शाहजहांपुर: आफत बनीं डेरियां, ठंडे बस्ते में प्रबंधन की कार्रवाई...सड़कों पर घूम रहे पशुओं के झुंड

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Published By Vikas Babu
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शाहजहांपुर, अमृत विचार: महानगर में डेरियां आफत बनी हुई हैं। सड़कों पर पशुओं के झुंड जाम का कारण बन रहे हैं और मोहल्लों में गोबर से नालियां चोक हो रही हैं। महानगर में इस समय लगभग पांच सौ डेरियां हैं। नगर निगम महीनों से इनके प्रबंधन को लेकर माथापच्ची कर रहा है, लेकिन अभी तक हल नहीं निकल सका है। भैंसों के सड़क पर निकलने तक का समय तय नहीं हो पाया है।   

महानगर में डेरियों का प्रबंधन जरूरी माना जा रहा है। अक्सर सड़क पर निकलने वाले पशुओं के झुंड से जाम लगता है। लोगों को सालों से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पशुओं के झुंड निकलने के दौरान कई बार भैंस विदक भी जाती हैं। जिसको लेकर पशु पालक और राहगीरों की बहस हो जाती है। इसके साथ ही राहगीर पशुओं के पास से निकलते समय डरे सहमे रहते हैं। 

आशंका बनी रहती है कि न जाने कब पशु विदक जाए और हादसा हो जाए। इसके साथ ही सड़कों पर फैला और नालियों में बह रहा गोबर भी परेशानी का सबब बन रहा है। नगर निगम की नालियों में गोबर बहाया जा रहा है। कहीं-कहीं डेरियों के आसपास ही गोबर के बड़े-बड़े ढेर लगे हुए देखे जा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि डेरियों की समस्या को उठाया नहीं जाता। समय-समय पर डेरियों की समस्या को उठाया जाता रहा है। 

इसके बाद भी यह समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। बीते दिनों नगर निगम इस समस्या को लेकर गंभीर हुआ और डेरी संचालकों के साथ बैठक की। निगम के अधिकारियों ने काफी मंथन के बाद तय किया कि क्यों न पशुओं को चराने ले जाने और वापस लाने का समय निर्धारित कर दिया। पशु पालकों के साथ बैठक में यह मुद्दा उनके सामने रखा गया और चर्चा भी की गई।

 इसके बाद कुछ लोगों ने डेरियों को महानगर से बाहर ले जाने का प्रस्ताव भी दिया, लेकिन कार्रवाई बैठकों से आगे नहीं बढ़ सकी। डेरियों का समय निर्धारित हो चुका है, लेकिन इसका पालन नहीं किया जाता है। कभी भी पशु सड़कों पर देखे जा रहे हैं। अब तक कई बार डेरियों का मुद्दा उठाया जा चुका है, लेकिन समस्या का हल नहीं हो सका है। खन्नौत और गर्रा नदी के आसपास की डेरियों की भैंसे ज्यादातर इन नदियों में ही चरते हुए देखी जाती हैं। कई बार तो दिन-दिन भर नदियों में ही पशु देखे जाते हैं। इसी तरह कुछ तालाबों में भी भैंसे लगातार पड़ी हुई देखी जाती हैं। 

सुबह साढ़े नौ बजे चराने ले जाएं पशु
नगर निगम की ओर से भैंसो को चराने ले जाने का समय सुबह साढ़े नौ बजे से पहले निर्धारित किया गया है। नियमानुसार सुबह साढ़े नौ बजे तक पशुओं को चारागाह तक पहुंच जाना चाहिए और शाम चार बजे से पहले पशुओं को वापस आ जाना चाहिए। सबसे ज्यादा व्यस्त समय सुबह दस बजे और शाम चार से पांच बजे का माना जाता है। पशु पालकों को इस समय पशुओं को नहीं निकालना चाहिए, लेकिन इस नियम का पालन नहीं हो रहा है। कभी भी पशु सड़कों पर देखे जा रहे हैं। 

डेरियों को महानगर से बाहर ले जाने पर मंथन चल रहा है। पशुओं को चराने ले जाने का समय पहले से ही निर्धारित है। समय-समय पर डेरी संचालकों से निर्धारित समय पर पशुओं को चराने ले जाने के निर्देश दिए जाते हैं। इस दिशा में और प्रभावी कदम उठाए जाएंगे--- एसके सिंह, अपर नगर आयुक्त।

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