग हैं जो खुले आसमां के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं। कुछ गरीब मजदूर मजबूरी में परिवार के पालन पोषण के लिए दूर से दो जून की रोटी कमाने के लिए शहर में रह रहे हैं, लेकिन उनके पास उतना पूंजी भी नही होता कि वो किराए का मकान ले सकें।

ऐसे लोगों के लिए एक मात्र सहारा रैन बसेरा होता है। गरीबो को  इन सर्दियों में इन आशियानों की जरुरत पड़ती है। इसलिए उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रैन बसेरा बनवाया है, ताकि कोई भी असहाय और गरीब ठण्ड मे रोड पर ना सोये।

रैन बसेरो में रहने की तमाम सभी सुविधाएं होने के बावजूद भी लोग इसमे में कम ही नजर आ रहे हैं। पड़ताल करने पर मालूम हुआ कि जागरूकता की कमी की वजह से लोग रैन बसेरो तक नहीं पहुंच पाते हैं। बहुत से ऐसे गरीब है जिनको रैन बसेरा के बारे मे कुछ पता ही नहीं है और जिनको पता भी है तो आधार कार्ड नहीं होने की वजह से इसका लाभ नहीं ले पा रहे है और रोड पर ही अपना आशियाना बना लिए है।आवश्यक प्रचार नहीं होने से भी लोगों को आश्रय स्थल के बारे में पता नहीं चल पाता है।

जब इस बारे मे नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी से सवाल किया तो अपना पल्ला झाड़ते नजर आये और कैमरे में कुछ बोलने को तैयार नहीं हुए जबकि जिन लोगों को आश्रय स्थल और यहां की सुविधा के बारे में जानकारी है वह इसका लाभ भी उठा रहे हैं।

रैन बसेरों का जायजा लिया तो पाया गया कि जागरूकता की कमी के चलते यहां तक जरूरतमंद लोग नहीं पहुंच पाते हैं। वहीं जिम्मेदार संस्था नगर निगम की ओर से भी इन रैन बसेरों की जानकारी के लिए कोई प्रचार-प्रसार नहीं किया जा रहा है। यही वजह है कि सर्दी के दौर में भी अधिकांश रैन बसेरों में बेड खाली ही नजर आ रहे हैं।

जबकि यहां लोगों के लिए सभी तरह की मूलभूत सुविधाएं मौजूद हैं। खास बात यह है कि इन रैन बसेरों में महिलाओं की संख्या ना के बराबर है।  कुछ रैन बसेरो मे महिलाओं के रहने के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है।

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