Exclusive: लोकसभा चुनाव 2024: प्रतिद्वंदी बने एक-दूसरे के ‘सर्पोटर’, असमंजस में है ‘वोटर’

Amrit Vichar Network
Published By Nitesh Mishra
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उन्नाव, प्रकाश तिवारी। कहते हैं राजनीति में कुछ भी स्थाई नहीं होता है। यहां तो सभी थाली के बैंगन की तरह इधर-उधर होते रहते हैं। इसी क्रम में वर्ष-2014 में हुए लोकसभा चुनाव में चार प्रमुख राजनैतिक पार्टियों के प्रत्याशी जो उस समय एक-दूसरे पर तीखे शब्दभेदी तीर छोड़ने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते थे। 

वे आज एक-दूसरे के सपोर्टर बन उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। यही नहीं जो उस समय खुले मंच से प्रतिद्वंदी पर जमकर आरोपों-प्रत्यारोपों की झड़ी लगाते थे वे आज उनके पक्ष में वोट करने के लिये जिले की जनता से अपील करते नहीं थक रहे हैं। ऐसे में 10 साल पूर्व की स्थितियों को याद कर जिले का मतदाता असमंजस में है कि क्या करें, क्या ना करें?? 

जी हां हम बात कर रहे हैं वर्ष-2014 में हुए लोकसभा चुनाव की। इस चुनाव में जहां भाजपा से लोकसभा प्रत्याशी साक्षी महाराज जिले की राजनीति में पदार्पण कर अपना पहला चुनाव लड़ रहे थे। वहीं अरुण शंकर शुक्ल ‘अन्ना महाराज’ सपा और बसपा से पूर्व सांसद ब्रजेश पाठक अपनी किस्मत आजमा रहे थे। जबकि उस समय की सांसद रहीं अन्नू टंडन कांग्रेस की प्रत्याशी के रूप में मतदाताओं से अपने लिए समर्थन मांग रहीं थीं। 

पीएम मोदी के नाम की आंधी के चलते संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं ने तब न सिर्फ अन्नू टंडन, बल्कि ब्रजेश पाठक व अन्ना महाराज को दरकिनार कर भारी मतों से भाजपा प्रत्याशी को विजय दिलाई थी। बीते 10 वर्षों में भाजपा प्रत्याशी ने भले ही अपनी राजनैतिक निष्ठा नहीं बदली, लेकिन उनके प्रतिद्वंदियों में शामिल रहे बसपा व कांग्रेस के प्रत्याशी इस चुनाव में अपने नए दलों के लिए वोट मांग रहे हैं। यानी कांग्रेस के बजाए अन्नू टंडन अब सपा से मैदान में हैं। 

जबकि बसपा के उम्मीदवार राजनीतिक सफलता की सीढ़ियां चढ़कर प्रदेश के डिप्टी सीएम के तौर पर भाजपा प्रत्याशी को चुनावी वैतरणी पार कराने की जद्दोजहद कर रहे हैं। राजनैतिक व्यस्तताओं के बावजूद वे मोहान व भगवंतनगर विधानसभा क्षेत्रों के मंडल अध्यक्षों के सम्मेलन में शामिल होकर जहां भाजपा कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ा चुके हैं। वहीं भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में आयोजित नामांकन सभा को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित कर लोगों से पार्टी के प्रत्याशी को जिताने की अपील कर चुके हैं। 

इसी तरह सपा प्रत्याशी के तौर पर साइकिल चुनाव निशान के लिए वोट मांगते रहे अरुण शंकर शुक्ला इसी पार्टी की प्रत्याशी बनीं अन्नू टंडन को सफलता दिलाने की कवायद में जुटे हैं। इस चुनाव में वह सपा प्रत्याशी की नामांकन सभा में शामिल होकर केंद्र व प्रदेश सरकार को कोसते हुए पार्टी प्रत्याशी को बड़े अंतर से जीत दिलाने की अपील जनता से कर चुके हैं। साथ ही क्षेत्रीय भ्रमण के दौरान भी सपा की पैरोकारी भी करते दिख रहे हैं। 

बीते एक दशक में चाहे जितने राजनैतिक बदलाव आए हों लेकिन, बड़ी संख्या में मतदाताओं के जेहन में वर्ष-2014 का लोकसभा चुनाव की यादें जिंदा हैं। इसीलिए वे खुद को असमंजस में महसूस कर रहे हैं। यही कारण है कि मतदान तिथि करीब आने के बावजूद वोटरों का मिजाज अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। आमतौर पर मतदाता नेताओं को एक ही थाली का चट्टा-बट्टा बताते हुए चुप्पी साध ले रहे हैं। 

सपा व कांग्रेस के मत जोड़ने पर भी आगे थे साक्षी  

भाजपा प्रत्याशी के पहले चुनाव में जिले के 5,18,834 मतदाताओं ने उनके पक्ष में मतदान किया था। तब सपा व कांग्रेस प्रत्याशियों को मिले वोट जोड़ने पर भी भाजपा को मिले मत अधिक थे। उस चुनाव में उनके प्रतिद्वंदी सपा प्रत्याशी अरुण शंकर शुक्ला को 2,08661 वोट मिले थे। जबकि, कांग्रेस की अन्नू टंडन 1,97,098 वोट ही पा सकी थीं। वहीं, बसपा के ब्रजेश पाठक को 2,00,176 मत मिले थे।

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