रायबरेली: कोरोनाकाल में माता-पिता की मौत होने से बेसहारा हुए बच्चों को मिलेगा सहारा

मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना को लेकर डीएम हर्षिता माथुर ने की पहल

रायबरेली: कोरोनाकाल में माता-पिता की मौत होने से बेसहारा हुए बच्चों को मिलेगा सहारा

अमृत विचार, रायबरेली। कोरोना शुरू होने के मार्च 2020 के बाद माता-पिता व दोनों में एक को गंवाने के बाद बेसहारा हुए बच्चों को ढूंढ़ने का विशेष अभियान चलेगा। मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना को लेकर डीएम हर्षिता माथुर ने पहल की है। उन्होंने तीन साल में जान गंवाने वाले 9275 लोगों के घरों का सर्वे करके बेसहारा बच्चों को चिह्नित करके योजना का लाभ देने का आदेश दिया है।

मुख्यमंत्री ने बेसहारा बच्चों की शिक्षा को जारी रखने के लिए बाल सेवा योजना संचालित की है। मार्च 2020 के बाद माता-पिता या दोनों में एक की मौत के बाद बच्चों को योजना का लाभ देना है। जिले में तीन साल में अब तक 983 बच्चों को ही इस योजना का लाभ मिल सका है। साथ ही 372 नए आवेदन आए हैं, जबकि जिले में मौतों की संख्या अधिक है। शत-प्रतिशत पात्र बच्चों को योजना का लाभ दिलाने के लिए डीएम ने तीन साल में जान गंवाने वाले 9275 लोगों के घरों में सत्यापन करके पात्र बच्चों को चिह्नित करने के साथ ही आवेदन कराने के आदेश दिए हैं। उन्होंने ब्लॉकों को सूची उपलब्ध कराकर गांवों में जांच करके निराश्रित बच्चों को चिह्नित करने के निर्देश दिए हैं।

18 साल तक हर माह 2500 रुपये की मिलेगी मदद

मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत चयनित बच्चे को शिक्षा जारी रखने के लिए सरकार की ओर से हर माह 2500 रुपये दिए जाते हैं। यह धनराशि बच्चों को 18 साल की उम्र तक देने की व्यवस्था है, जिससे उनकी पढ़ाई बाधित न हो। इन बच्चों के लिए आगे भी अन्य योजनाएं संचालित की गई है।

जिलाधिकारी हर्षिता माथुर ने बताया कि मुख्यमंत्री की बाल सेवा योजना प्राथमिकता में हैं। योजना का लाभ सभी बेसहारा बच्चों को दिलाना है। तीन साल में जान गंवा चुके 9275 मृतकों को चिह्नित किया गया है। गांवों में टीमें भेजकर जांच कराई जाएगी। डीएम ने आगे कहा कि पात्र बच्चों को चिह्नित करके आवेदन प्रक्रिया पूरी कराकर योजना का लाभ दिलाया जाएगा, जिससे बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो।

ये भी पढ़ें:- बहराइच: वन नेशन वन कमीशन की मांग को लेकर कोटेदारों का प्रदर्शन