जंक फूड खाद्य पदार्थ : उनके बारे में सुबूत क्या कहते हैं

जंक फूड खाद्य पदार्थ : उनके बारे में सुबूत क्या कहते हैं

लिवरपूल। जंक फूड खाद्य पदार्थों के खतरों को हाल के महीनों में व्यापक कवरेज प्राप्त हुआ - इसके लिए टीवी प्रस्तोता और वायरोलॉजी के डॉक्टर क्रिस वान टुलेकेन की पुस्तक अल्ट्रा-प्रोसेस्ड पीपल के प्रकाशन और प्रचार को धन्यवाद देना पड़ेगा। अति प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, संक्षेप में, व्यावसायिक रूप से निर्मित खाद्य उत्पाद हैं जिनमें ऐसी सामग्रियां शामिल होती हैं जो अमूमन घर में उपलब्ध नहीं होती हैं। इनमें से कुछ प्रसंस्करण खाद्य पदार्थों को अधिक स्वादिष्ट बनाता है, कुछ उनके शेल्फ जीवन अर्थात उन्हें खराब होने से इस्तेमाल की जाने वाली अवधि को बढ़ाता है और उन्हें अधिक किफायती बनाता है - जैसे कि उदाहरण के लिए होलमील सुपरमार्केट ब्रेड। वैज्ञानिक लंबे समय से जानते हैं कि जिन खाद्य पदार्थों में संतृप्त वसा, नमक, चीनी, कैलोरी अधिक होती है या जिनमें साबुत अनाज और फाइबर की मात्रा बहुत कम होती है, वे मोटापा, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और टाइप 2 मधुमेह जैसी स्वास्थ्य समस्याओं के अधिक जोखिम में योगदान करते हैं। काफी संख्या में अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में कुछ प्रतिकूल पोषण संबंधी विशेषताएं होंगी - लेकिन बहुतों में नहीं। 

अति-प्रसंस्कृत भोजन के बारे में जो नई और विवादास्पद बात है वह यह विचार है कि खाद्य प्रसंस्करण स्वयं घातक है। वान तुलेकेन की पुस्तक में तर्क दिया गया है कि ‘‘समस्या अति प्रसंस्करण में है, पोषण संबंधी सामग्री में नहीं’’। इस बात पर विचार करते हुए कि कुछ पिज़्ज़ा हमारे वजन को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं, वह लिखते हैं, ‘‘एकमात्र सवाल यह है कि क्या यह एक अति-प्रसंस्कृत भोजन है’’। वान टुलेकेन का यह भी दावा है कि अत्यधिक प्रसंस्कृत भोजन तम्बाकू की तुलना में अधिक मौतों से जुड़ा है, और यह वैश्विक स्तर पर शीघ्र मृत्यु का नंबर एक कारण है। लेकिन, मेरे विचार से इसमें से बहुत कुछ ग़लत है। 

मिथकों की जांच की गई
विश्व स्तर पर अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को मौतों का सबसे बड़ा कारण नहीं माना गया है और किसी वैज्ञानिक अध्ययन में भी यह बात सामने नहीं आई है। मेरा मानना ​​है कि यह साहसिक लेकिन भ्रामक दावा उस शोध की गलत व्याख्या प्रतीत होता है जो बताता है कि खराब आहार मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। इस और इसी तरह के अध्ययनों में अधिकांश मौतें खराब आहार के कारण होती हैं, जो पर्याप्त फल और सब्जियां, तैलीय मछली या साबुत अनाज न खाने जैसे कारकों के कारण होती हैं। न ही इस बात का कोई पुख्ता सबूत है कि कोई भोजन अति-प्रसंस्कृत है या नहीं, यह निर्धारित करता है कि यह आपके स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर सकता है। कई अध्ययनों से पता चला है कि जिन लोगों के आहार में अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ अधिक होते हैं, उनका स्वास्थ्य उन लोगों की तुलना में खराब होता है जिनके आहार में कम अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ होते हैं। 

हालाँकि, शोध से पता चलता है कि यह सभी अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के बजाय कुछ विशिष्ट प्रकार के अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ हैं जो अध्ययनों में खराब स्वास्थ्य से जुड़े हैं। इसमें शर्करा युक्त पेय और प्रसंस्कृत मांस जैसी श्रेणियां शामिल हैं, जिन्हें हम कुछ समय से जानते हैं कि वे स्वास्थ्य के लिए खराब हैं। अति-प्रसंस्कृत के रूप में वर्गीकृत अन्य खाद्य पदार्थ खाने से खराब स्वास्थ्य की भविष्यवाणी नहीं की जाती है। और कुछ अध्ययनों में उन्हें बेहतर स्वास्थ्य के लिए भी दिखाया गया है। ब्राउन ब्रेड और अनाज, अच्छे उदाहरण हैं। अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के नुकसान पर साक्ष्य के रूप में उपयोग किए जाने वाले लगभग सभी वैज्ञानिक अध्ययन ‘‘अवलोकनात्मक अध्ययन’’ हैं। 

