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बरेली से लाकर पीलीभीत के मंदिर में सुरक्षित रखवाई गई राम ज्योति, फिर घर-घर पहुंचाया
उस वक्त बढ़ती सख्ती को देख संघ से जुड़े अधिवक्ताओं को संघ परिवार ने सौंपी थी जिम्मेदारी
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वैभव शुक्ला/पीलीभीत, अमृत विचार। अयोध्या में श्रीरामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर इन दिनों अयोध्या से आए पूजित अक्षत घर-घर पहुंचाए जा रहे हैं। उस वक्त आंदोलन में शामिल रहे लोगों की मानें तो ये सब ठीक उसी तरह से हो रहा है, जिस तरह से नब्बे के दशक में कारसेवक रामनाम की अलख जगाने के लिए राम ज्योति पहुंचाया करते थे। इसे लेकर उस दौर में सख्ती हुई। कार सेवकों की धरपकड़ कर जेल में डाल दिया गया, लेकिन संघर्ष लगातार जारी रहा।
बताते हैं कि 1990 में अयोध्या आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने घर-घर दीपावली मनाएं, राम ज्योति से दीप जलाएं का नारा दिया था। दीपावली पर राम ज्योति से ही दीपक प्रज्वलित करवाने का काम किया गया। जिले में भी राम ज्योति बरेली से लाई गई थी। इसे लाने की जिम्मेदारी संघ से जुड़े अधिवक्ताओं को दी गई थी। उस वक्त राम जन्मभूमि आंदोलन की प्रत्येक गतिविधि पर प्रशासन और पुलिस की निगाह थी। इसलिए दीपावली से पहले ही राम ज्योति को पीलीभीत लाने की योजना बना ली गई थी। संघ के वरिष्ठ नेताओं की रणनीति के मुताबिक पीलीभीत से ट्रेन में बैठकर चार अधिवक्ताओं को बरेली भेजा गया। बरेली में इज्जतनगर रेलवे स्टेशन के पास एक शिशु मंदिर में मंडल भर के आंदोलन से जुड़े प्रमुख राम भक्तों की पहले बैठक हुई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेताओं के अलावा हिंदू जागरण मंच के नेता आत्मदेव शर्मा समेत कई अन्य भी मौजूद थे।
राम भक्ति लेकर आने वाले अधिवक्ता बताते हैं कि शाम के समय ट्रेन से राम ज्योति को पीलीभीत रेलवे स्टेशन तक लाया गया। उसके बाद इसे अधिवक्ता राधेश्याम सक्सेना के मकान के बाहर छतरी चौराहे के नजदीक बने हुए मंदिर में सुरक्षित रखवा दिया गया और इसकी सुरक्षा को लेकर भी कुछ लोगों को जिम्मेदारी सौंपी गई। राम ज्योति लगातार प्रज्वलित होती रहे, इसके लिए देसी घी का इंतजाम किया गया। बाद में इसी राम ज्योति से जनपद में अन्य राम ज्योति प्रज्वलित की गई।
संघ परिवार के दिशा निर्देश के अनुसार इन राम ज्योति के जिले भर में पहुंचाया गया। दीपावली पर सख्ती के बावजूद स्वयं सेवकों ने टोलियों में बंटकर राम ज्योति को गांव-गांव पहुंचा दिया। इसके साथ ही राम ज्योति से दीपक प्रज्जवलित करने संबंधी स्टीकर भी घरों में चस्पा किए गए। उस दौरान जिले भर में राम ज्योति के माध्यम से ही दीपावली पर दीपों से घर आंगन को रोशन किया। इधर एक लंबे अरसे बाद जब अयोध्या के मंदिर में भगवान रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राम ज्योति प्रज्वलित करने की अपील की है। बरेली से राम ज्योति लेकर आने वाले दो अधिवक्ता राधेश्याम सक्सेना और उत्तम कुमार अग्रवाल का निधन हो चुका है।
पिपरिया जाते वक्त धरे गए डॉ.परशुराम, जेल में मनी दिवाली
बरखेड़ा के रहने वाले डॉ.परशुराम गंगवार नब्बे के दशक में इस आंदोलन में खासा सक्रिय थे। जिसका परिणाम ये रहा कि 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में वह मेनका गांधी को हराकर भाजपा से सांसद चुने गए। उनके बेटे दिनेश कुमार ने बताया कि उस वक्त पिता राम ज्योति घर-घर पहुंचाने के लिए साइकिल, बाइक तो कभी पैदल ही जाया करते थे। पुलिस प्रशासन की सख्ती अधिक थी तो खासा अलर्ट भी रहना पड़ता था। बरखेड़ा से पिपरिया वाले रोड पर बाइक से राम ज्योति बांटने जा रहे थे कि पुलिस ने दोनों तरफ से घेर लिया और गिरफ्तारी की। डेढ़ माह तक बदायूं की जेल में वह बंद रहे। उस साल की दिवाली भी डॉ.परशुराम की जेल में ही मनी थी।
