Special News: नदियों का मुल्क और पानी पर शुल्क, भूगर्भ जल के दूषित होने से जिले में प्रतिमाह लाखों में पहुंचा फिल्टर पानी का कारोबार
उन्नाव में नदियों का मुल्क और पानी पर शुल्क।
उन्नाव में नदियों का मुल्क और पानी पर शुल्क। भूगर्भ जल के दूषित होने से जिले में प्रतिमाह लाखों में फिल्टर पानी का कारोबार पहुंचा। सैकड़ों प्रदूषणकारी उद्योगों द्वारा गंदा पानी बहाने से जिले का भूगर्भ जल दूषित हो चुका।
उन्नाव, (द्विजेन्द्र मिश्र)। जिले में गंगा सहित चार नदियों के होने से इसे नदियों का देश भी कहा जाता था। लेकिन वर्तमान में यहां संचालित हो रही सैकड़ों चर्म इकाइयों व अन्य प्रदूषणकारी फैक्ट्रियों द्वारा प्रदूषित पानी बहाये जाने से यहां का भूगर्भ जल दूषित हो गया है। भूगर्भ जल में फ्लोराइड की मात्रा भी लगातार बढ़ती जा रही है। इसके चलते फिल्टर पानी का कारोबार करने वालों ने अपने पैर पसार लिये हैं।
जिला गंगा, सई व कल्याणी नदियों के बीच बसा है। वहीं जिले के बीच से लोन नदी भी निकली है। इसके अलावा ताल तलैयों की संख्या हर वर्ष बढ़ती जा रही है। इसके बाद भी जिले में किसान सिंचाई के लिये परेशान रहते हैं। नहरों से लेकर नलकूप तक केवल दिखावा साबित हो रहे हैं।
शहर से नजदीक बसे तीन औद्योगिक क्षेत्रों की सैकड़ों टेनरियों व अन्य प्रदूषणकारी फैक्ट्रियों से निकलने वाले प्रदूषित पानी ने आसपास के क्षेत्रों का भूगर्भ जल दूषित कर दिया है।
ऐसे में जिले में फिल्टर पानी का कारोबार करने वालों की चांदी है। रोजाना नये वाटर प्लांट तैयार हो रहे हैं और वे फिल्टर पानी के नाम पर लोगों से मोटी रकम भी वसूल रहे हैं। ऐसे में नदियों के इस मुल्क में रहकर भी आमजन को पानी पर भारी शुल्क देना पड़ रहा है।
दर्जनों गावों में शुद्ध पानी को तरह रहे लोग
जिले के हिलौली, असोहा, सुमेरपुर और बिछिया ब्लाक के दर्जनों गांव शुद्ध पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। यहां के लोग या तो प्रदूषित पानी पी रहे हैं या फिर दूसरे इंतजामों का सहारा ले रहे हैं। यह गांव फ्लोराइड से भी प्रभावित हैं। लेकिन किसी को इसकी फिक्र नहीं है। ऐसे में ग्रामीण मीठा जहर पीने को मजबूर है।
1044 गावों में 1100 तालाब फिर भी समस्या जस की तस
जिले में 1044 ग्राम पंचायत व शहरी क्षेत्र को मिलाकर करीब 3900 से अधिक तालाब होने का दावा किया जाता है। इनमें 11 सौ तालाबों को माडल तालाब का नाम दिया गया है। जल संचयन के नाम पर बने इनमें से ज्यादातर तालाब संचयन शब्द को झुठला रहे हैं। अधिकांश तालाबों तक पानी ही नहीं पहुंचता है।
रेन वाटर हार्वेोस्टंग की भी पीटी गयी लकीर
ग्रामीण क्षेत्रों को तो छोड़ ही दें शहर में भी रेन वाटर हार्वेोस्टंग की सिर्फ लकीर ही पीटी गयी है। डेढ़ दशक पूर्व पायलट प्रोजेक्ट के तहत मुख्यालय के सात सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेोस्टंग सिस्टम तैयार किए गये थे। इनमें कलेक्ट्रेट, निराला प्रेक्षागृह, विकास भवन, न्यायालय भवन, बीएसए आफिस, यूएसडीए भवन, नगर पालिका आदि शामिल हैं। हालांकि इनमें से अधिकांश सिर्फ दिखावा ही साबित हो चुके हैं।
रोजाना लाखों के टर्नओवर में पहुंचा फिल्टर पानी का कारोबार
शहर के साथ जिले भर में इन दिनों करीब चार से पांच सौ फिल्टर पानी के कारोबारियों ने अपनी जड़ें जमा ली हैं। यह लोग रोजाना हजारों रुपये का पानी फिल्टर कर घरों, आफिसों व उद्योगों तक पहुंचाकर लाखों का टर्नओवर भी कर रहे हैं। ऐसे में शुद्ध पानी न मिलने से आमजन की जेब खुलेआम काटी जा रही है।
पांच साल में भी घरों तक नहीं पहुंच सका ‘अमृत’
जिला वासियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने को शासन द्वारा अमृत योजना के तहत गंगा नदी के पानी को फिल्टर कर घर-घर तक पहुंचाने के प्रयास तेज किये गये थे। योजना पर अमल कराने को सन-2019 में इसकी शुरुआत भी करवा दी गयी थी और इसे दिसंबर-2022 तक पूरा करने की डेटलाइन भी दी गई थी। लेकन, डेटलाइन बीतने के बाद भी अब तक जिला वासियों को अमृत की एक बूंद तक नहीं मिल सकी है।
अमृत योजना का कार्य तेजी से चल रहा है। आगामी 2 माह के अंदर अमृत योजना के अंतर्गत लोगों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति शुरू हो जायेगी।- (सुनील कुमार सिंह जलकल एक्सईएन उन्नाव )
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