बरेली के हर सहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स ने दी रामलला के बाल स्वरुप को कंचन काया

बरेली के हर सहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स ने दी रामलला के बाल स्वरुप को कंचन काया

बरेली, अमृत विचार। रामलला की श्यामल काया को आभूषणों से सजाने में बरेली के हर सहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स की अहम भूमिका है। प्रभु श्रीराम को जिन 16 आभूषणों से सुशोभित किया गया वो बरेली में इन्हीं के द्वारा तैयार किए गए हैं। इसकी जानकारी होने के बाद अब प्रदेश भर से लोग इनकी ज्वैलरी की दुकान पर आ रहे हैं। 

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बाल स्वरुप प्रभु श्रीराम को वेद और पुराणों के अनुसार स्वरुप देने के लिए हर सहायमल ज्वैलर्स ने चुनिंदा गहने तैयार किए हैं, जिन्हें भगवान को पहनाया गया है। इसमें मुकुट, छोटा हार, विजय माला, अंगूठी, बाजू-बंध, कड़े, पायल, तिलक, धनुष, तीर आदि शामिल हैं।

हर सहायमल श्यामलाल ज्वैलरी शोरूम के डायरेक्टर मोहित आनंद ने अमृत विचार से खास बातचीत में बताया कि उन्हें 2 जनवरी को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारी ने फोन किया था। उनके बुलावे पर वो अयोध्या पहुंचे तो उन्हें रामलला के आभूषण बनाने के लिए कहा गया।

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मोहित आनंद ने बताया कि यह जानकर उन्हें बेहद खुशी हुई। ऐसा लगा कि भगवान ने खुद उन्हें सेवा का अवसर दिया है। बताया कि रामलला ने हमें इस कार्य के लिए चुना, जो किसी चमत्कार से कम नहीं था। ट्रस्ट ने प्रभु राम के बाल रूप को ध्यान रखते हुए ही आभूषण बनाने को कहा था। 

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डायरेक्टर मोहित आनंद ने बताया कि ऑर्डर मिलते ही वह तैयारी में लग गए। अगले ही दिन लखनऊ ब्रांच के डायरेक्टर अंकुर आनंद को अयोध्या भेज दिया। सूर्यवंशी राजघराने के बालक के आभूषण बनाने के लिए उनकी टीम ने रिसर्च शुरू कर दी। वेद, पुराण और रामायण आदि को देखकर टीम ने रामलला के आभूषणों के डिजाइन को फाइनल किया। जिसके बाद हर सहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स की 70 सदस्यीय टीम ने लगातार काम करके 16 जनवरी को सभी आभूषण तैयार कर दिए। जिनमें विजय माला, छोटा हार, मुकुट, अंगूठी, कड़े, पायल, तिलक, बाजू-बंध, धनुष और तीर आदि शामिल हैं। फिर इन आभूषणों को 16 जनवरी की शाम को ही अयोध्या पहुंचकर ट्रस्ट को सौंप दिया। 

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डायरेक्टर मोहित आनंद ने बताया कि रामलला के आभूषणों के लिए ट्रस्ट की ओर से सोना उपलब्ध कराया गया था। जिसमें से विजय माला में दो किलो और मुकुट में एक किलो 700 ग्राम सोना लगाया गया है। जबकि अन्य आभूषण का वजन इनसे कम है। उन्होंने बताया कि रामलला के स्वर्ण मुकुट पर सूर्य चिह्न है और उसके ऊपर बड़े आकार का पन्ना उनके वैभव को प्रदर्शित कर रहा है। वहीं प्रभु राम के बाल स्वरूप को निखारने के लिए मुकुट के दोनों ओर पंख बनाए गए हैं।

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इसके अलावा स्वर्ण मुकुट पर उत्तर प्रदेश का प्रतीक चिह्न मछली और राष्ट्रीय पक्षी मोर भी बनाया गया है। विजय माला दो किलो से ज्यादा सोने से बना है, वो पांच फीट लंबी है। जिसके अलग-अलग हिस्से बना जोड़ा गया है। प्रभु रामलला के तिलक पर कई तरह के हीरे लगाए गए हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि हमारा परिवार 130 सालों से आभूषण बनाने के कार्य में लगा हुआ है। लेकिन भगवान रामलाल के आभूषण बनाकर वे अपने आप को धन्य मान रहे हैं।

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