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संघ ने मुहैया कराई साइकिल और बीसलपुर भेजे गए अरुण
वर्तमान समय में भाजपा में कार्यालय सह मंत्री के तौर पर काम कर रहे अरुण बाजपेई महज 15 साल की उम्र में 1975 से संघ से जुड़ गए थे। वह विहिप के जिला मंत्री, हिंदू जागरण मंच में जिला मंत्री, जिला संयोजक, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भी रह चुके हैं।
![अरुण वाजपेयी](https://www.amritvichar.com/media/2024-01/fa2d0fe8-879f-4609-8dc8-adecd5e08ba6.jpeg)
उन्होंने बताया कि नब्बे में वह मझोला शिशु मंदिर में आचार्य हुआ करते थे। विश्व हिंदू परिषद में नगर मंत्री का पद भी उन्हीं पर था। संघ परिवार से साइकिल मुहैया कराई गई और एक माह के लिए बीसलपुर क्षेत्र में भेज दिया गया। वहां पर राम ज्योति पहुंचाने के लिए जुड़े राम भक्तों के तीन ठिकानें हुआ करते थे। साइकिल पर सवार होकर वह जाया करते थे। लोगों के घर राम ज्योति से एक दीपक प्रज्वलित करने के बाद अपील की जाती थी कि अब इसी से ही दिवाली पर अन्य दीपक जलाकर घर रोशन करें। कई बार पूर्व मंत्री रामसरन वर्मा के साथ भी वह साइकिल से राम ज्योति बांटकर आए। तीनों ठिकानों पर दबिश और गिरफ्तारी हुई। मगर वह पकड़े नहीं जा सके। उन्होंने वापस आने के बाद कुछ वक्त तक अपने बड़े भाई श्रीराम बाजपेई की ससुराल जोगराजपुर में बिताया और वहीं पर ही दिवाली मनाई थी।
मेरे पिता जी संघ परिवार से जुड़े और श्री राम मंदिर आंदोलन में जेल भी गए। आज काफी खुशी हो रही है कि पिता ने राम जन्मभूमि आंदोलन के लिए काम किया और आज बतौर नगर संघ चालक पद पर रहते हुए उसी प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में काम करने का अवसर प्राप्त हुआ है। अयोध्या से आए पूजित अक्षत को घर-घर पहुंचा रहा हूं, जिस तरह से पिता राम ज्योति पहुंचाया करते थे- दिनेश कुमार, पूर्व सांसद डा.परशुराम गंगवार के बेटे।
![दिनेश कुमार](https://www.amritvichar.com/media/2024-01/629d16f9-b284-4ef0-ac78-1d633e6830f4.jpeg)
राममय हो गया था बदायूं जेल का माहौल
श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में जब काम कर रहे थे तो एक अलग ही जुनून हुआ करता था। 1990 में गिरफ्तारी की गई और चार बदायूं की जेल में भेज दिया गया था। वहां एक माह से अधिक समय तक बंद रहे। चूंकि बंदियों में राम भक्त अधिक थे तो जेल में भी माहौल राममय बन गया था- रमेश चंद्र गुप्ता एडवोकेट, बिलसंडा।
![65d767da-8c2c-4508-99cd-4f08105ac24e](https://www.amritvichar.com/media/2024-01/65d767da-8c2c-4508-99cd-4f08105ac24e.jpeg)
नब्बे के दशक में जब उस वक्त श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन चरम पर था, उस वक्त कार सेवा में लगे रहे और बदायूं की जेल में बंद भी हुए। आलम ये था कि जेल में भजन कीर्तन किया करे थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा भी लगा ली जाती थी। बिलसंडा क्षेत्र से ही काफी गिरफ्तारी हुई थीं - राम देव मिश्र, बिलसंडा।
![राम देव मिश्र](https://www.amritvichar.com/media/2024-01/7ca76c16-c066-4535-a0fb-061be9a0f387.jpeg)
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