इसका मतलब यह है कि शोधकर्ता यह देखने के लिए किसी व्यक्ति के आहार में बदलाव नहीं करते हैं कि उनके स्वास्थ्य के साथ क्या होता है - वे लोगों के स्वास्थ्य का निरीक्षण इस आधार पर करते हैं कि वे क्या खाते हैं। इस प्रकार, अवलोकन संबंधी अध्ययन केवल उन सभी तरीकों को ध्यान में रखने का प्रयास कर सकते हैं जिनमें बहुत अधिक अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ खाने वाले लोग बनाम कम अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ खाने वाले लोगों में अंतर होता है। यह अल्ट्रा-प्रोसेसिंग की कुंजी है, क्योंकि किसी व्यक्ति या उनके आहार के बारे में ऐसे अनपेक्षित कारक हो सकते हैं जो खराब स्वास्थ्य का कारण बनते हैं - जिससे यह प्रतीत होता है कि किसी व्यक्ति के आहार में अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की संख्या उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही है, जबकि ऐसा नहीं है। एक ताज़ा अध्ययन इस बात की पूरी तरह से पड़ताल करता है। 

अध्ययन में देखा गया कि क्या अति-प्रसंस्कृत भोजन का सेवन कैंसर के विकास से जुड़ा था। यह वैसा ही था, जैसा अन्य अध्ययनों में दिखाया गया है। लेकिन इसमें यह भी देखा गया कि क्या अति-प्रसंस्कृत भोजन की खपत एक ऐसे स्वास्थ्य परिणाम से जुड़ी थी, जिसके होने का कोई संभावित कारण नहीं था और वह था आकस्मिक मृत्यु। ऐसा पता चला है कि जो लोग अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ खाते हैं, उनकी कार दुर्घटनाओं, गिरने और अन्य दुर्घटनाओं में मरने की संभावना अधिक होती है। ऐसा होने का कोई ठोस कारण नहीं है कि प्रसंस्कृत भोजन आकस्मिक मृत्यु का कारण बनता है। बल्कि, कारण संभवतः कुछ और है जिसे या तो सटीक रूप से मापा नहीं गया है और उसका हिसाब नहीं दिया गया है या बिल्कुल भी नहीं मापा गया है - जिसे ‘‘भ्रमित करने वाला कारक’’ कहा जाता है। 

गरीब पृष्ठभूमि के लोगों के आकस्मिक मृत्यु का शिकार होने की संभावना अधिक होती है - जैसे कि वे लोग जिनका मानसिक स्वास्थ्य खराब होता है। हम यह भी जानते हैं कि गरीब पृष्ठभूमि के लोग या जिनका मानसिक स्वास्थ्य खराब है, वे अक्सर अधिक अति-प्रसंस्कृत भोजन खाते हैं। अध्ययन किसी व्यक्ति की आय को माप सकता है, लेकिन गरीबी में रहने या खराब मानसिक स्वास्थ्य होने से शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले कई तरीकों को सटीकता के साथ मापना बहुत मुश्किल है। इसलिए वे भ्रमित करने वाले कारकों के उदाहरण हो सकते हैं जो अति-प्रसंस्कृत भोजन को कैंसर जैसी बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति की भविष्यवाणी करने के लिए प्रेरित करते हैं। 

खाद्य प्रसंस्करण के बारे में दी जाने वाली नुकसान की चेतावनियों को देखते हुए, आप सोचेंगे कि इस बात के ठोस सुबूत होंगे, जिनके दम पर यह कहा जा सकता है कि खाद्य प्रसंस्करण मनुष्यों में स्वास्थ्य को कैसे नुकसान पहुंचाता है। लेकिन ऐसा नहीं है। अमेरिका और ब्रिटेन के वैज्ञानिकों के पैनल (खाद्य उद्योग के वित्त पोषण के इतिहास के साथ और उसके बिना दोनों) इस पर सहमत हैं कि वर्तमान में यह स्पष्ट नहीं है कि खाद्य प्रसंस्करण अपने आप में स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है या नहीं। मेरा मानना ​​है कि अति प्रसंस्कृत भोजन और स्वास्थ्य को समझने के लिए और अधिक शोध करना अच्छा रहेगा। लेकिन यह वान तुलेकेन के दावे से बहुत दूर है कि हम ‘‘ऐसा भोजन खा रहे हैं जो भोजन नहीं है’’ और अति प्रसंस्कृत भोजन स्वास्थ्य के लिए धूम्रपान से भी बदतर है। 

अति-प्रसंस्कृत भोजन को लेकर प्रचार समस्याग्रस्त है क्योंकि यह उन लोगों में अनावश्यक चिंता पैदा कर सकता है जो पहले से ही भोजन के लिए संघर्ष कर रहे हैं या अपने स्वास्थ्य के बारे में चिंतित हैं। जनता को इस बात पर भ्रमित करने के साथ-साथ कि भोजन क्या है और क्या स्वास्थ्यप्रद नहीं है, अति प्रसंस्कृत भोजन का प्रचार खाद्य उद्योग के विपणन और उन खाद्य पदार्थों की बिक्री को प्रतिबंधित करने के लिए आवश्यक सरकारी कार्रवाई से भी ध्यान भटका सकता है, जिन्हें हम पहले से ही जानते हैं कि वे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। - अधिक चीनी, नमक, संतृप्त वसा और कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ। शायद भविष्य में, पुख्ता सबूत यह दिखा सकते हैं कि कुछ विशिष्ट प्रकार के खाद्य प्रसंस्करण गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं। लेकिन तब तक, अति-प्रसंस्कृत भोजन के बारे में सनसनीखेज संदेश और भ्रामक दावे बहुत वास्तविक समस्याएं हैं।

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